BAREILLY: बीएड के स्टेट एंट्रेंस एग्जाम में जहां एक तरफ प्रशासन अपनी चुस्त व्यवस्थाओं का दंभ भरता रहा वहीं उसी के सामने नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ती रहीं। प्रशासन ने धारा क्ब्ब् लागू होने का दावा किया था। लेकिन सेंटर्स के आसपास इसका कोई असर देखने को नहीं मिला। सेंटर्स के बाहर फोटो कॉपी की शॉप्स दिन भर खुली रहीं।
सरेआम धज्जियां उड़ीं
बीएड एंट्रेंस में पहले भी पेपर लीक होने की घटना हो चुकी है। ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए प्रशासन ने चुस्त व्यवस्थाओं के काफी दावे किए थे। बावजूद इसके सेंटर्स के बाहर कहीं पर भी धारा क्ब्ब् लागू होने का असर देखने को नहीं मिला। सेंटर्स के बाहर कैंडिडेट के परिवारीजनों के अलावा काफी संख्या में लोग भीड़ लगाए थे। यही नहीं सेंटर के भ्00 मीटर के दायरे में तमाम फोटोकॉपी की शॉप्स खुली थीं। बरेली कॉलेज में सबसे ज्यादा भ् सेंटर्स बनाए गए थे। जहां पर सबसे ज्यादा संख्या में स्टूडेंट्स को अलॉट किया गया था। यहां पर पूर्वी और पश्चिमी गेट स्थित सभी फोटोकॉपी की मशीनें खुली हुई थीं।
सब्जेक्ट के एग्जाम में छूटे पसीने
बीएड के फर्स्ट पेपर में जीके और हिंदी व इंग्लिश का एग्जाम था। स्टूडेंट्स ने बताया कि इस सेक्शन में काफी आसान सवाल पूछे गए थे। जनरल नॉलेज के क्वेश्चंस को काफी सामान्य थे। जबकि सेकेंड पेपर सब्जेक्ट का था। आर्ट, कॉमर्स और साइंस के स्टूडेंट ने अपने च्वाइस के अनुसार एग्जाम दिया। इसमें सबसे ज्यादा आर्ट के स्टूडेंट्स को परेशानी हुई। साहित्य के क्वेश्चंस इतने हार्ड थे कि स्टूडेंट्स को इसके बारे में जानकारी ही नहीं थी। वहीं साइंस में मैथ्स व फिजिक्स के क्वेश्चंस स्टूडेंट्स को थोड़े कठिन लगे। सिटी के क्9 सेंटर्स पर 9,7ख्0 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड थे। जिनमें से करीब क्0 परसेंट अब्सेंट रहे।
पेपर काफी नॉर्मल था। पढ़े हुए ही क्वेश्चंस आए। खासकर फर्स्ट पेपर में। जीके के क्वेश्चंस काफी ईजी थे। कुल मिलाकर पेपर मुझे टफ नहीं लगा।
- गजेंद्र सिंह, स्टूडेंट
मैने तो कॉमर्स लिया था। जिसमें बैंकिंग और अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स के क्वेश्चंस पूछे गए थे। मैने किताबों से तैयारी की थी। सब पढ़ा हुआ ही आया।
- आशीष, सिसोदिया
स्कूल की किताबों के काफी क्वेश्चंस थे। सब्जेक्ट के लिए जिन्होंने स्कूल की किताबों से तैयारी की होगी उनका पेपर अच्छा गया होगा।
- वीरभान, स्टूडेंट