बरेली (ब्यूरो)। इंटरनेट के जमाने में समय से पहले मैच्योर हो रहे स्टूडेंट्स बाली उम्र में इश्क के फेर में पड़ रहे हैं। इससे उनका फोकस डिस्टर्ब हो रहा और वह अपने गोल से भटक रहे हैं। उनकी इस फितरत से उनके पेरेंट्स भी टेंशन में हैं। पेरेंट्स की टेंशन यह है कि वह बच्चे की पढ़ाई के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर रहे हैं, पर बच्चे न तो उनकी इस भावना को समझ रहे हैं और न ही अपने करियर के बारे में सोच रहे हैं। बच्चों के प्यार की टेंशन पेरेंट्स को इस कदर परेशान कर रही है कि वह उनकी काउंसलिंग को रीजनल साइकोलॉजी सेंटर में पहुंच रहे हैं। यहां काउंसलिंग को आने वाले केसेस में 40 परसेंट बाली उम्र में इश्क के ही हैं।
हाईस्कूल के स्टूडेंट अधिक
रीजनल साइकोलॉजी सेंटर के काउंसलर ने बताया कि उनके यहां इस तरह की काउंसलिंग के लिए डेली दो से तीन केसेस आते हैं। यह वह बच्चे होते हैं जो नाइंथ और टेंथ की स्टडी कर रहे होते हैं। कुछ बच्चों को तो उनके पेरेंट्स साथ लेकर आते हैं तो कुछ बच्चे अकेले भी आ जाते हैं। काउंसलिंग से पहले वह बच्चों की पूरी बात सुनते हैं, फिर अकेले में उनकी काउंसलिंग की जाती है।
वास्तविकता की देते हैं जानकारी
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने मनोविज्ञान केंद्र में जाकर बाली उम्र में इश्क के मामलों की पड़ताल की तो पेरेंट्स की परेशानी भी समझ में आई। एक बच्चे के साथ आईं उसकी मदर ने बताया कि बच्चे का मन अब पढ़ाई पर नहीं लगता है। इससे वह काफी परेशान हैं। काउंसलर ने बताया कि वह भी बच्चों को उनके फोकस के बारे में ही समझाते हैं। उन्हें फ्यूचर के चैलेंजेज की जानकारी दी जाती है। पेरेंट्स से भी कहा जाता है कि वह बच्चे को हर वक्त टोकने के वजाय उनकी एक्टविटीज को मॉनीटर करें। उसकी स्टडी में उनके साथ रहने की कोशिश करें।
मंडल के आते केस
साइकोलॉजी सेंटर में बरेली के साथ बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर तक के स्टूडेंट्स काउंसलिंग को आते हैं। इन केसस में कई तो ऐसे होते हैं जिनमें कि स्टूडेंट्स खुद आते हैं और कई केसेस ऐसे भी होते हैं जिनमें पेरेंट्स स्टूडेंट को साथ में लेकर आते हैं। काउंसलिंग में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि स्टूडेंट्स की भावना को ठेस न पहुंचे। इसके लिए पेरेंटस को भी समझाया जाता है।
स्कूलों में भी की जाती है काउंसलिंग
काउंसलर ने बताया कि पढ़ाई की एज में स्टूडेंट्स अपनी राह से न भटकें, इसके लिए हम लोग स्कूलों में भी बच्चों की काउंसलिंग करने को जाते हैं। कोशिश होती है कि हर दिन एक से दो स्कूलों में काउंसलिंग को पहुंचा जाए। क्लास में जाकर बच्चों को समझाते है। किसी बच्चे को कोई परेशानी होती है तो उसे कॉल करने के लिए अपना मोबाइल नंबर भी देते हैं। क्लास के ब्लैक बोर्ड पर भी मोबाइल नंबर लिखकर आते हैं।
ब्वॉयज अधिक इमोशनल
कहा जाता है कि गल्र्स ज्यादा इमोशनल होती हैं, पर कई साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि इश्क के मामले में ब्वॉयज अधिक इमोशनल होते हैं। उन्हें अगर क्लास मेट से प्यार हो जाता है तो वह इसमें डूब जाते हैं। अगर कुछ समय बाद ब्रेकअप हो जाता है तो वह मेंटली डिस्टर्ब हो जाते हैं। इससे उनका मन भटक जाता है और वह अपने गोल से भी दूर हो जाते हैं।
केस 1
शहर की रहने वाली क्लास टेंथ की एक स्टूडेंट खुद ही रीजनल साइकोलॉजी सेंटर पहुंची। इस दौरान जब उसकी काउंसलिंग की गई तो पता चला कि वह अपने क्लास के लडक़े से प्यार करने लगी। काफी दिनों तक उनका अफेयर चलता रहा, पर बाद में लडक़े ने उसको छोड़ दिया। इस दौरान वह अपसेट रहने लगी। स्टडी में भी उसका मन नहीं लगता था। जब उसकी तीन-चार दिन काउंसलिंग की गई तो वह समझ गई। इसके बाद वह स्कूल जाने लगी और घर उसका पढ़ाई पर भी मन लगने लगा।
केस 2
शहर के एक पॉश एरिया का रहने वाले वाला क्लास नाइंथ का स्टूडेंट अपने क्लास की ही लडक़ी से प्यार करने लगा। कुछ दिनों बाद में वह रोज परेशान रहने लगी। पेरेंटस ने बताया कि उसने खाना-पिना छोड़ दिया। स्कूल भी नहीं जाता था। इससे उसकी मम्मी भी काफी परेशान हो गई। उन्होंने बेटे से उसकी परेशानी के बारे में जानने की कोशिश की, पर उसने कुछ बताया नहीं। इसके बाद वह उसे मनोविज्ञान केंद्र ले गईं। काउंसलिंग की तो पता चला कि जिससे वह प्यार करत था उसने उसे छोड़ दिया। चार दिनों की काउंसलिंग के बाद वह सही हो गया।
केस 3
महानगर का रहने वाला क्लास टेंथ का स्टूडेंट भी बाली उम्र मेें इश्क के फेर में पड़ गया। उसे अपनी क्लास की एक लडक़ी से प्यार हो गया जो पांच महीने तक ही चला। इसके बाद उसे लडक़ी ने छोड़ दिया। इसके बाद स्टूडेंट ने स्कूल जाना बंद कर दिया। घर पर भी वह स्टडी नहीं करता था और किसी से बात भी नहीं करता था। वह एक कमरे में बंद होकर रहने लगा। इस परेशान हाल स्टूडेंट ने रीजनल साइकोलॉजी सेंटर में मोबाइल पर कॉल की। इसके बाद उसे सेंटर पर बुलाया गया और उसकी कई दिनों तक काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग के बाद उसकी मनोस्थिति में काफी बदलाव आ गया है। वह स्कूल भी जाने लगा और स्टडी पर भी फोकस कर रहा है।