बरेली (ब्यूरो)। स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई को लेकर प्रशासन और ऑटो रिक्शा यूनियन आमने-सामने आ गए हैं। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की टीम लगातार चालान और वाहन सीज कर रही है। लगातार हो रही कार्रवाई से गुस्साए इंडिपेंडेंट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने अपनी मांगों को पूरा करने को लेकर एक दिसंबर से हड़ताल की चेतावनी दे डाली। इंडिपेंडेंट स्कूल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष निशांत पंवार का कहना है कि स्कूल में उनके वाहन टैक्सी परमिट पर चल रहे हैं, जिसका वह स्कूलों वाहनों से अधिक टैक्स दे रहे हैं। इसके साथ ही मानक भी पूरे कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ वाहन का कलर पीला नहीं होने पर भी चालान किया जा रहा है। इससे सभी वाहनस्वामी परेशान हैं। इस से ही परेशान होकर उन्होंने अफसरों से राहत देने की मांग की है।
पेरेंट्स की बढ़ेगी ड्यूटी
स्कूल से बच्चों को अनअथ्ॉराइज्ड लाने, ले जाने वाले वाहनों की एक दिसंबर से हड़ताल शुरू हो रही है। ऐसे में बच्चे ट्रांसपोर्ट की सुविधा लेते हैं। उनके पेरेंट्स को भी डबल ड्यूटी मेहनत करनी होगी। एक बार बच्चे को स्कूल छोडऩे के लिए जाना होगा तो दूसरी बार में दोपहर में बच्चे को घर वापस लाना होगा। इसको लेकर जो पेरेंट्स शहर से दूर या फिर स्कूल से दूर ऑफिस में ड्यूटी करते हैं, उनको परेशानी उठानी पड़ेगी। इसको लेकर पेरेंट्स भी पेरशान हो रहे हैं। पेरेंटस का कहना है कि जो भी उनके बच्चों को स्कूल आने जाने के लिए सुरक्षित सुविधा मिले।
देते हैं दोगुना टैक्स
इंडिपेंडेंट स्कूल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि इन वाहनों को स्कूल परमिट में दर्ज कराने पर टैक्स तो आधा हो जाएगा, लेकिन वाहन का कलर पीला करना जरूरी होगा। उसके बाद वे उसको टैक्सी परमिट में नहीं यूज कर पाएंगे। स्कूल में ही वाहन चलाने से खर्च भी नहीं निकल पाता है इसलिए वे अपने वाहन को टैक्सी परमिट में चलाना चाहते हैं इस के लिए ही प्रशासन से अनुमति मांगी है। इसके लिए वह स्कूल से बच्चों को लाने ले जाने के लिए सभी मानक पूरे करने के लिए भी तैयार हैं।
नियम को लेकर अफसर सख्त
बदायूं में एक माह पहले वैन और बस की टक्कर में बच्चों की मौत के बाद कमिश्नर ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने निर्देश दिए कि स्कूलों में सिर्फ वही वाहन बच्चे ला और ले जा सकेंगे, जो स्कूल से अनुबंधित होंगे या फिर जो स्कूल के होंगे और मानक भी पूरे करते हों। कमिश्नर ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम को भी यह रूल्स फॉलो कराने के निर्देश दिए हैं। निर्देश मिलते ही मंडल में कार्रवाई शुरू हुई तो सभी वाहनस्वामी परेशान हो गए। अब अफसरों का कहना है कि वह बच्चों की सुरक्षा के प्रति बिल्कुल समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। जो भी वाहन स्वामी अपना वाहन स्कूल में संचालित करेगा वह स्कूल से अनुबंधित करेगा और मानक पूरे करेगा। इसके बाद ही वाहनों को स्कूल में संचालित करने का मौका दिया जाएगा।
बिना फिटनेस वाहनों पर भी एक्शन
ट्रैफिक रूल्स ब्रेक कर जिले भर में दौड़ रही एम्बुलेंस और स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर एक्शन लिया जाएगा। इस संबंध में डीएम रविंद्र कुमार, एआरटीओ, बीएसए और सीएमओ भी मौजूद रहे। डीएम ने सभी अफसरों को सख्त निर्देश दिए कि जिले में अवैध रूप से और नियम विरुद्ध संचालित स्कूली वाहनों व एम्बुलेंस के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करें। इसमें ऐसे वाहनों पर मोटर अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही जो स्कूली वाहन बिना फिटनेस व परमिट और मानक अनुसार नहीं चल रहे है। अभियान चला कर उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए। कमिश्नर के निर्देश पर जिले में स्कूल के वाहनों के विरुद्ध अभियान चलाया गया। जिसमें बदायूं तथा शाहजहांपुर अधिकारियों ने जनपद बरेली में 27 चालान और 14 सीज किए गए। इनमें 4 बस टाटा मैजिक, टेंपो और वैन सम्मिलित है।
एसोसिएशन की सुनिए
स्कूल्स में जो भी वाहन चल रहे हैं, वे मानक पूरे करने के बाद ही चल रही है। स्कूली वाहनों के कलर पीले कराने में टैक्स तो आधा देना होता है, लेकिन वाहन का कलर चेंज कराना होगा। इसमें वाहन स्वामियों को राहत मिलनी चाहिए। क्योंकि स्कूल में ही वाहन चलाने से खर्च चलाना मूुश्किल हो जाएगा। अपनी मांगों को लेकर एसोसिएशन हड़ताल कर रही है।
निशांत पंवार, प्रेसीडेंट इंडिपेंडेंट स्कूल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
स्कूल में चलने वाले वाहन टैक्सी परमिट पर रजिस्टर्ड हैं। स्कूली वाहनों से अधिक टैक्स भी दे रहे हैं। इसके बाद भी अफसर लगातार डेली चालान कर रहे हैं। ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने वाले वाहनस्वामियों को भी राहत मिलनी चाहिए। इसको लेकर हम लोग एक दिसंबर से हड़ताल कर रहे हैं।
-दिलीप गुप्ता वाइस प्रेसीडेंट, इंडिपेंडेंट स्कूल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
बोले परेंट्स, हो रही टेंशन
बच्चों को स्कूल ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने हड़ताल कर दी है। अब ऐसे में समस्या इस बात की आ रही है कि बच्चे को स्कूल में कैसे भेजें। इसको लेकर अभी से टेंशन हो रही है। जल्दी ही प्रशासन इस पर कुछ हल निकाले।
नीलम, पेरेंट
अभी बच्चों को स्कूल लाने व ले जाने के लिए वैन आती है। इससे आराम है, लेकिन अगर वाहन नहीं आएगा तो कॉलोनी के आधे बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाएंगे। हम लोग भी यही सेाच कर परेशान हैं कि बच्चे को स्कूल कैसे भेजें। सुबह तो बच्चे को स्कूल छोड़ भी दो, लेकिन दोपहर में टाइम निकालना मुश्किल होता है।
आरती, पेरेंट