- पूर्वाभाद्र और शनि का प्रभाव होने से बन रहा है 'शनिबृहस्पतेय योग'
- ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक शिक्षा और व्यापार से जुड़े लोगों के लिए खास
BAREILLY:
बसंत प्रेम का प्रतीक है, इस दिन न केवल भूमि बल्कि आसमान भी पीली चादर ओढ़ लेता है। विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन का पावन दिन है बसंत पंचमी। विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों के लिए यह दिन खास होता है। और इसी खास दिन पर बन रहे 'शनिबृहस्पतेय' योग से विद्यार्थियों को विशेष लाभ होने की संभावना है। वहीं, यह योग व्यापारियों के लिए भी खास रहेगा, ऐसी संभावना ज्योतिषाचार्यो की ओर से जताई जा रही है। वहीं, दूसरी ओर इस दिन परिवार सहित मां सरस्वती का पूजन कर
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए खास
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए खास रहेगा। मां सरस्वती की कृपा से विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वहीं, क्योंकि इस बार बसंत पंचमी पूर्वाभाद्रपद व शनिवार को होने से बन रहे योग के प्रभाव से इसमें गुणात्मक बृद्धि होने की संभावना है। शनि भी विद्याक्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए खास है। ऐसे में यह संयोग हाल ही में होने वाले एग्जाम और इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए विशेष रहेगा।
पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य पं। राजेंद्र त्रिपाठी के अनुसार शिक्षा और व्यापार क्षे से जुड़े लोग सुबह उठकर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें। साफ जगह पर बैठकर मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा चित्र को विराजित करें। इसके बाद भगवान गणेश व माता अंबा का ध्यान कर समस्त देवों का ध्यान करें। फिर 'या देवि सर्वभूतेषू विद्यारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्ये नमो नमम:' का जाप कर पीले पुष्पों से मां का पूजन करें।
पीले भोग का महत्व
पं। नंदकिशोर जोशी के अनुसार बसंत पंचमी के दिन जातक वाग्देवी सरस्वती को पीला भोग लगाएं। घर में भोजन भी पीले रंग का ही बनाएं। इस दिन विशेषकर मीठा चावल बनाया जाए तो बेहतर रहेगा। वहीं, खीर में ड्राई फ्रूट्स डालकर बनाएं और इसे खाने के लिए दोपहर को परोसें। क्योंकि दोपहर के वक्त दिन का रंग पीला ही होता है। वहीं, अतिथियों को भी पीली बर्फी से ही स्वागत करें। क्योंकि पीला रंग मानसिक स्थिति और अंधेरे और नाकारात्मक बिचारों को दूर करता है। ऐसे में अगर जातक गायन व वाद्य यंत्रों के जरिए कार्यक्रम आयोजित करें तो इस दिन का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।