आईएमए में फिजियोथेरेपी पर हुआ नर्सिग स्टूडेंटस व एक्सपर्ट्स का वर्कशॉप
BAREILLY:
रूटीन लाइफ में फिजिकल एक्टिविटी की कमी और स्मार्टफोन पर बढ़ती निर्भरता ने लोगों को स्पॉन्डलाइटिस बीमारी की सौगात दे दी है। दिन भर में देर तक स्मार्टफोन पर गर्दन टिकाए रखने की आदत ने इस बीमारी को युवाओं में भी पैठ बनाने का मौका दे दिया है। स्मार्टफोन से होने वाले इन खतरों से आगाह करने और स्पॉन्डलाइटिस से निजात के लिए फीजियोथेरेपी के महत्व पर संडे को आईएमए भवन में एक वर्कशॉप हुई। सरन हॉस्पिटल व पैरामेडिकल नर्सिग इंस्टीट्यूट और आईएमए की ओर से आयोजित इस सीएमई व वर्कशॉप में शहर के 8 पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स व एक्सपर्ट्स ने भागीदारी की। इस मौके पर आईएमए प्रेसीडेंट डॉ। जेके भाटिया, जनरल सेक्रेटरी डॉ। राजेश कक्कड़, डॉ। भारती सरन, डॉ। अशविर बत्रा, डॉ। अनूप आर्या व अन्य मौजूद रहे।
रेगुलर फिजियोथेरेपी जरूरी
वर्कशॉप में मौजूद डॉ। सुदीप सरन ने बताया कि गर्दन झुका कर बैठना-पढ़ना, कुर्सी पर गलत पोज में बैठना, पैदल कम चलना व एक्सरसाइज न करने से मांसपेशियां कमजोर पड़ रही हैं। इससे जोड़ों में दर्द, अकड़न व सूजन की दिक्कत होती है। यह दिक्कतें पहले 70 साल की उम्र में दिखाई देते थी, लेकिन 40-45 साल के लोगों में भी घुटने व जोड़ों के केसेज आने लगे हैं। गर्दन की दिक्कत के चलते 20-25 साल के युवाओं में भी स्पॉन्डलाइटिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे निजात के लिए फिजियोथेरेपी कारगर इलाज है। एक्सपर्ट ने बताया कि इन बीमारियों से बचने के लिए बिना जिम जाए घर पर ही 20 मिनट की एक्सरसाइज से जोड़ों के दर्द से बचाव हो सकता है।
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