बरेली (ब्यूरो)। कलकल करती नदी और चहुंओर हरियाली.सूरज की श्वेत-ङ्क्षसदूरी किरण तो कभी घोर अंधेरी रात के बीच विचरण करते जंगली जानवर। माता सीता की खोज में व्याकुल त्रिलोक के स्वामी प्रभु श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण। पंचवटी में ह्दय को झकझोरने और करुणा से भर देने वाला यह ²श्य हर किसी को भावुक कर देता है। उत्तराखंड शैली में परांपराओं को सहेज रही राजेंद्रनगर की श्रीरामलीला की छह अक्टूबर से शुभारंभ होने से पहले रिहर्सल अंतिम चरण में है। ढोलक की थाप और हारमोनियम की अलग-अलग धुन के बीच श्रीराम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न व माता सीता जैसे अनेक प्रमुख अभिनय निभाने वाली छात्राएं अभिनय के गुर सीख रही हैं। रामलीला में इस बार भी सबसे अधिक रोमांचित करने वाला ²श्य पिता-पुत्री का श्रीराम व हनुमान के रुप में उतरना होगा। श्रीराम की भूमिका प्रेरणा जोशी व हनुमान की भूमिका उनके पिता दिव्य दर्शन जोशी निभा रहे हैं। प्रेरणा वर्ष 2022 के बाद इस बार फिर से राम बनेंगी, तो दिव्य दर्शन जोशी 14वें वर्ष से हनुमान की भूमिका निभाते दिखेंगे। रामलीला समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र, संयोजक डीडी बेलवाल, सचिव मोहन चंद्र पाठक के अनुसार राजेंद्रनगर की रामलीला में सभी प्रमुख पात्रों के रुप में युवतियों व महिलाओं का चयन का उद्देश्य बेटियों के आगे बढऩे के राह में आ रही बाधाओं को दूर करना है। रामलीला में अपने-अपने अभिनय के जरिए सभी छात्राएं सनातन संस्कृति के साथ समाज के नाम को भी रोशन कर रहीं। साथ ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दिया जाता है। इस वर्ष सीता का अभिनय यशिका पाठक, लक्ष्मण प्रियांशी, रिश्ता पाठक भरत, वाणी तिवारी शत्रुघ्न के रुप में नजर आएंगी। यशिका और प्रियांशी सगी बहने हैं।
1981 में शुरू हुई रामलीला
रामलीला समिति के कोषाध्यक्ष हरिनंदन तिवारी व मीडिया प्रभारी सतीश चंद्र जोशी बताते हैं कि यह रामलीला उत्तराखंड सांस्कृतिक समाज के बैनर तले वर्ष 1981 में प्रारंभ हुई थी। रामलीला में मंचन करने वाली अधिकतर पात्र छात्राएं ही हैं। यहां रामचरित मानस व राधेश्याम रामायण के साथ पहाड़ की गायन शैली को भी प्रदर्शित किया जाता है। छह से 13 अक्टूबर तक चलने वाली रामलीला को देखने के लिए दूसरे शहर में रहने वाले लोग भी स्वजन संग पहुंच रहे हैं। वह रामलीला के जरिए अपनी संस्कृति व सामाजिकता की डोर को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध दिखते हैं। सतीश बताते हैं कि रामलीला की संस्थापक सदस्य मोहन ङ्क्षसह भंडारी, अंबा दत्त सुंदरी, रवि जोशी, मुरारीलाल शाह, सदानंद पांडेय ने भी कई वर्ष तक अलग-अलग पात्र के जरिए अपने अभिनय का मंचन करते रहे। वर्तमान में सभी कलाकार स्थानीय ही हैं।
आधुनिकता के साथ अपना रहे तकनीक
बदलते दौर के साथ रामलीला देखने आने वाले श्रद्धालुओं को मंचन से जुड़ाव बना रहे इसके लिए तकनीक को भी अपनाया जा रहा है। रामलीला समिति के पदाधिकारियों के अनुसार अलग-अलग ²श्यों के दौरान रोमांचकता, हास्य और करुणा से भरे आवाज व लाइङ्क्षटग प्रदर्शित की जाती है। जैसे- साउंड के जरिए शंख, पहाड़ की गर्जना, कडक़ड़ाती बिजली, वर्षा आदि का प्रसारण किया जाता है।