हमारे भाई की मौत के पीछे है बड़ी साजिश!
रहस्यमय हालात में थर्सडे को बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के सचिव सुभाष चंद्र उत्तम की मौत हो गई। डिनर के बाद सोने गए सुभाष फिर नहीं उठ सके। कमरे में टीवी के साथ ब्लोअर भी चलता मिला। यही नहीं जिस कंडीशन में उनकी डेड बॉडी मिली उससे भी कई सवाल खड़े होते हैं। पोस्टमार्टम में भी मौत का कारण क्लियर न होने से रहस्य और गहरा गया है। अब बिसरा रिपोर्ट पर सबकी नजर है। इस बीच सुभाष के भाई सुजीत उत्तम ने कहा कि किसी साजिश की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। बता दें के सुजीत पीएसएफ सीतापुर में जिला प्रबंधक के पद पर तैनात हैं। इससे पहले पीसीएस अफसर की मौत की खबर से प्रशासनिक हलके में सनसनी फैल गई।
सुबह लगी मौत की खबर
सुबह 7:30 बजे माली कृपाल सिंह सचिव सुभाष चंद्र के प्रियदर्शनी, प्रेमनगर स्थित आवास पर पहुंचा। उसने देखा कि अंदर से ताला लगा था। नाइट का गार्ड दिनेश भी मौजूद नहीं था। बगल में चीफ टाउन प्लानर महावीर का फ्लैट है। कृपाल उनके फ्लैट के साइड में बने गेट से सुभाष चंद्र के फ्लैट में घुसा। अंदर जाकर उसने देखा कि मेन गेट के सामने गैलरी में टेबल पर चाबी रखी है। उसने ताला खोला और अपनी साइकिल अंदर रखी। कुछ देर बाद मौके पर दूसरे नौकर ओमकार व मि_न लाल भी आ गए। काफी देर तक कालबेल बजाई लेकिन गेट नहीं खुला। फिर बाबुओं व अधिकारियों को सूचना दी।
तोड़ा टॉयलेट का गेट
पीछे की खिड़की से न्यूज पेपर फाड़कर देखा तो सुभाष अंदर बेड पर पड़े थे। अधिकारियों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी बैक गेट से टॉयलेट का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे। अंदर का रूम टॉयलेट से अटैच था। कमरे में सचिव बेड पर अद्र्धनग्न अवस्था में पड़े थे। उन्होंने उल्टी कर रखी थी। कमरे में टीवी और ब्लोअर चल रहा था। लोवर नीचे पड़ा था। पड़ोस में रहने वाले डॉ। संजीव गुप्ता ने मृत घोषित कर दिया।
पहुंचे आला अफसर
सचिव की मौत के बाद पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। मौके पर एक के बाद एक अधिकारियों का तांता लग गया। सबसे पहले सिटी मजिस्ट्रेट शीलधर सिंह यादव पहुंचे। उसके बाद डीआईजी एलवी एंटनी देवकुमार, डीएम अभिषेक प्रकाश, एसपी सिटी शिवसागर सिंह, सीओ सिटी राजकुमार अग्रवाल व सीओ थर्ड ओमप्रकाश यादव पहुंचे।
हाथों से पकड़ रखा था बेड
मुंह से उल्टी होना भी संदेह खड़ा करता है। उल्टी के दौरान पूरा शरीर नहीं हिला है। फील्ड यूनिट की जांच में सामने आया है कि सुभाष ने हाथों से बेड को पकड़ा था। ऐसा क्या हुआ कि टीवी भी बंद करने का समय नहीं मिला। कहीं बगल वाले बंगले के गेट से अंदर तो कोई नही घुसा था। शराब की बोतल मिलने से भी संदेह गहराता है।
बिसरा किया गया प्रिजर्व
देर रात सीएमओ विजय कुमार यादव के नेतृत्व में तीन डॉक्टर्स अनिल अग्रवाल, एसके जौहरी व आईवी सिंह ने सुभाष का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई। इसमें मौत की वजह क्लीयर नहीं हो सकी है। डॉक्टरों ने लीवर, स्प्लीन, किडनी, ब्रेन व हार्ट सहित अन्य सभी ऑर्गन कंजेस्टेड पाए हैं। स्टमक में 50 एमएल डार्क कलर का फ्लूड पाया गया है। ऑक्सीजन की कमी भी मिली। हार्ट को प्रिजर्व कर लिया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि ऑर्गन कंजेस्टेड होने से मौत का कारण प्वॉइजन, फूड प्वॉइजनिंग, ब्रेन हैमरेज या कुछ और भी हो सकता है। वहीं फील्ड यूनिट को कांच के गिलास पर चार फिंगर प्रिंट्स मिले हैं। ये फिंगर प्रिंट्स किसके हैं, ये फॉरेंसिक जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
रात 10 : 54 पर लास्ट कॉल
सर्विलांस से पता चला कि सबसे आखिर में लखनऊ के मोबाइल नंबर 9450072458 पर सुभाष की करीब 17 मिनट बात हुई थी। कॉल रात 10:54 बजे से स्टार्ट होकर रात 11:13 बजे तक हुई। जिस नंबर से बात हुई, वह किसी परिचित का बताया जा रहा है। इस बीच, सूचना पर शाम करीब पौने चार बजे उनके भाई सुजीत उत्तम सीतापुर से पहुंचे। फिलहाल पुलिस सचिव के मोबाइल की कॉल डिटेल निकालकर मामले की जांच कर रही है।
