बरेली (ब्यूरो)। तीन सौ बेड अस्पताल की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। आए दिन किसी न किसी वजह से यह सुर्खियों में बना ही रहता है। अभी तक अस्पताल में सिर्फ डॉक्टर्स की कमी बनी हुई थी, लेकिन अब पानी की भी किल्लत से भी अस्पताल जूझ रहा है। हालत यह है कि करोड़ों रुपयों की लागत से बनेहॉस्पिटल में आज समस्याओं का अंबार खड़ा है, जिनसे यहां आने वाले पेशेंट्स को दो-चार होना पड़ रहा है।
डॉक्टर्स की कमी
अस्पताल लंबे टाइम से डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा हैै। यहां पर आए दिन कोई न कोई डॉक्टर लीव पर बने रहते हैं। जिससे वहां पर आर रहे पेशेंट्स को परेशानी झेलनी पड़ती है। बुधवार को दो डॉक्टर्स के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि एक डॉक्टर परेशान होकर छुट्टïी पर चली गईं। वह शनिवार को वापस आईं।
समय से पहले गायब
अस्पताल में ओपीडी समय से पहले ही बंद हो जाती है। सेटर्डे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने कुछ टाइम वहां बिताया तो पता चला कि डॉक्टर और स्टाफ के बैठने का टाइम ही फिक्स नहीं है। कई कर्मचारी तो 1:30 बजे से पहले ही अपनी सीट छोडक़र चले गए। कई के चैैंबर खाली दिखे। इसके बारे में अस्पताल के सीएमएस डॉ। सतीश चंद्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर की कमी को सीएमओ के सामने रखा जा चुका है। इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है। अस्पताल में फिजिशियन्स और डर्मोटोलॉजिस्ट की कमी की वजह से पेशेंट्स को परेशानी होती है, लेकिन अभी ट्रेनी के तैर पर कुछ इंटर्न आए हुए हैं, जिनकी वजह से सब चल रहा है। अस्पताल में परमानेंट डॉक्टर नहीं हैं। आउटसोर्सिंग और डिस्ट्रिक हॉस्पिटल से स्टाफ को रखकर कमी को पूरा किया जा रहा है। रही बात डॉक्टर के टाइम की तो उसकी प्रॉपर नोटिंग की जा रही है और टाइम को भी मेंशन किया जा रहा है कि कौन कितने समय रुक रहा है और कितने मरीज देख रहा है।
एक हफ्ते से नहीं है पानी
अस्पताल में एक हफ्ते से पानी की कमी बनी हुई है। कर्मचारियों ïïने बताया कि एक हफ्ते से पानी नहीं आ रहा है। सबमर्सिबल पंप खराब पड़ा हुआ है। कई बार मैकेनिक को बुलाया गया, लेकिन पता चला कि अस्पताल प्रभारी ने उसे लौटा दिया। इसके बाद दूसरे मैकेनिक को बुलाया गया, जो थर्सडे को पहुंचा। उिसने मोटर चेक की तो वह खराब निकली। सीएमएस का कहना है कि सीएमओ की इसकी जानकारी दे दी गई है और उनसे नई मोटर की डिमांड कर दी गई है।
स्टॉक में नहीं थे पर्चे
कर्मचारियों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में काफी परेशानी देखने को मिल रही है। यहां तक कि अस्पताल में पर्चे तक की कमी से हंगामा देखने को मिल रहा है। एंपलॉइज ने बताया कि परसों पर्चों की कमी हो गई थी। इसकी वजह से सिर्फ उनके पास 100 पर्चे बचे हुए थे, लेकिन उसी दिन ओपीडी में लोगों की लाइन लगी हुई थी। उस दिन डॉक्टर ओपीडी में समय से बैठे थे, मरीजों को देखा, लेकिन पर्चे की कमी की वजह से वे चले गए। जल्दी-जल्दी में पर्चों के फ ोटो स्टेट कराकर लोगों को उपलब्ध कराया गया।
लाइट की कमी
अस्पताल में लाइट का भी कोई बैक अप नहीं है। लाइट जाने के बाद पूरे अस्पताल में अंधेरा फैल जाता है। दो दिनों से लाइट की कमी की वजह से सीटी स्कैन के लिए आ रहे लोगों को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है। मरीजों से बात करने पर पता चला कि वे दो-तीन घंटों से इंतजार कर रहे हैैं कि उनका नंबर आए, लेकिन लाइट की परेशानी लगातार बनी हुई है। अस्पताल में जेनरेटर की फैसेलिटी अवलेबल नहीं है। वहीं अस्पतालकर्मियों के लिए रहना एक और परेशानी बनी हुई है। कोविड काल में अलॉट हुए घर में आज भी समय सीमा खत्म होने के बाद रह रहे हैैं। सीएमएस ने बताया कि टोटल 41 लोग ऐसे हैैं जो बिना किसी अनुमति के रह रहे हैैं। अस्पताल में लाखों का सामान भंगार की तरह पड़ा हुआ है। इसके लिए कोई इनिशिएटिव ही नहीं लिया जा रहा है। वेलफर्निशड आईसीयू, मशीन लगी हुई हैं, लेकिन लोगों को इसका फायदा ही नहीं मिल रहा है।
अस्पताल का चार्ज मुझे जल्द ही मिला है और यहां चल रही कमियों को जल्द दूर करने के लिए काम किया जा रहा है। इसके अलावा परेशानियों के लिए सीएमओ को भी अवगत करा दिया गया है।
-डॉ। सतीश चंद्रा, सीएमएस