बरेली (ब्यूरो)। जाने-अनजाने में किए गए अपराध के बाद क्रिमिनल्स को पुलिस गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करती है। वहां से उन्हें उनके जुर्म की सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया जाता है, लेकिन देखा जा रहा है कि अपराध की सजा काटने के बाद बाहर आने पर भी अपराधी सुधर नहीं रहे हैं। उनके भीतर जेल का जरा भी डर नहीं रहता है। कई बार देखा जाता है कि जेल के अंदर से सजा काट कर बाहर आए अपराधी सुधरने के बजाय और भी अधिक दुर्दांत अपराधी बन कर बड़े क्राइम करने लग जाते हैं। जेल के अंदर के माहौल का खौफ उनके मन से गायब हो जाता है। यह ही कारण है कि सजा काटने के बाद दोबारा जेल जाने का डर भी उन्हें नए क्राइम को करने से रोक नहीं पाता।

सुधार के नहीं होते उपाय
अपराधियों को जेल में सजा काटने के लिए भेजा जाता है। उनके सुधार को लेकर कोई प्रयास वहां पर नहीं होते, जिसका परिणाम यह होता है कि वे अपराध की राह को छोडऩे की दिशा में सोचने के बजाय कई बार और भी बड़े अपराध कर गुजरते हैं। ऐसे में यह बहुत आवश्यक है कि जेल के अंदर बंदियों को पॉजिटिव माहौल मिले। मोटीवेशनल स्पीचेज या आध्यात्मिक सत्संग आदि के कार्यक्रम होने चाहिए, जिससे वे सेशन्स उनके मन को बदलने में सहायक सिद्ध हो सकें। हालांकि जेल अधिकारियों द्वारा जेल में बंदियों की काउंसलिंग कराने की बात कही जाती है। इसके साथ ही सुबह-शाम भजन और योग सेशन लगाने की बात भी वे बताते हैं, लेकिन ये सब उन बंदियों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। यह वजह भी है कि जेल से छूटने के बाद वे दोबारा अपराध की दुनिया में कदम रखने में नहीं चूकते हैं।

बिना काम किए मिलती रोटी
कई मामलों में सामने आया है कि कुछ क्रिमिनल्स बिना काम किए पेट भरने के आदी हो चुके हैं। करने के लिए उनके पास कोई रोजगार नहीं होता। मेहनत वे करना नहीं चाहते। ऐसे में सजा पूरी होने के बाद वे जेल से बाहर आ भी जाते हैं तो दोबारा जल्द से जल्द कुछ भी ऐसा करने की जुगत भिड़ाते रहते हैं कि पुलिस उन्हें दोबारा जेल में डाल दे। दोबारा जेल में जाकर वे बड़े अधिकार के साथ घर की तरह ही रहते हैं।

जेल में बना लेते हैं गैंग
बता दें कि अपराध करने के बाद जेल पहुंचने वाले अपराधी जेल में दूसरे अपराधियों से दोस्ती करने के बाद अंदर ही अपना गैंग बना लेते हैं। इसके बाद वह बाहर आकर गैंग के रूप में काम करते हैं और लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस की नाक में दम कर देते हैं। पुलिस ऐसे कई अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले कई अपराधी ऐसे होते हैं, जो जेल में जाकर हर बार नए गैंग को तैयार कर लेते हैं। इस तरह ज्यातर अपराधी लूट, चोरी डकैती और ऑटोलिफ्टिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देते है।

चलती है हनकबाजी
बता दें कि जेल में भी अपराधियों की हनकबाजी खूब चलती है। जेल में जहां एक ओर छेड़छाड़, रेप जैसे मामलों में पहली बार जेल जाने वाले अपराधियों को पीटने की चर्चा अक्सर होती रहती है, वहीं जेल में लंबे समय से बंद अपराधी नए अपराधी पर हनक बना लेते हैं। इसके साथ ही घर से अच्छी आर्थिक स्थिति वाले नए अपराधी के जेल में आने पर वे उस पर अपना दबदबा बना लेते हैं ताकि वह जेल में उनके लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सके।

