बरेली (ब्यूरो)। भारतीय दंड संहिता &आईपीसी&य अब भारतीय न्याय संहिता &बीएनएस&य हो गई है। इस बदलाव से सभी धाराओं की संख्याओं में बदलाव हुआ है। इस बीच पुलिस, अधिवक्ता, वादी और प्रतिवादी कानून की पुरानी शब्दावली से ही बंधे हुए है। जैसे की मय हमराही, वहवाले रपट, मामूर होकर, जाया, तलाशी, जेरे इलाज, जुर्म जरायम, मुसम्मात, मुशतबहा, नजरी समेत 350 से अधिक उर्दू, अरबी और फारसी शब्दावली इस बदलाव का कोई असर नहीं हुआ है। ऐसी शब्दावली पुलिस की लिखा पढ़ी में पहले की तरह ही प्रयोग में लाई जा रही है।

चैलेंजिंग पुराने शब्द
पूरे देश में अब तक प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा 154 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज की जाती है। लेकिन एक जुलाई से कानून में बदलाव होने के बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट &धारा 173 बीएनएसएस के तहत&य दर्ज की जा रही है। बीएनएसएस लागू होने के बाद कई धाराओं में बड़ा बदलवा हुआ है। में सभी अपराधों की धाराओं की संख्या बिल्कुल बदल गई है। लेकिन जिसको लेकर मौजूदा समय में भी एक बहस छिड़ी हुई है। लेकिन इस सब में खास बात यह है कि धाराएं भले ही बदल दी गईं हो। लेकिन कानून की शब्दावली अब भी उर्दू, अरबी और फारसी शब्दों तक ही लगभग सीमित है। आम नागरिक के मुकदमें में पुलिस के प्रयोग होने वाले ज्यादातर शब्द कई सालों पुराने है। जिसमें किसी तरह का कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा पुलिस की ओर से दर्ज होने वाली एफआईआर और गिरफ्तारी की फर्द पूरी तरह से इन्ही शब्दों से समाई हुई है। जो आम लोगों के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है, पर यह शब्द पुलिस के लिए यह शब्द शार्टकट की तरह है। यही वजह है कि पुलिस आजतक इस शब्दों का खूब प्रयोग कर रही है। इन शब्दों को हटाने के लिए समय-समय पर मांग होती रही है। बावजूद इसके इन शब्दों को हटाने के बारे में विचार नहीं हुआ है।


कानूनी शब्द अर्थ
जेर निगरानी--- देख रेख में
मय हमराही --- साथी कर्मचारी
मुसम्मात ----- सुश्री, श्रीमती
मुशतबहा ---- व्यक्ति पर अपराध करने का शक
मजरूब----जख्मी, घायल
मुलाहजा ----निरीक्षण घटना स्थल
अदमपता---- जिसका पता न चले
मुलाकी--- अचानक मिलना
मुसम्मी-----अमुक व्यक्ति
ताईद--- पुष्टि करना, समर्थन करना
मजबून---- विषय
परवाना----लिखित आदेश
ठकरारनामा--- समझौता पत्र
फरीक अव्वल----पथम पक्ष
इनसिदादे जराइम--अपराधों को निवारण
फर्दन-फर्दन----अलग-अलग
समायत----सुनवाई
हलफन---शपथपूर्वक
हस्बतलब--बुलाने के अनुसार
मोहरिर्र-----लिपिक
दीगर----- अन्य
ताजिराते हिन्द---भारतीय दंड संहिता
जेरे हिरासत----अभिरक्षा



कानूनी प्रक्रिया में बहुत सारे शब्द ऐसे हैं, जिनको सिर्फ कानून के जानकार ही समझ सकते है। यह शब्द आम भाषा में होना चाहिए। मेरा मानना है कि एफआईआर देवनागरी लिपी होनी चाहिए।
मनोज कुमार हरित, अध्यक्ष बार एसोसिएशन