बरेली (ब्यूरो)। फेस्टिव सीजन में अगर शॉपिंग के लिए निकलें और कुतुबखाना मार्केट न जाएं तो शॉपिंग अधूरी सी लगती है। लेकिन इस मार्केट में पहुंचना भी आसान नहीं है। क्योंकि इस रोड पर अतिक्रमण इस कदर हो गया है कि टू-व्हीलर लेकर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। मार्केट में अगर कोई बुजुर्ग आए तो ई-रिक्शा से ही पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए जाम से जूझते हुए ही निकलना पड़ेगा। जाम के कारण जिला अस्पताल आने वाली एंबुलेंस भी कई बार जाम में फंस जाती हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार इस रोड को अतिक्रमण फ्री कराने में असमर्थ हैं। जबकि इस रोड को जाम से निजात दिलाने के लिए फ्लाईओवर बनाया गया लेकिन अब फ्लाईओवर के नीचे तो पहले से दोगुना अतिक्रमण हो गया है।
कभी था हाईवे
करीब सौ साल पुराने इस बाजार में बीच में कभी हाईवे होकर निकलता था। आसपास के जिलों से लोग यहां अपनी जरूरत का सामान खरीदने आते है। शहर की आबादी बढऩे के साथ बाजार घना होता चला गया और हालत दिन पर दिन खराब होते चले गई। व्यापारियों ने बाजार के ऊपर से निकलने वाले पुल का खूब विरोध किया लेकिन पुल बन गया। उम्मीद थी की पुल बनने के बाद यहां से अतिक्रमण व जाम की स्थिति ठीक हो जाएगी, लेकिन इससे भी लाभ नहीं मिल सका। रोड पर अब पहले से भी ज्यादा भीषण जाम लगने लगा। ई-रिक्शा चलने से हालात और भी ज्यादा खराब होते जा रहे है। हालांकि विद्युत तार व्यवस्थित होने से लोगों को राहत मिली है।
लगा रहता है जाम
कोतवाली से लेकर जिला अस्पताल रोड समेत घंटाघर तक जाम की समस्या किसी भी समय बन जाती है। यहां मौजूद व्यापारी से बाजार की परेशानी के बारे में जाना तो बाजार में सबसे प्रमुख समस्या बेतरतीब चलते ई-रिक्शा की सामने आई। व्यापारियों ने बताया कि कोतवाली से लेकर कुतुबखाना तक घना बाजार है। इस रोड पर ही करीब दो दर्जन से ज्यादा ई-रिक्शा चलते है। इन पर लगाम लगाए जाने की जरूरत है। व्यापारियों ने कहा कि बाजार के बीचो-बीच जिला अस्पताल होने के कारण हर समय एबुलेंस आती रहती है और दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। इसी रोड पर सब्जी मंडी भी है।
दो हजार हैं शॉप्स
जिला अस्पताल रोड पर छोटी बड़ी करीब दो हजार से अधिक दुकानें है। एक दुकान पर औसतन तीन कर्मचारी काम करते है। व्यापारियों की माने ताने तो करीब छह हजार दुकानदार व इसका तीन गुणा ग्राहक बाजार में हर समय मौजूद रहता है। इतनी बड़ी संख्या में बीच बाजार में टॉयलेट की कमी है। नगर निगम की ओर से एक शौचालय बनवाया गया है जो कि कुमार टाकिज के पास है लेकिन बाजार से दूरी पर है। इस वजह से वहां तक दुकानदार व ग्राहक नहीं पहुंच पाता है।
पार्किंग की है समस्या
जिला अस्पताल रोड पर बने बाजार में कोई पार्किंग स्थल नहीं है। बाजार में आने वाला ग्राहक दुकान के आगे या रोड किनारे बाइक की पार्किंग करता है। ऐसे में बेतरतीब वाहन खड़े होने से जाम की स्थित बनी रहती है। पार्किंग की कमी व्यापारियों को लंबे समय से खल रही है। लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
डिवाइडर पर सजा बाजार
जिला अस्पताल रोड पर बने डिवाइडर पर पूरा बाजार लगा रखा है। डिवाइडर के दोनों ओर आप को रेडीमेड कपड़े से लेकर जूते चप्पल, चश्मे, टोपी, जूस के ठेले, खाने-पीने की दुकान आप को मिल जाएगी। डिवाइडर पर पूरा बाजार किसकी सह पर चल रहा है, जानते सभी है लेकिन कोई व्यापारी बोलने को तैयार नहीं है। बस यही कह देते है कि इसे हटाना चाहिए, इससे व्यापारियों का नुकसान हो रहा है। लेकिन हटाएगा कौन इसके लिए कोई पहल नहीं की गई। बताते है कि पुल बनने के बाद जाम की स्थिति और ज्यादा हो गई है। व्यापारी सोचते थे कि पुल बनने के बाद यातायात का दबाव कम होगा, लेकिन हुआ इसका उलटा, दबाव कम होने की जगह और बढ़ गया है। कहते हैै कि फुटपाथ पर सजी दुकान हटे व ई-रिक्शा पर रोक लगाई जाए कुछ राहत मिल सकती है।