बरेली (ब्यूरो)। जन औषधि केंद्र लोगों को महंगी-महंगी दवाओं से निजात दिलाने के लिए खोले गये थे। आज के टाइम में इन केंद्रों में जेनरिक मेडिसिन का टोटा नजर आ रहा है। इसमें जेनरिक कम और जनरल दवाइयां ज्यादा देखी जा रही हैं। कई जन औषधि केंद्र तो जेनेरिक के नाम पर जनरल मेडिसिन बेच रहे हैैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब एक जन औषधि केंद्र पर जाकर जेनरिक कफ सीरप मांगा तो केंद्र संचालक की ओर से जेनरिक बोलकर जनरल कफ सीरप दिया गया। उसकी कॉस्ट 50 रुपए बताई गई, जबकि जेनरिक में कफ सीरप 18, 25 और 32 रुपए में बेचेजा रहे हैं। दूसरे मेडिकल स्टोर पर पूछा तो वहां पर कई सारी मेडिसिन्स अवलेबल ही नहीं थीं।
नहीं हैैं दवाइयां
कई जन औषधि केंद्रों के संचालकों से दवाओं के बारे में बात हुई तो उन्होंने बताया कि उन्हें खुद ही दवाओं की उपलब्धता नहीं हो पा रही हैै तो दूसरों को कैसे दें। दवायें मंगाई जाती हैं 700 तो मिलती हैं 200 से 300. मेडिसिन की डिलिवरी भी टाइम से नहीं होती हैै। एक संचालक ने बताया कि एमलोडिफाइन-5 मेडिसिन का 5 रुपए का पत्ता मिलता है। यह मेडिसिन तीन से चार महीने से गायब हैै। मल्टीविटामिन जिनसेंग जो बाहर काफी महंगा मिलता है। वह जन औषधि केंद्र पर सिर्फ 33 रुपए का मिल सकता है, लेकिन फरवरी से वह भी मार्केट से गायब है। शुगर की एम-1 टेबलेट, पियोग्लिटाजोन और मेटाफॉर्मिन एचसीआई एसआर भी कई महीनों में नहीं मिल रही हंै। संचालक ने कहा कि ऐसी कई मेडिसिन हैं, जिनका टोटा पड़ा हुआ है। स्थिति यह है कि डॉक्टर्स भी जेनेरिक दवायें नहीं लिखते हैं। कई जन औषधि केंद्र तो बंद होने की नौबत तक पहुंच गए हैैं। जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र की बात की जाए तो उसका भी कुछ ऐसा ही हाल है।
सताता है एक्सपायरी का डर
केंद्र संचालकों ने बताया कि ज्यादा दवायें मंगाने का कोई फायदा नहीं होता है। ज्यादा दवाइयां मंगाने से वे एक्सपायर हो जाती है। ऐसे में कम मेडिसिन ही स्टोर में रखते हैैं, जो मेडिसिन लोग ज्यादा डिमांड करते हैैं, बस उसे ही मंगाते हैैं। जन औषधि के लिए शहर में कोई भी डिस्ट्रीब्यूटर नहीं है। मेडिसिन गाजियाबाद, लखनऊ, गुडग़ांव आदि से मेडिसिन का ऑर्डर किया जाता है।
रेट में अंतर
जनऔषधि केंद्र में शुगर की दवा ग्लिमेइपरिड, पियोग्लिटाजोन और मेटफ ॉर्मिन एचसीआई एसआर की दस टैबलेट 20 रुपए में मिलती हैं। वहीं इसकी जगह पर प्राइवेट मेडिकल स्टोर में सेम दवा 60 से 80 रुपए तक मिलती हैं। कैल्शियम कार्बोनाइडेट टैबलेट 500 एम नाम की जेनेरिक दवा 4.85 रुपए में मिलती है, लेकिन प्राइवेट मेडिकल पर 20 से 30 रुपए में मिलती है। कफ सीरप का बात की जाए तो जन औषधि केंद्र में वह 18, 25 और 32 रुपए में मिलती है। प्राइवेट की बात की जाए तो वह 100 से 150 तक में मिलती है।
नहीं निकल रहा खर्च
कुछ संचालकों का कहना है कि जन औषधि केंद्र में उन्हें खर्च तक निकालना मुश्किल पड़ रहा है। इसके लिए कई औषधि केंद्र वालों ने केंद्र में ब्रांडिड प्रोडक्ट रखने भी शुरू कर दिए हैैं, जिससे वे अपना दुकान में बिक्री को बढ़ा सकें। वहीं कई बार मार्जिन में मेडिसिन को जेनरिक बोल कर बढ़े दामों में भी बेेच देते हैैं।
अपील पर करते हैैं ऑर्डर
जन औषधि केंद्रों में नियम के अनुसार कुल 1900 तरह की जेनरिक दवायें मरीजों को कम कीमत पर उपलब्ध कराना होता है। कोई भी केंद्र में ऐसा नहीं है, जहां पर पूरी दवाएं मिल जाएं। जन औषधि केंद्र की वेबसाइट के अनुसार शहर में टोटल 32 केंद्र है। इनमें अधिकतम 300 से 400 मेडिसिन ही उपलब्ध है। केंद्र संचालकों का कहना है कि लोगों को अगर जरूरत होती है तो ऑर्डर कर देते हैैं।
हम उतनी मेडिसिन ही ऑर्डर करते हैैं, जितनी की जरूरत होती है। अधिक मंगाने पर हमारी मेडिसिन एक्सपायर हो जाती है। एक्सपायर मेडिसिन वापस भी नहीं होती हैं। इसकी वजह से काफी नुकसान होता है।
शैलेेंद्र सक्सेना, जन औषधि संचालक
हमारे पास तो लगभग सारी मेडिसिन होती है। जब कोई मेडिसिन अवेलेबल नहीं होती है तो उसे हम ऑर्डर कर लेते हैैं। दो-चार दिन में जब आती है तो कस्टमर को अवेलेबल करा देते हैैं।
राहुल रस्तोगी, जन औषधि संचालक
जेनेरिक मेडिसिन की हालत बहुत ही दयनीय हो रही है। डॉक्टर जेनरिक मेडिसिन को प्रीफर ही नहीं करते हैैं। आजकल तो स्टॉक भी पूरा नहीं हो रहा है। दवायें कुछ ऑर्डर करो, पर मिलती कुछ और हैैं।
एसएन चौबे, जन औषधि संचालक