और सपना हुआ साकार
केवल मेहनत ही वह विकल्प है, जो सपनों को हकीकत का चोला पहना सकता है। ऐसा मानना है मिलख निवासी सेक्रेड हार्ट्स स्कूल से कामर्स ग्रुप टॉपर खुशदीप सिंह का। उनके पिता धर्मेद्रपाल सिंह को अपने बेटे की इस कामयाबी पर गर्व है। क्योंकि खेती ही परिवार के भरण पोषण का एक मात्र जरिया है। बेटे को बेहतर एजूकेशन प्रोवाइड कराने के लिए किराए के दो कमरों में गुजारा कर रहे हैं। पिता ने बताया कि पढ़ाई के खर्च के बाद बामुश्किल से घर का खर्च चल पाता है। बेटे को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए पिता ने काफी सपोर्ट किया। खुशदीप फैशन डिजाइनर बनना चाहते हैं। सीबीएसई एग्जाम में इन्होंने 89 परसेंट मार्क्स हासिल किया है।
- खुशदीप सिंह, 89 परसेंट, कॉमर्स, सेक्रेड हार्ट्स
मां को डेडिकेट यह कामयाबी
मेरी कामयाबी की वजह मेरी मां है। इसलिए उन्हीं को यह डेडिकेट करती हूं। 2006 में ब्रेन ट्यूमर के चलते पापा नहीं रहे। तब मैं फिफ्थ क्लास में थी। हम तीन भाई बहन की जिम्मेदारी मां पर ही थी। हम ज्वाइंट फैमिली में रहते हैं। मां ने पिता की जगह जॉब संभाली और हमारी जिम्मेदारी भी। मां से ही मुझे कड़ी मेहनत करने का जज्बा और मोटिवेशन मिला। उन्होंने हर चीज में मुझे पूरा सपोर्ट किया। मां-पापा ही मेरी प्रेरणा हैं। मुझे सीए करना है। इसके लिए मां से ही सीखा है।
- दिपांशी अग्रवाल, 96.2 परसेंट, कॉमर्स, जीआरएम
जवानों से सीखा जज्बा
मैं आईआईटी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग करना चाहता हूं। हमेशा से इस फील्ड में आने की चाहत रही है। मैं हमेशा से उसी के अनुरूप काम करता हूं। मुझे बाहर की दुनिया में काफी इंट्रेस्ट है। अर्थ के अलावा भी यूनिवर्स में कोई है। इस पहेली को सुलझाना चाहता हूं। मैंने कभी दायरे में रहकर पढ़ाई नहीं की। मेहनत करने का जज्बा फौजियों से मिला। लोग सचिन, शाहरूख या किसी बड़ी सेलिब्रिटी से ही प्रेरणा क्यों लेते हैं। मैं फौजियों के बारे में सोचता हूं, जो जान देकर हमारी रक्षा करते हैं। उन्हें कभी वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं।
- प्रियांश सक्सेना, 96 परसेंट, पीसीएम, बीबीएल