चार नौकरों के जिम्मे था पूरा घर
ओमकार, मिट्ठन व कृपाल सचिव के बंगले में शाम तक काम करते थे। जबकि हरीश की ड्यूटी 2 बजे से रात 10 बजे तक थी। ओमकार घर में खाना बनाता था। सुभाष रात में खुद ही खाना गरम करके खाते थे। नौकरों ने बताया कि वैसे तो साहब दोपहर 2 बजे तक आ जाते थे लेकिन वेडनसडे को बीडीए की मीटिंग की वजह से थोड़ा लेट आए थे। ओमकार, कृपाल व मिट्ठन आवास से अपराह्न 3:30 बजे चले गए थे। दो बजे के बाद हरीश आवास पर रहता था।
आई थी एक लेडी
नौकर हरीश ने बताया कि रात में करीब 8:30 बजे सचान बाबू आए थे। बाबू से पहले कोई मैडम भी आईं थी। मैडम पहले भी एक-दो बार आ चुकी थीं। रात में गार्ड दिनेश आ जाता था। हरीश का कहना है कि साहब ने 8:30 बजे के बाद खाना खा लिया था. फिर उसने बादाम और दूध भी रख दिया था। इसके बाद रात 10:15 बजे साहब ने जाने के लिए कह दिया था। वह अंदर से ताला लगाकर पड़ोस वाले फ्लैट के अटैच गेट से निकल गया। हरीश ने बताया कि सुभाष दो दिन पहले ही गाजियाबाद में कोई शादी अटेंड करके लौटे थे।
फतेहपुर के थे सुभाष
सुभाष चंद्र उत्तम फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट के गांव रनूपुर, पोस्ट विरनई, थाना जहानाबाद, तहसील विंदकी के रहने वाले थे। उनकी मां का देहांत हो चुका है। उनके पिता सूरजवली उत्तम गांव में ही रहते हैं। उनकी पत्नी प्रभा उर्फ मुन्नी इलाहाबाद में टेलीफोन डिपार्टमेंट में अधिकारी हैं। दो बेटियां आयुषी व दिशी और एक बेटा शुभम हैं। आयुषी दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही है। जबकि दिशी नोएडा से बीटेक कर रही है। दो भाई सुजीत उत्तम व अरविंद उत्तम हैं। सुजीत उत्तम सीतापुर में पीसीएफ के जिला प्रबंधक हैं। वहीं अरविंद उत्तम कानपुर में सब रजिस्ट्रार हैं। उनकी बहन सुनीता कानपुर में एआरटीओ हैं। सुभाष चंद्र कानपुर के एडीएम रह चुके हैं। बरेली में उनकी पोस्टिंग 30 मई 2012 को हुई थी। इससे पहले वह गाजियाबाद में विकास प्राधिकरण में सचिव थे। सुभाष बंगले में अकेले ही रहते थे।
अनसलुझे सवाल
* सुसाइड या हार्ट अटैक बना वजह
* किसी ने खाने में धीमा जहर तो नहीं दिया?
* बंद कमरे में ब्लोअर से दम तो नहीं घुट गया?
* शाम को घर आने वाली लेडी कौन थी?
पोस्टमार्टम में मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। जब मैं पहुंचा तो स्टाफ ने बहुत सारी बातें बताई हैं। एक बड़े नेता द्वारा करोड़ों की जमीन को लेकर दबाव बनाने की बात सामने आई है। कुछ लोगों ने बीडीए की मीटिंग के बाद टेंशन होने के बारे में भी बताया है। भाई की मौत के पीछे कोई साजिश भी हो सकती है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-सुजीत उत्तम, सुभाष के भाई
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। विसरा प्रिजर्व कर लिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। पुलिस टीम मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
एल वी एंटनी देवकुमार, डीआईजी बरेली
नि:संदेह ये घटना बहुत दु:खद है। वह मेरे साथी थे और मेरे करीब भी थे। तनिक भी आंशका होती तो शायद बचा लेते। उनकी कमी हमें खलेगी।
राजमणि यादव, उपाध्यक्ष
मुझे बहुत प्यार करते थे। छोटे भाई की तरह मुझे रखते थे। किसी भी प्रॉब्लम को बड़ी ईजिली सुलझा लेते थे। मेरी ही तहसील के रहने वाले भी थे।
-अजय कुमार, उप सचिव बीडीए
साहब का नेचर बहुत ही अच्छा था। कभी किसी भी कर्मचारी को कुछ नहीं कहते थे। परिवार की तरह
ही रखते थे। उनकी मौत से विभाग को अपूर्ण क्षति हुई है।
-राजेंद्र, बीडीए में चपरासी
शाम को किसी के आने पर मुझसे चाय मंगाई थी। बोला था कि जितने भी कागज साइन कराने हों करा लो हो सकता है कि मैं फ्राइडे को इलाहाबाद जाऊं। ड्राइवर से भी टंकी फुल कराने के लिए कहा था।
-संतोष, बीडीए में क्लर्क
वेडनसडे को थोड़ा लेट आए थे। ऑफिस से आने के बाद सीधे घर के अंदर चले गए थे। घर पर स्टाफ आता-जाता रहता था। नेचर के काफी अच्छे थे।
-सतीश जुनेजा, पड़ोसी