बरेली (ब्यूरो)। हमारे समाज में शादी समारोह की खुशियां अपनों के बिन अधूरी रहती हैं। यही वजह है जिनके घरों में किसी की शादी तय हो जाती है तो वह महीनों पहले से ही इसकी तैयारी में जुट जाते हैं। शादी समारोह में कोई अपना इनविटेशन से छूट न जाए, इसके लिए पहले से ही अपने रिलेटिव्स, फ्रेंड्स, जानने-पहचानने और पास-पड़ोस वालों की लिस्ट तैयार कर ली जाती है। इस लिस्ट को लगातार अपडेट भी किया जाता है। इसी लिस्ट के आधार पर ही उनको इनवाइट करने की तैयारी की जाती है। इसके लिए समय के अनुसार व्यवस्थाएं बदलती रही हैं। पहले यह काम मेसेंजर्स के जरिए कराया जाता था तो बाद में इन्विटेशन काड्र्स पब्लिश कराए जाने लगे। मोबाइल और इंटरनेट के जमाने में यह व्यवस्था ऑन काल, व्हाट्सएप से लेकर एआई कार्ड तक पहुंच गई है। अब आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस बेस्ड डिजिटल कार्ड तेजी से प्रचलन में आ रहे हैं।
कार्ड के प्रकार
फरमान कार्ड
कस्टमाइज कार्ड
डिजिटल कार्ड
सिम्पल कार्ड
बॉक्स वाले कार्ड
एआई कार्ड
कभी हल्दी से न्यौता
पुराने समय में शादी का आमंत्रण हल्दी से भेजते थे। भारतीय संस्कृति में हल्दी को शुभ माना जाता है। समय के अनुसार इसमें भी बदलाव आया और फिर सुपारी यानी डली और इलाइची से भी भेजने लगे। इसकी पुष्टि घर के बुजुर्ग भी करते हैं। वह बताते हैं कि हल्दी महंगी होने से इसकी जगह सुपारी या इलाइची से अपनों को आमंत्रण भेजा जाने लगा।
काड्र्स के रेट
15 से 200 : रुपए तक फरमान कार्ड
10 से 300 : रुपए तक कस्टमाइज कार्ड
15 से 70 रुपए: सिम्पल कार्ड
100 से 500 रुपए : बॉक्स वाले कार्ड
200 से 600 रुपए: एआई डिजाइन कार्ड
मेसेंजर की थी परंपरा
शादी के निमंत्रण की परंपरा प्राचीन काल से अब तक बदस्तूर जारी है। यह बात अलग है कि इसमें सयम के अनुसार बदलाव होता रहा। इस बारे में सीनियर सिटीजन बताते हैं कि उनके जमाने में पुरोहित और नाई समाज के व्यक्ति के मार्फत रिश्तेदारों तक निमंत्रण भिजवाया जाता था। इन निमंत्रण वाहकों को वह सामथ्र्य अनुसार दक्षिणा भी देते थे।
कार्ड में हल्दी का तिलक
जब इन्विटेशन के लिए पेपर कार्ड का दौर आया तो लोग इसके जरिए भी पुरानी परंपरा को जिंदा रखे हुए थे। इसके लिए वह पेपर कार्ड में हल्दी का तिलक लगा दिया करते थे। कहते हैं कि आज के दौर में हल्दी से तो दावत नहीं देते हैं, पर हल्दी की प्रथा अभी भी चलन में है।
एआई कार्ड का ट्रेंड
एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अब हर क्षेत्र में तेजी से हो रहा है। शादी का इन्विटेशन कार्ड भी इस टेक्नोलॉजी से अछूता नहीं रहा है। इन्विटेशन कार्ड के कारोबारियों का कहना है कि आजकल कपल्स शादी काड्र्स को आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस यानी एआई फॉर्म में डिजाइन करवा रहें है। लोग इस यूनिक कार्डस देखकर आकर्षित भी हो रहे हैं।
अब खुद ही देते हैं निमंत्रण
आज के दौर में अब दूल्हा-दूल्हन पक्ष के लोग खुद ही अपनों को इनवाइट करने के लिए जाने लगे हैं। इन्विटेशन कार्ड बांटने का जिम्मा किसी और को देने के बदले वह खुद ही इस काम को करना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। इसको उनके अपने भी ज्यादा सम्मानजनक मानते हैं।
मोबाइल से भी दावत
जिनके घरों में शादी का आयोजन होना है, उनके लिए टाइम बेशकीमती होता है। टाइम बचाने के लिए वह मोबाइल का सहारा लेने लगे हैं। पहले शादी का कार्ड लोग अपनों को व्हाट्सएप पर भेज दिया करते थे, पर अब इसमें भी एआई का इस्तेमाल होने लगा है।
शादी के कार्ड की बात करें तो हर साल न्यू डिजाइन के कार्ड आ जाते है। कस्टमर अपने बजट के हिसाब से कार्ड छपवाते हैंै। आजकल बाक्स और एआई डिजाइन के कार्ड का अधिक क्रेज चल रहा है।
अंकित शर्मा, कारोबारी
हमारे टाइम में यह कार्ड नहीं चलते थे। उस दौर में शादी का न्यौता हल्दी या फिर सुपॉरी के माध्यम से भेजते थे। शादी के काफी दिन पहले ही हल्दी से न्यौता भेजने लगते थे। लोगों तक पहुंचने का साधन सुलभ नहीं होने से दावत का काम पहले से ही करना पड़ता था।
मीनाक्षी भटनागर
आज कल तो हर चीज का ट्रेंड बदल रहा है। बात करें शादी के कार्ड की तो मैंने अपनी शादी का कार्ड एआई फॉर्म में डिजाइन करवाया है। यह देखने में काफी सुंदर लग रहा है। लोगों को भी काफी पसंद आया है। इसका डिजाइन भी यूनिक है।
प्रांशु सक्सेना