ठेकेदारी पॉलीटिक्स हावी

जानकारों की मानें तो बीसीबी कैंपस की स्टूडेंट्स पॉलीटिक्स सीधे तौर पर ठेकेदारी की पॉलीटिक्स से जुड़ी है। स्टूडेंट्स लीडर्स का सारा टशन इन्हीं ठेकों को हथियाने में इस्तेमाल होती है। स्टेट में जिसकी सत्ता रहती है उसके स्टूडेंट्स लीडर्स का पलड़ा ज्यादा भारी होता है। ठेका पाने की यह लड़ाई मारपीट और वर्चस्व के रूप में स्टूडेंट्स लीडर्स के बीच खुलकर सामने आ जाती है।

हर ठेके पर इनका ही अधिकार

जो स्टूडेंट लीडर जितना पावरफुल होता उसका कैंपस के उतने ही बड़े ठेके पर अधिकार बढ़ता चला जाता है। बरेली कैंपस में ही ऐसे तमाम काम हैं जिनके लिए ठेके निर्गत किए जाते हैं। इन ठेकोंं को हथियाने वाले कोई और नहीं यही इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव्ज होते हैं। जीसीआर कैंटीन, गल्र्स और ब्वॉयज हॉस्टल का रिनावेशन, उनके मेस की फैसिलिटी, कैंपस के अंदर के रोड कांस्ट्रक्शन के साथ कैंपस के जो भी कंटस्ट्रक्शन वक्र्स होते हैं उनका अधिकांश ठेका स्टूडेंट्स लीडर्स ही हथियाते हैं।

अपने चीफ गेस्ट को दिलाते हैं अलग सम्मान

अलग-अलग शपथ ग्रहण कराकर विभिन्न पार्टी के स्टूडेंट लीडर्स अपने चीफ गेस्ट को एक अलग ही ट्रीटमेंट देते हैं। ऐसे में उनके चीफ गेस्ट का सबसे अलग सम्मान तो होता ही है साथ ही स्टूडेंट्स लीडर्स इस तरह के समारोह में उन्हें अलग से इनवाइट कर नेताओं संग नजदीकियां बढ़ाते हैं।

पुराना है इतिहास

बरेली कॉलेज में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन की हिस्ट्री हर बार रिपीट होती है। 2003 की बात करें तो वाइस प्रेसीडेंट, जनरल सेक्रेटरी संयुक्त मोर्चे के, पुस्तकालय मंत्री एबीवीपी का और प्रेसीडेंट निर्दलीय था। इनका भी शपथ ग्रहण अलग-अलग कराया गया था। 2004 में प्रेसीडेंट एबीवीपी का, वाइस प्रेसीडेंट एनएसयूआई का, जनरल सेक्रेटरी सछास के थे। इन्होंने भी एक साथ शपथ ग्रहण नहीं किया। 2005 में प्रेसीडेंट और जनरल सेक्रेटरी एबीवीपी और वाइस प्रेसीडेंट सछास के रहे। 2006 में प्रेसीडेंट व पुस्तकालय मंत्री सछास और वाइस प्रेसीडेंट व जनरल सेक्रेटरी एबीवीपी के रहे। इन दोनों वर्षों में भी एक साथ शपथ ग्रहण नहीं कराया गया।

चुनाव अधिकारी को नोटिस

बीसीबी स्टूडेंट्स यूनियन के वाइस प्रेसीडेंट विनोद जोशी ने चुनाव अधिकारी डॉ। बीबी लाल को मानहानी का नोटिस भेजकर केवल प्रेसिडेंट का चुपके से शपथ ग्रहण करवाने का जवाब मांगा है। उनका कहना है कि यह उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। उन्हें इसकी इंफॉर्मेशन नहीं दी गई। जबकि शपथ ग्रहण में सबको इनवाइट करना चाहिए था। उन्होंने नोटिस के जरिए चुनाव अधिकारी से इस संबंध में 7 दिनों में जवाब मांगा है।

सपा के रंग में रंगा रहेगा समारोह

वाइस प्रेसीडेंट, जनरल सेक्रेटरी, पुस्तकालय मंत्री समेत बाकी फैकल्टी के इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव्ज का शपथ ग्रहण 3 दिसम्बर को ऑर्गनाइज किया जाएगा। सपा के जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव को चीफ गेस्ट बनाया गया है। हालांकि शपथ ग्रहण कॉलेज की तरफ से ऑर्गनाइज किया जा रहा है, लेकिन वह पूरी तरह से सपा के रंग में रंगा हुआ है। प्रेसीडेंट जवाहर लाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए प्रिंसिपल से इस इवेंट को राजनीतिक रूप न देने की मांग की है। कैंपस के क्रिकेट ग्राउंड में बड़े पैमाने पर टेंट लगाया जा रहा है। सैकड़ों की संख्या में शिरकत करने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। जिसका खर्च यूनियन फंड से किया जा रहा है।

दरअसल यह पूरा खेल कॉलेज मैनेजमेंट का ही है। वह कभी नहीं चाहता कि स्टूडेंट्स लीडर्स में एकजुटता आए। यही वजह है कि वह ओथ सेरेमनी में देरी करता है और ऐसी स्थिति पैदा होती है। कॉलेज मैनेजमेंट स्टूडेंटस लीडर्स के कंधों पर बंदूक रखकर अपनी राजनीति करता है।

- जवाहर लाल, प्रेसीडेंट, बीसीबी

यह कॉलेज मैनेजमेंट की पॉलीटिक्स है जो स्टूडेंट्स लीडर्स को एक मंच पर खड़ा नहीं होने देना चाहता। शपथ ग्रहण तो वह अलग करवाता ही है, साथ ही जहां तक ठेके देने का सवाल है तो वह भी तो मैनेजमेंट ही प्रोवाइड कराता है। स्टूडेंट्स लीडर्स में फूट डालकर वह अपना हित साधता है।

-विनोद जोशी, वाइस प्रेसीडेंट, बीसीबी

बीसीबी में कैंपस पॉलीटिक्स ठेका हथियाने का जरिया बन गई है। कैंपस के जो भी कार्य होते हैं चाहे वो कंस्ट्रक्शन वक्र्स हों या फिर कैंटीन व मेस का ठेका, सभी पर स्टूडेंटस लीडर्स का ही अधिकार है। यही कारण है कि इनके बीच हमेशा टेंशन बनी रहती है और ये जीतने के बाद कभी एकसाथ मंच पर खड़े नहीं हो पाते।

-ओमकार पटेल, स्टूडेंट लीडर, बीसीबी