केस वन
लव मैरिज के बाद हत्या
फतेहगंज पश्चिमी के लोधीनगर का रहने वाले कृष्णपाल उर्फ चनबे ने वहीं की रहने वाली पूजा से लव मैरिज की थी। उससे उसके दो बच्चे थे। कृष्णपाल एक आपराधिक मामले में जेल गया था। इसके बाद कुछ समय बाद वह जेल से छूटकर वापस आया। इसके बाद वह पत्नी के अवैध संबंध होने का शक करने लगा, जिसको लेकर कई बार विवाद भी हुआ। बता दें कि नौ जून को आरोपित का पत्नी से फिर विवाद हुआ, जिस पर उसने पत्नी को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान पत्नी घर के बाहर जान बचाने के लिए भागी तो गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। इस दौरान गोली लगने से मुन्ना नाम का युवक भी घायल हो गया था। इस मामले में पूजा के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी। मृतक के बेटे आदित्य ने पुलिस को पूरी कहानी बयां की थी। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे दोबारा जेल भेज दिया गया था।

केस टू
लूट का फोन बेचने लगा
बता दें कि प्रेमनगर में एक लूट हुई थी, जिसमें मोबाइल फोन भी शामिल थे। एक युवक ने वीर सवारकर नगर, इज्जतनगर में बॉबी मोबाइल शॉप से सेकंड हैंड मोबाइल फोन खरीदकर अपना सिम डाला था। इसके बाद पुलिस ने सर्विलांस की मदद से युवक को दबोच लिया। पूछताछ करने पर पुलिस ने शॉपकीपर को उठा लिया था। पूछताछ में उसने खुद को बारादरी के संजयनगर निवासी बॉबी पुत्र जितेन्द्र कुमार बताया। शुरुआत में उसने पुलिस को मुगराह करने के लिए कहा कि उसने फोन किसी से खरीदा था। इस दौरान जांच पड़ताल करने पर पता चला कि बॉबी चोरी के मामले में जेल जा चुका है, जो कुछ समय पहले ही छूटकर आया था। इसके बाद पुलिस को लूट का भी क्लू मिला, जिसके बाद उसे दोबारा जेल भेजा गया।

केस थ्री
20 साल सजा काटने के बाद दूसरा कत्ल
भमोरा थाना क्षेत्र के दलीपुर के रहने वाले धर्मवी कुमार की भगवान देई से शादी हुई थी। शादी के चार साल बाद धर्मवीर का गांव के ही सियाराम से विवाद हो गया था, जिसके बाद उसने लाईसेंसी बंदूक से गोली मारकर सियाराम का कत्ल कर दिया था। इस मामले में उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उसकी पत्नी सौतेले भाई ओमप्रकाश के साथ पत्नी बनकर रहने लगी। इस दौरान दोनों चार बच्चे हुए। हत्या में 20 साल की सजा काटने के बाद धर्मवीर जेल से जून 2022 में बाहर आया था। इसके बाद से ही उसका पत्नी को लेकर भाई से विवाद होने लगा। इसी को लेकर उसने नवंबर 2022 में भाई की कुल्हाड़ी से गर्दन काटकर उसकी हत्याकर दी थी। इस दौरान उसने खुद को पुलिस से बचाने के लिए खुद पर भी कुल्हाड़ी से हमला कर लिया था। हत्या को बचाव में हुई घटना दिखाया जा सके। पुलिस ने आरोपित को गिफ्तार कर दोबारा जेल भेज दिया था।

केस फोर
जेल में गैंग बनाकर लूट
भंता थाना क्षेत्र के मिर्जापुर का रहने वाला संतोष कुमार एक अपराधिक मामले में जेल गया था। जेल में उसकी आंवला कस्बा के खेड़ा गांव के रहने वाले मोबीन से दोस्ती हुई। दोनों ने जेल में ही गैंग बना लिया। कुछ समय बाद दोनों ही जेल से बाहर आए, और एक दूसरे से संपर्क किया। इसके बाद संतोष ने मोबीन की भुता के मिर्जापुर के रहने वाले ब्रजेश गंगवार और भगवानदास से दोस्ती कराई। इसके बाद चारों ने गैंग बनाकर शाहजहांपुर रोड पर एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के पास टीचर से मोबाइल और चेन लूट ली थी। लूट के समय टीचर की चेन वहीं गिर गई थी। इस मामले में बिथरी पुलिस ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

कराते हैं काउंसलिंग
जेल में योग सेशन लगाया जाता है। इसके साथ ही सुबह-शाम भजन कार्यक्रम भी होता है तथा समय-समय पर काउंसलिंग भी कराई जाती है। पूराप्रयास किया जाता है कि उनका मन बदले और वे अपराध की दुनिया से दूरी बना कर सही राह पर चलते हुए लाइफ बिता सकें।
-विपिन मिश्र, जेल अधीक्षक