बरेली (ब्यूरो)। कहते हैं कि कोई आज के समय में किसी की मदद नहीं करता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। आज भी तमाम लोग ऐसे हैं, जो दूसरों का दुख देख कर पिघल उठते हैं। इंसान हों या पशु-पक्षी सब के दुख को दूर करने के लिए अपने हाथ बढ़ा कर उनकी पीड़ा को हरने का प्रयास करते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब सिटी में ऐसे लोगों को खोजना चाहा तो कई ऐसे लोग मिले, जो किसी न किसी प्रकार लोगों के दर्द बांटने का काम कर रहे हैं। प्रस्तुत है उनके साथ बातचीत के आधार पर तैयार की गई हमारी यह रिपोर्ट
जानवरों के लिए समर्पित किया जीवन
सिटी में ही मुंशीनगर निवासी शालिनी अरोरा ने बताया कि उन्होंने पशु-पक्षियों के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। अपना सारा समय वह उनकी सेवा में ही व्यतीत करती हैं। उनके अनुसार उनके पास टोटल 270 जानवर हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा प्रेम आश्रम नाम से व्यवस्था की हुई है। इस स्थान पर ही वह इन पशुओं की सेवा व देखभाल करती हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें शौक था कि बेजुबान जानवरों की सेवा करें। जब वह छोटी थीं तब से ही बेसहारा जानवरों की सेवा कर रही हैं। कहीं भी उन्हें कोई घायल पशु-पक्षी मिलते हैं तो उन्हें अपने आश्रम में ला कर उनका उपचार और देखभाल करती हैं। ऐसा करने के कारण बहुत से लोग ही उन्हें डॉ। शालिनी के नाम से भी बुलाने लगे। पहले तो जब कोई चोट लगा जानवर मिलता था तो उसे ठीक करके छोड़ देती थीं, लेकिन बाद में धीरे-धीरे बेसहारा जानवर काफी हो गए तो कुछ को उन्होंने अपने घर में ही रख लिया। इस दौरान घर पर भी काफी पशु-पक्षी हो गए। इसके बाद ही उन्होंने प्रेम आश्रम की स्थापना की। यहां पर गाय, घोड़ा, कुत्ते, बंदर, चिडिय़ां, बैल आदि कई प्रकार के पशु हैं।
ब्लड डोनेट कर बचा रहे जान
सिटी के कारोबारी इकबाल सिंह ने बताया कि वह 1983 से ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक वह 110 यूनिट ब्लड डोनेट कर चुके हैं। ऐसा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। वह कहते हैं कि मेरे ब्लड से किसी की जान बच जाए तो इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है। उन्होंने बताया कि 1984 में उनका एक्सीडेंट हो गया था। वह ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच आ गये थे। इस दौरान उनकी जान बच गई। जान बचने का सबसे बड़ा कारण उन्होंने अपनी इस आदत को ही बताया। उनका कहना था कि एक्सीडेंट के कुछ दिन पहले ही उन्होंने 18 दिन के बच्चे को ब्लड डोनेट किया था, जिससे उसकी जान बच गई थी। उनके अनुसार उन्हें लगता है कि उसकी व उसके पेरेंट्स की दुआओं ने उन्हें बचा लिया। तब से और भी अधिक डोनेट कर रहे हैं।
बस पांच रुपए में खिला रहे भरपेट भोजन
जिला अस्पताल में तीमारदार और पेशेंट्स खाने के लिए परेशान न हों, उन्हें भी भोजन मिल सके। इस के लिए नगर निवासी दिलीप अग्रवाल ने समर्पण एक प्रयास संस्था की स्थापना कर डाली। कमेटी के 10 लोगों के साथ मिलकर उन्होंने लोगों को भोजन उपलब्ध कराने को लेकर मंथन किया। 9 अप्रेल 2017 से उन्होंने इस नेक कार्य का शुभारंभ किया और जिला अस्पताल में जाकर पहली बार 100 लोगों के लिए भोजन के पैकेट बांटे। इसके बाद इस का सिलसिला चल निकला। जब इसके बारे में और लोगों को जानकारी हुई तो वे भी इस प्रयास में उनके साथ शामिल हो लिए। इसके बाद साल दर साल यह प्रयास एक मुहिम में बदलता चला गया। आज संस्था की तरफ से एक दिन में 250 लोगों को खाने के पैकेट डेली बांटे जा रहे हैं। एक पैकेट के बदले संस्था द्वारा मात्र पांच रुपए लिए जाते हैं, जबकि पैकेट में एक सब्जी और पांच पूड़ी, पानी की बोतल और मिठाई तक दी जाती है। इस प्रयास में शहर के लोग भी अपने बर्थडे और शादी की साल गिरह पर खाना बंटवाने के लिए संस्था का सहयोग लेते हैं। संस्था के इस प्रयास को देखते हुए कलेक्ट्रेट गेट पर डीएम ने दो आरओ प्लांट लगाने के लिए भी जगह दी। कलेक्ट्रेट गेट पर संस्था की तरफ से लगाए गए आरओ प्लांट से दो रुपए में एक लीटर आरओ का पानी दिया जाता है।