नगर निगम की अरबों की संपत्ति पर जमे अवैध कब्जेदार

अवैध कब्जेदारों के आगे निगम ने टेके घुटने, नहीं कर रहे कार्रवाई

BAREILLY:

अरबों की जमीन पर कब्जा लेने में नगर निगम प्रशासन बेबस नजर आ रहा है। फिलहाल, निगम अधिकारियों के रवैया को देखकर तो यही कहेंगे। यही वजह है कि निगम भूमाफिया को अपनी जमीन से खदेड़ने की दिलेरी नहीं दिखा पा रहे हैं। जबकि सच यह है कि निगम की जमीन को भूमाफिया डकार चुके हैं। निगम की जमीन की न सिर्फ बिक्री कर दी गयी है, बल्कि, उस पर निर्माण भी हो गये हैं। कुछ जमीनों पर खेती हो रही है तो कहीं, मार्केट बन गयी है।

अफसरों की निष्ठा व नीयत में खोंट

नगर निगम के अफसरान शहर और आउटर एरिया में निगम की बेहिसाब बेशकीमती संपत्ति पर अवैध कब्जेदारी से पूरी तरह लापरवाह हैं। नौकरी निगम की बेशक है लेकिन इसके लिए निष्ठा और नीयत में कमी साफ दिखाई पड़ती है। पिछले कई साल से शहर में निगम की संपत्तियों पर खुलकर कब्जा होता रहा लेकिन अधिकार और जिम्मेदार इस पर आंखे बंद किए रहे। भूमाफिया ने एक के बाद निगम की शहर के अंदर और आउटर पर जमीनों पर कब्जा किया लेकिन किसी भी मामले में न तो कार्रवाई हुई और न ही संपत्ति से अवैध कब्जे को हटाया जा सका।

अवैध दुकानों पर कारर्वाई नहीं

ईट पंजाया चौराहे पर निगम की फ्भ्00 गज खाली जमीन पर कुछ लोगों ने करीब ख्ब् साल पहले कब्जा किया। यह जगह नमक गोदाम के नाम से चर्चित थी। इन लोगों ने जमीन पर दुकानें बनाई और व्यवसाय शुरू कर दिया। क्990-9क् में मामला खुला तो जांच हुई। जिसमें लगभग फ्ख् लोगों को अवैध कब्जेदारी में चिन्हित किया गया। तत्कालीन मेयर की ओर से मामले में आरोपी लोगों के खिलाफ मुकदमें कराए गए। फिर कार्रवाई की कवायद ठंडे बस्ते में चली गई। जमीन का मौजूदा बाजार मूल्य छोड़ें, सरकारी मूल्य ही करीब 7 करोड़ आंका गया है।

न जमीन मिली, न िकराया लिया

प्रेमनगर धर्मकांटा चौराहे पर भी निगम की करीब फ्ख्00 गज जमीन पर अवैध कब्जा किया गया। निगम की रोड-पटरी पर डेढ़ दर्जन से ज्यादा अवैध दुकाने सज गई। सोर्सेज ने बताया कि इलाके के ही आदमी ने अवैध कब्जा कर यहां दुकानें बनाई और फिर उनसे किराया वसूली करने लगा। निगम की नाक के नीचे हुए इस कब्जे पर अधिकारी सोते रहे। मामला खुला तो किराएदारों ने अधिकारियों से खुद को निगम में समायोजित करने की अपील की। साथ ही निगम के तहत किराया देने की भी बात की, लेकिन लापरवाह अधिकारी न तो जमीन से अवैध कब्जा हटा सके और न ही किराएदारों को लीगली निगम में शामिल कर रेवेन्यू के नए सोर्स जुटा सके।

धर्मदत्त सिटी हॉस्पिटल का मामला ठंडा

नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे का एक और नया मामला दो महीने पहले उजागर हुआ। प्रेमनगर में ही धर्मदत्त सिटी हॉस्पिटल से सटी निगम की खाली जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण शुरू हो गया। अधिकारियों के मुताबिक निगम की ओर से हॉस्पिटल को लीज पर जमीन दी गई थी। जिसकी मियाद पूरी होने के बाद उसे वापस लिया जाना था। लेकिन अधिकारियों ने लीज वापस लेने की कवायद न की। निगम की क्800 गज जमीन पर विवाद बढ़ा, तो मेयर व नगर आयुक्त ने मौके पर जाकर मुआयना किया और अवैध कब्जा करने वालों पर एफआईआर के निर्देश दिए। इसके बाद मामला शांत हो गया।

हजारों बीघा जमीन बर्बाद

बेशकीमती जमीन से हाथ धोने का सिलसिला शहर से सटे इलाकों में भी बदस्तूर जारी रहा। शहर के सीबीगंज एरिया के तीन गांव नंदौसी, परसाखेड़ा और गोटिया गांव में निगम की करीब क्ख्00 बीघा जमीन पर इलाकाई लोगों ने कब्जा कर लिया और उस पर खेती शुरू कर दी। बोर्ड बैठक व कार्यकारिणी में कई बार इसे लेकर पार्षदों ने नाराजगी जताई। मेयर ने भी ऐसी खाली जमीनों पर पॉपनी के पेड़ लगाने और इसके घेरेबंदी के निर्देश दिए। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इसी तरह

डीडीपुरम में कुष्ठाश्रम से सटी निगम की करीब भ्0 हजार गज जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर खेती शुरू कर दी। कंप्लेन के बावजूद निगम के अधिकारी सैंकड़ों बीघा जमीन को कब्जा मुक्त कराने एक बार फिर फिसड्डी साबित हुए।

जंक्शन की सरायाें पर कब्जा

जंक्शन से सटी नगर निगम की जमीन पर बनी सरायों पर भी भूमाफिया के आगे अधिकारी और निगम प्रशासन कमजोर साबित हुआ। जंक्शन पर निगम की सरायों पर भूमाफिया ने पहले अवैध कब्जा जमाया फिर किराए पर उठाकर मुनाफा कमाने लगे। इतना ही नहीं भूमाफिया ने करीब भ्0 से ज्यादा नई सरायों का निर्माण कर इन्हें किराए पर दे दिया। पूरे मामले में निगम के स्टाफ की मिलीभगत भी उजागर हुई। वहंीं निगम की करोड़ों की जमीन पर बने होटल भी मोटा मुनाफा कमाते रहे लेकिन निगम को किराया न अदा किया। इनमें से एक भी मामले में कोई कार्रवाई न की गई।

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निगम की संपत्ति पर अवैध कब्जेदारी के खिलाफ समय समय पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। अधिकारियों से दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए। लेकिन कार्रवाई न हुई। इस मामले में शासन तक रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर