School association की पहल
शहर की एकमात्र स्कूल एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ऑफ बरेली की नींव रखने वाले एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेश अग्रवाल जौली के दिमाग में कुछ समय पहले यह आइडिया आया। यह आइडिया उन्हें बंगलुरु में 2008-09 में हुए म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के इलेक्शन से मिला। बंगलुरु के सभी स्कूल्स ने अपने स्टूडेंट्स के एक प्रोजेक्ट को पेरेंट्स के वोटिंग मार्क से रिप्लेस कर दिया था। पेरेंट्स ने आकर अपना वोटिंग मार्क दिखाया और उनके बच्चों को इंटरनल प्रोजेक्ट में उसके बदले माक्र्स मिले।
यहां भी वही concept
जीआरएम के मैनेजर राजेश जौली बंगलुरु की तर्ज पर ही अपने शहर में भी वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने के लिए यही कॉन्सेप्ट अपनाने की कोशिश करेंगे। पहले वह स्कूल एसोसिएशन की मीटिंग बुलाएंगे। अब तक वह असेंबली इलेक्शन की डेट डिक्लेयर होने का वेट कर रहे थे। एसोसिएशन की मीटिंग में सभी की सहमति से कोई डिसीजन लिया जाएगा। मोस्ट प्रॉबेबली यह मीटिंग मिड जनवरी के आसपास होगी। तभी क्लियर हो पाएगा कि यह आइडिया पूरा हो पाएगा या नहीं।
5-10 marks
अभी तो केवल एक आइडिया आया है। एक वोट के बदले कितने माक्र्स मिलेंगे इस बारे में अभी नहीं कहा जा सकता है। संभावना है कि वह प्रोजेक्ट 5 से 10 नंबर का हो सकता है। अब तक आपका बच्चा नेट कैफे जाकर अपना प्रोजेक्ट तैयार करता होगा। अब यह एक प्रोजेक्ट आप घर से बाहर कदम निकालकर पूरा कर सकेंगे।
80,000 vote
इस एसोसिएशन से जुड़े शहर में आईसीएसई और सीबीएसई के 24 स्कूल्स हैं। इन स्कूल्स में करीब 40 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इन सभी के पेरेंट्स और गार्जियन वोट डालेंगे तो करीब 80 हजार वोट पड़ेंगे। ये टोटल इलेक्टर्स का करीब 5 परसेंट हिस्सा कवर करता है।
कम पड़ रहे हैं vote
अगर इसी तरह से लोग वोट करने के लिए एनकरेज होते हैं तो अच्छा है। यह जरूरी भी है। शहर में लगातार वोटिंग परसेंटेज कम हो रहा है।
Parliamentary election
Year Voting percentage
1999 62 परसेंट
2004 52 परसेंट
2009 50 परसेंट
Assembly election
Year Voting percentage
2002 59 परसेंट
2007 52 परसेंट
ऐसा होता है तो काफी अच्छा है। कभी-कभी ऐसा होता है कि आलस की वजह से लोग वोटिंग के दिन छुट्टी सेलिब्रेट करते हैं और वोट करने नहीं जाते।
-डॉ। संजय कुमार, पेरेंट
एक डेमोक्रेटिक कंट्री के निवासी होने के नाते हम अपनी ड्यूटीज नेगलेक्ट नहीं कर सकते। वोट डालना अधिकार के साथ-साथ हमारी ड्यूटी भी है।
-पूनम खत्री, पेरेंट
अगर ऐसा होता है तो अच्छा है। हम अपने पेरेंट्स को वोट डालने के लिए जरूर कहेंगे। आखिर हमारे माक्र्स का सवाल है, वे करेंगे ही।
-सोनू, स्टूडेंट
अभी तो आइडिया ही है। उम्मीद करता हूं कि इसे सफलता मिलेगी। पहले हम मीटिंग करेंगे, फिर फाइनल डिसीजन लेंगे
-राजेश अग्रवाल जौली मैनेजर, जीआरएम
केवल पेरेंट्स के वोट पर बच्चे को नंबर मिल जाएंगे तो बच्चे के लिए कुछ करने को रह नहीं जाएगा। इसका सॉल्यूशन निकाल लिया जाएगा। अभी तो मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है। मीटिंग के बाद फैसला लिया जाएगा।
-फादर ग्रेगरी, प्रिंसिपल, बिशप कोनराड स्कूल