होगा legalisation
अवैध कॉलोनीज के लीगलाइजेशन के लिए बीडीए ने एक यूनीक तरीका निकाला है। बीडीए पहले ऐसी कॉलोनीज को
आईडेंटिफाइ करेगा। फिर उनमें रोड, सीवर लाइन, वाटर लाइन और पार्क बनवाएगा। इसके बाद कंस्ट्रक्शन की कॉस्ट को उस
एरिया के मकानों के हिसाब से बांट दिया जाएगा। इस खर्चे को रेजिडेंट्स ही बीयर करेंगे। इस प्लान में रेजिडेंट्स का फायदा ये है कि उनके मकान का नक्शा बिना फीस लिए पास कर दिया जाएगा। इससे वे लीगल की कैटेगरी में आ जाएंगे।
First phase में 76 colonies
Compounding दो phase में
किसी भी कॉलोनी की कंपाउंडिंग दो फेज में होती है। नियमानुसार, पूरी कॉलोनी का लेआउट पास करवाना जरूरी होता है। इसके बाद हर मकान मालिक को अपने मकान का लेआउट पास कराना होता है लेकिन अवैध कॉलोनीज में ये दोनों ही काम नहीं होते हैं। पूरी कॉलोनी के डेवलपमेंट के लिए वहां की समिति को शमन शुल्क जमा करना होता है। इसके बाद हर बिल्डिंग के ओनर से अलग शमन शुल्क लिया जाता है, जो एक्चुअल में जमा नहीं किया जाता है।
नगर निगम को transfer
लीगलाइजेशन होने के बाद कॉलोनी नगर निगम को हैंड ओवर की जा सकती है। इसके बाद वह नगर निगम से रोड्स, वाटर लाइन, सीवर लाइन जैसी मूलभूत सुविधाएं पाने की हकदार होती है।
Survey का काम शुरू
2008 में एक शासनादेश आया था कि जिन कॉलोनीज में 50 मकान से ज्यादा बस चुके हैं, उनका लीगलाइजेशन कर दिया जाए। तब से बीडीए ऐसा करने का प्रयास कर रहा है लेकिन कोई भी योजना हंड्रेड परसेंट रिजल्ट नहीं दे सकी। बीडीए की नई योजना के तहत पहले फेज का सर्वे हो रहा है। सर्वे का काम मथुरा की प्राइवेट कंपनी एसआरसी इंफ्राटेक को दिया गया है। ये कंपनी सर्वे के बाद कॉलोनीज का लेआउट बनाकर बीडीए को सौंपेगी। इस लेआउट के आधार पर बीडीए कॉलोनीज का फिजिकल वैरीफिकेशन करेगी। अगर फिजिकल वैरीफिकेशन और लेआउट समान रहा, तो लीगलाइजेशन का प्रोसेस स्टार्ट कर दिया जाएगा। हालांकि इससे पहले ये प्रस्ताव बीडीए के बोर्ड मेंबर्स के सामने रखा जाएगा। वहां से परमिशन के बाद ही इस पर काम शुरू होगा।
करीब 8 लाख लोगों को फायदा
2011 की जनगणना के अनुसार, शहर में 2,13,063 मकान बने हुए हैं। बीडीए सोर्सेज के मुताबिक इन मकानों में से ज्यादातर बीडीए से एप्रूव्ड नहीं हैं। बीडीए के इस प्रयास से शहर की 8 लाख के आस-पास की आबादी को फायदा पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। सिटी में ज्यादातर कॉलोनियर्स लेआउट पर मकान बेचकर सैपरेट हो गए। ऐसे में कंपाउंडिंग कराने का बोझ रेजिडेंट्स पर ही पड़ गया है।
हमने सर्वे शुरू कर दिया है। इसके बाद कॉलोनीज में जरूरत के हिसाब से कंस्ट्रक्शन शुरू होगा। बीडीए के इस प्रयास से रेजिडेंट्स का बहुत फायदा होगा। कॉलोनी लीगल हो जाएगी और डेवलपमेंट का फायदा भी उन्हें ही मिलेगा।
-सुभाष चंद्र उत्तम, सचिव