- बीसीबी में पकड़ी गई पुरानी लिखी हुई कॉपी

- पेपर लीक होने की भी आशंका, व्हॉट्सएप पर लीक हुआ पेपर

- पेपर लीक से कॉलेज कर रहा है मना

BAREILLY: बरेली कॉलेज में खुलेआम आंसरशीट चोरी हो रही हैं। बाहर से लिखी हुई आंसरशीट अंदर ले जायी जा रही हैं। यही नहीं क्वेश्चन पेपर तक लीक हो रहा है। काफी दिनों से यह गोरखधंधा चल रहा है। कॉलेज अपनी चुस्त व्यवस्थाओं का हवाला देकर इन सभी आरोपों को नकार रहा है, लेकिन मंडे को एक ऐसा मामला पकड़ में आया जिसने आरयू के मेन एग्जाम्स को न केवल कलंकित कर दिया बल्कि यह भी साफ हो गया कि मेन एग्जाम्स में नकल बेकाबू है। बीसीबी में मंडे को एक स्टूडेंट के पास से लिखी पुरानी आंसरशीट मिली। जिससे यह साफ हो गया है कि पहले से ही लिखी हुई आंसरशीट एग्जाम में पहुंचाई जा रही है। मजे की बात यह है कि यह मामला तब पकड़ में आया जब एग्जाम खत्म हो गया था। अब कॉलेज इस पूरे मसले से अपना हाथ खींच रहा है।

एग्जाम के बाद पकड़ में आया मामला

यह मामला पहली पाली का है। एमएससी केमेस्ट्री फ‌र्स्ट ईयर का स्टूडेंट विक्रम गंगवार पेपर टू का एग्जाम दे रहा था। वह अपने को सछास का प्रदेश सचिव भी बताता है। एग्जाम खत्म होने के बाद उसने जो आंसरशीट जमा की वह पुरानी थी। यह मामला तब पकड़ में आया जब आंसरशीट के बंडल को कंट्रोल रूम में ले जाया गया। कंट्रोल रूम में कॉपियों के मिलान के बाद यह मामला पकड़ में आया।

सीरियल नम्बर का मिलान किया गया

विक्रम गंगवार का रोल नम्बर म्म्0क्0ख्00भ्क् है। उसे मंडे को 9भ्फ्ख्7फ्7 सीरियल नम्बर की आंसरशीट दी गई थी। लेकिन एग्जाम के बाद उसने जो कॉपी जमा की उस पर सीरियल नम्बर 9ब्भ्8भ्8म् अंकित था। यही नहीं छात्र ने कक्ष निरीक्षक के पास मौजूद डॉक्यूमेंट में कॉपी का सीरियल नम्बर भी बदल दिया था। जबकि जिस सीरियल नम्बर की कॉपी उसने जमा की है वह ख्ब् मार्च को दोपहर की पाली में बांटी गई थी। कंट्रोल रूम में सीरियल नम्बर के मिलान के बाद ही यह मामला पकड़ में आया कि कॉपी तो ख्ब् मार्च वाली जमा की गई है। जबकि विक्रम क्ख् मार्च से एग्जाम दे रहा है।

तो पहले ही हो गया था पेपर लीक

इस प्रकरण के बाद यह साफ हो गया है कि क्वेश्चन पेपर पहले ही लीक करा दिया गया था। जानकारी के मुताबिक व्हॉट्सएप पर पेपर लीक कर दिया गया था। प्राथमिक जांच में पता चला है कि विक्रम ने जो कॉपी जमा की है उस पर मंडे को दिए गए क्वेश्चन पेपर के सही आंसर क्रम में लिखे थे। जबकि उसने पुरानी कॉपी इस्तेमाल की थी। हालांकि कॉलेज पेपर लीक के मामले से अपना पल्ला झाड़ रहा है। यहां सवाल है कि उसे यदि एग्जाम रूम में ही आंसर लिखना था तो पुरानी कॉपी का इस्तेमाल क्यों किया। जांच में यह भी पता चला है कि कॉपी बीच से मुड़ी हुई थी। इससे साफ हो गया है कि कॉपी छुपा कर अंदर प्रोवाइड कराई गई है।

कई की मिलीभगत

इस खेल में कॉलेज के अन्य कर्मचारी और टीचर्स की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। विक्रम ने ख्ब् मार्च को बांटी गई कॉपी का इस्तेमाल किया। साफ है कि उस दिन कॉपी चोरी कर ली गई थी। तब कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को भनक नहीं लगी। वहीं मंडे को पुरानी कॉपी जमा करने के बाद वह नई कॉपी अपने साथ लेकर चला गया। एक बार फिर कॉपी चोरी कर ली गई। कॉलेज में अंदर एंट्री करने से पहले स्टूडेंट्स की चेकिंग की जाती है। बावजूद इसके कॉपियां चोरी हो रही हैं और अंदर पहुंचाई जा रही हैं।

कॉलेज कार्रवाई से पीछे हटा

इतना बड़ा प्रकरण पकड़ में आया है। लेकिन कॉलेज इसमें अपने स्तर से कार्रवाई करने में पीछे हट रहा है। विक्रम कॉलेज का रेगुलर स्टूडेंट है। साफ है कि चोरी हुई कॉपी इस्तेमाल हुई है, बावजूद इसके कॉलेज ने इस संबंध में अपने स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया। सीनियर सेंटर सुपरिंटेंडेंट डॉ। एके सक्सेना ने बताया कि ऐसा मामला संज्ञान में आया है। जिसके बाद इसकी जांच के लिए आरयू को लेटर भेज दिया गया है। लेटर में पूरे मामले का ब्योरा दे दिया गया है। वहीं चीफ प्रॉक्टर डॉ। अजय शर्मा ने बताया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं। उन्हें इस संबंध में कुछ खास जानकारी नहीं है।

मामले को निपटाया जा रहा है

पूरे मामले को निपटाने की कोशिश की जा रही है। एक तरफ कॉलेज अपने स्तर से कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता तो दूसरी तरफ आरयू को भी इस संबंध में कुछ भी नहीं बताया गया है। रजिस्ट्रार एके सिंह ने बताया कि उन्हें इस संबंध में कोई इंफॉर्मेशन नहीं है। कॉलेज ने न तो उन्हें फोन किया और न ही कोई रिपोटर्1 दी है।

छात्रनेताओं पर नहीं लगा पा रहे हैं लगाम

बीसीबी एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स लीडर्स पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। वे एग्जाम में खुलेआम कैंपस में घूमते हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड उनको रोकता है उनसे ही भिड़ जाते हैं। पिछले वीक में ही एबीवीपी का एक छात्रनेता चीफ प्रॉक्टर से भिड़ गया था। इसके बाद सछास का भी एक छात्रनेता की चीफ प्रॉक्टर से भिड़ंत हो गई थी। वह एग्जाम के बीच में ही एग्जाम रूम में घुस गया था। इन दोनों ही मामले में चीफ प्रॉक्टर ने कोई मामला दर्ज नहीं किया।