बरेली (ब्यूरो)। बारिश अभी शुरूआत ही है, लेकिन इससे पहले से ही डेंगू के केसेस की संख्या बढऩा शुरू हो गई। यानि अभी से डेंगू के केसेस की संख्या 20 के करीब पहुंचने वाली है। जबकि रूरल एरिया में डीपीआरओ के माध्यम से और अर्बन में नगर निगम की टीम के माध्यम से इसके लिए भारी भरकम बजट खर्च करने को दिया जाता है ताकि वह डेंगू को कंट्रोल करें और लगातार फागिंग और एंटी लार्वा का छिडक़ाव कराते रहें। लेकिन इसके बाद भी डेंगू के आंकड़ों पर गौर करें तो ये बेकाबू होता जा रहा है। अब ऐसे में तो साफ है कि डेंगू के लिए जब इतना बजट खर्च किया जाता है इसके लिए नगर निगम और हेल्थ विभाग को तो इसमें कुछ तो लोचा है जो डेंगू कंट्रोल होने की बजाय अंकंट्रोल होता जा रहा है।

डेंगू से निपटने टीमें
अफसरों का दावा है कि नगर निगम की तरफ से 80 वार्डो के लिए एंटी लार्वा का छिडक़ाव और फागिंग के लिए 80 टीमें लगाई गई है। एक टीम में दो लोगों को रखा गया है। एक टीम एक वार्ड में शेडयूल के अनुसार फॉगिंग करती है। जबकि एंटी लार्वा का छिडक़ाव सिर्फ ठहरे हुए पानी, या फिर कहीं पर भी जाकर चेक करती है और उसके बाद लार्वा होने पर वहां पर छिडक़ाव करती है नगर स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि वार्डो से कोई समस्या ने हो इसके लिए प्रत्येक वार्ड में एंटी लार्वा की दवा का छिडक़ाव करने के लिए दवा और मशीन पार्षद के लिए दी गई है। जबकि फागिंग के लिए जोन बायज मशीन है जो शेडयूल के अनुसार फागिंग करती है।

जहां केस निकलता है एक्शन
जिला अस्पताल में संचारी रोगों की रोकथाम के लिए तो पूरा एक डिपार्टमेंट इसी के लिए काम करता है। इस डिपार्टमेंट का नाम जिला मलेरिया डिपार्टमेंट है। यहां पर एक अधिकारी जिला मलेरिया अधिकारी और उनकी सहयोगी टीम है। जो सिटी से लेकर गांव तक एक्टिव होकर काम करती है। संचारी रोगों में आने वाला डेंगू को नियंत्रण करने के लिए डीएमओ के अंडर में 3273 टीमों को लगाया गया है। ये टीमें प्रत्येक घर तक जाती है और वहां पर लोगों को स्क्रीनिंग करती है। लक्षण मिलने पर उनकी जांच और उन्हें हॉस्पिटल तक भेजने का काम करती है। डीएमओ सतेन्द्र सिंह का कहना है कि अगर डेंगू का कोई केसेस सामने आता है तो वहां पर फिर हेल्थ विभाग की टीम जाती है। उस एरिया के लोगों की भी जांच कर वहां पर एंटी लार्वा का छिडक़ाव और फागिंग का काम कराया जाता है। इसके लिए टीमें तैनात की गई है।

लार्वा के लिए पैराथ्रम
डीएमओ सत्येंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि अभी तक जिले में डेंगू मलेरिया के लार्वा को नष्ट करने के लिए पैराथ्रम का इस्तेमाल होता था। मिट्टी का तेज नहीं मिलने की वजह से समस्या हो रही है। छिडक़ाव हो ही नहीं पा रहा है। ऐसे में बीच का रास्ता निकालने के लिए अब साइफेनोथ्रीन पांच प्रतिशत को लाया जा रहा है। वहीं दूसरी, ओर फाङ्क्षगग के लिए अभी भी मैलाथियान दवा का इस्तेमाल किया जाता था। मगर अब अब विभाग के पास साइफेनोथ्रीन का भी विकल्प तैयार हो गया है। इन दवाओं का प्रयोग से एंटी लार्वा और फागिंग के लिए यूज किया जा रहा है।

निगम की फागिंग व्यवस्था
-शेडयूल के अनुसार भी आपकी कॉलोनी या मोहल्ले में फागिंग करने के लिए टीम जाती है
-अगर कोई व्यक्ति फागिंग कराना या फिर एंटी लार्वा का छिडक़ाव कराना चाहता है तो पार्षद को बता दे
-जोन ऑफिस में भी कंप्लेंट कर फागिंग और एंटी लार्वा का छिडक़ाव कराया जा सकता है
-नगर स्वास्थ्य अधिकारी से बताकर फागिंग और एंटी लार्वा का छिडक़ाव करा सकते है
-नगर निगम के कंप्लेंट नम्बर पर भी शिकायत दर्ज कराके फागिंग की शिकायत दर्ज करा सकते हैं
-कहीं पर अगर डेंगू का केस निकलता है तो वहां पर हेल्थ विभाग की टीम एंटी लार्वा और फागिंग कराता है