Online होगी भाई की आरती

भाई दूज एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बंधन में बांधता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर आरती कर उनके ब्राइट फ्यूचर के लिए विश करती हैं। लेकिन जिनके भाई उनसे मीलों दूर हैं वे भले ही सामने बैठकर भाइयों की आरती न कर सकें लेकिन हाइटेक गैजेट्स उनकी पूजा पूरी करने में बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। जो भाई-बहन इस बार एक साथ नहीं हैं। बरेली में भी ऐसे कुछ भाई-बहन हैं जो विदेश में रहने की वजह से भाई दूज को ऑनलाइन सेलिब्रेट करेंगे।

Face to face नहीं तो क्या

रामपुर गार्डन में रहने वाली अंजली अग्रवाल कहती हैं कि उनके दो भाई हैं। एक राजीव किशोर जो यूएसए में हैं और दूसरा भाई प्रवीण किशोर आबुधाबी में जॉब करते हैं। अंजली कहती हैं मैं अपने भाइयों से छोटी हूं। मैं पिछले तीन साल से फेस टू फेस भाई दूज नहीं सेलिब्रेट कर पा रही हूं। भाइयों का काम की वजह से बरेली आना ही नहीं हो पा रहा है। इस वजह से आईफोन के जरिए ही दोनों को ऑनलाइन देखकर भाई दूज मनाती हूं। इसी पर भाई को टीका लगाती हूं और आरती उतारती हूं। यह आई फोन मेरे भाई ने ही पिछले भाई दूज पर गिफ्ट किया था।

पूजा की थाली भी online

अंजली बताती हैं कि दो साल पहले भाई को ऑनलाइन 1500 रुपए की थाली भी भेजी थी। जिसमें रोली, मिठाई, अक्षत सहित पूजा के सब सामान थे। वैसे भी भाइयों का जब इंडिया आना होता है तब मैं उन्हें रोली और अक्षत दे देती हूं, जिससे वह भाई दूज के मौके पर न आ सके तो भी रोली व अक्षत लगा ले। भले ही मेरे भाई इंडिया में नहीं हैं लेकिन टेक्नोलॉजी ने मेरी इस पीड़ा कम जरूर कर दिया है।

याद आता है celebration

धर्मकांटा के रहने वाले निर्भय सिंह अपनी बहन कौशिकी को बहुत मिस करते हैं। कौशिकी फिलहाल न्यूजीलैंड में रह रही हैं। निर्भय बताते हैं कि जब हम लोग साथ रहते थे तो मेरी बहन मेरे माथे पर तिलक व अक्षत लगाकर आरती उतारती थी। मैं भी उसे गिफ्ट भेंट करता था। न्यूजीलैंड जाने के बाद भी कौशिकी हमें इस दिन विश जरूर करती है। हालांकि इंटरनेट इसमें हमारी मदद करता है। मैं इस बार अपनी बहन को ऑनलाइन वॉच गिफ्ट करूंगा।

लंबी उम्र की wish

भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा फेस्टिवल है। जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को प्रकट करता है। इस दिन बहन अपने भाई की खुशहाली की कामना करती है। बहन अपने भाई को रोली और अक्षत का तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद भाई भी बहन को उपहार देते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है।

क्या है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इस दिन दर्शन दिया था। यमुना अपने भाई को देखने के लिए बहुत दिन से व्याकुल थी। अपने भाई के आगमन पर यमुना प्रसन्न होती है और भाई यम का सत्कार अच्छे से करती है। यम प्रसन्न होकर यह वरदान देते हैं कि इस दिन जो भी भाई-बहन एक साथ यमुना नदी में स्नान करते हैं तो उनके हर कष्ट दूर होते हैं।

 

पूजा की थाली

पूजा की थाली में मिठाई, गिफ्ट, गोला, पकवान, रोली, खेल-खिलौने का होना जरूरी।

पूजन विधि

इस दिन यमुना में स्नान कर यमुना और यम के पूजन का विशेष महत्व है। बहने अपने भाई को टीका लगाकर आरती करे। बहने खुद भोजन बनाकर भाई को अपने हाथ से भोजन कराए तो भाई की आयु बढ़ती है और जीवन में आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं।

भाई दूज के दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु के लिए व्रत करती है। भाई को टीका लगाकर आरती की जाती है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जो बहन सच्चे मन से पूजा करती हैं उनके भाई दीर्घायु होते हैं और जीवन में आने वाले सारे कष्ट दूर होते हैं।

- डॉ। संजय सिंह, ज्योतिषाचार्य

Report by: Prashant Kumar Singh