बरेली (ब्यूरो)। कहते हैैं बूंद-बूंद से सागर बनता है, लेकिन क्या हो अगर वह पानी कंजर्व ही न हो और वेस्ट होता जाए। अभी टाइम है, लोगों को पानी को लेकर सतर्क होने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं किया तो आने वाले टाइम में बरेलियन्स को पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। सिटी में कहीं भी निकल जाओ हर जगह टाइल्स और पत्थर ही बिछे हुए हैैं। इसकी वजह से पानी सीधा नालियों में जा रहा है। इसकी वजह से ग्राउंड वॉटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। बारिश तो हर जगह होती हैैं, लेकिन ग्राउंड वॉटर लेवल को रीचार्ज करने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। विकास के नाम पर नई सडक़ें, फुटपाथ और डिवाइडर आदि बन रहे हैैं, लेकिन वॉटर कंजरवेशन के लिए कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। यह ही वजह है कि हर साल वाटर लेवल गिरता जा रहा है।
जमीन को रिचार्ज करना क्यों होता है जरूरी
जमीन को रीचार्ज करना काफी जरूरी है, क्यों कि पानी के लिए हर जगह लोग बोरिंग, गढ्ढा खोदने लगते हैैं। इसकी वजह से धरती के अंदर पानी का लेवल कम होता जा रहा है, जिसकी वजह से धरती ड्राय होती जा रही है। हर साल सुनने को मिलता है कि यहां सूखा पड़ गया, वहां सूखा हो गया। धीरे-धीरे पानी को लेकर रेड अलर्ट हो रहा है। एक्सपर्ट की माने तो सडक़ों पर पानी को बचाने के लिए सडक़ किनारे पिट बनाने की जरूरत है। जिससे थोड़ा पानी तो बचाया जा सकें
वॉटर हार्वेस्टिंग जरूरी
सरकार की ओर से एक ऑर्डर पास है कि वाटर हार्वेस्टिंग सभी के लिए जरूरी है फिर चाहे आप मकान बनवाएं या फि र कॉमर्शियल बिल्डिंग। लेकिन यह बातें सिर्फ हवा में ही हैैं कोई इसे फॉलों नहीं कर रहा है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत नई बिल्डिंग में तो फिर भी वाटर को स्टोर करने का प्लान हो रहा है, लेकिन प्रॉपर रख रखाव नहीं होने से वह ठप हो जाता है। किसी भी बिल्डिंग का आवासीय या फि र कॉमर्शियल नक्शा बीडीए ही पास करता हैए बीडीए ही 300 गज से अधिक एरिया में मकान बनाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का प्रावधान है। अगर रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगाएंगे तो नक्शा पास नहीं होगा।
लेना चाहिए सबक
वॉटर क्राइसिस के लिए बैैंग्लोर आज के टाइम पर सबसे भयानक उदाहरण हैै। वहां लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैैं। एक्सपर्ट के अनुसार सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि लोगों के लिए शहर में रहना भी मुश्किल हो गया। शहरवासी पानी की तलाश में यहां वहां भाग रहे हैैं। बेंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने कहा है कि सारा शहर इस जल संकट से प्रभावित नहीं है। शहर के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के कुछ एरिया में पानी की किल्लत है। बोर्ड ने कहा कि इन सभी एरिया में ग्राउंड वॉटर लेवल पहले से ही काफ कम था। पिछले कई सालों से इन इलाकों के अप्रैल और मई महीने में बोरवेल सूख जाते हैैं, जिसकी वजह से लोगों को टैंकर सप्लाई करवानी पड़ती है।
कितना आता है खर्च
एक लीटर पानी को फिल्टर करने में लगभग एक से दो रुपए का खर्च आता है। वहीं पानी को फिल्टर करनेे के लिए विभिन्न-विभिन्न तरह की प्रक्रिया इस्तेमाल होती है। इसके बाद इसकी लागत 3.60 रूपए की लागत हो जाती है।
यह है कारण
-तेजी से बढ़ती पॉपुलेशन
-एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रीज में पानी का
एक्सेस यूज
-अर्बनाइजेशन का बढऩा
-तालाबों की कमी या सही से देख-रेख
नहीं होना
-वॉटर लेवल का लगातार गिरना
-लोगों में अवेयरनेस की कमी
-पानी का एक्सेस यूज
-लगातार पेड़ों को कटाना
-तालाबों पर हो रहे कब्जा
-रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इंतजाम न होना
-हर घर में सबमर्सिबल होना
-सरकारी सिस्टम की भी उदासीनता
विकास खंड प्री मानसून 2022 प्री मानसून 2023
बिथरी चैनपुर 4.68 5.84
क्यारा 4.22 4.99
भुता 3.88 5.15
फतेहगंज पश्चिमी 5.53 6.06
फरीदपुर 8.33 9.43
आलपुर जाफराबाद 12.12 14.33
नवाबगंज 3.36 4.10
बहेड़ी 3.22 3.30
भदपुरा 4.64 5.05
भोजीपुरा 3.28 5.52
मझगवां 8.03 9.70
मीरगंज 5.98 7.00
रामनगर 14.74 15.09
द्यरिछा 4.52 4.54
शेरगढ 5.06 6.04
नोट : इकाई मीटर में वर्णित है।
वॉटर रीचार्ज के प्रयास
-सभी सरकारी परिसरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कंपलसरी
-300 वर्ग मीटर के प्लाट के नक्शे में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी
- सभी पार्कों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं
-पानी को सोखने वाले छिद्रित इंटरलॉकिंग टाइल्स का यूज करना
-हर घर में बोरिंग करवाने पर नियंत्रण का किया जा रहा प्रयास
-पूरे शहर में जलकल की ओर से वाटर सप्लाई
-गाडिय़ों की धुलाई व अन्य कामों में पानी की बर्बादी का रोकना
नगर निगम की तरफ से पानी के संरक्षण को लेकर लोगों को अवेयर किया जाता है। उन्हें बताया जाता है की आज पानी की बर्बादी करने से हमारी आने वाली पीढ़ी पर संकट हो सकता है, इसीलिए पानी को बर्बाद न करें, जल है तो कल है।
-निधि गुप्ता गुप्ता, नगर आयुक्त