बरेली (ब्यूरो)। अगर आप अपने बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल दे देते हैं तो अलर्ट हो जाएं। क्योंकि ये मोबाइल मासूमों से उनका बचपन छीन रहा है। अक्सर घरों में मोबाइल मां बच्चे को बिजी करने के लिए दे देती हैं। शुरूआत में तो ये ठीक लगता है, लेकिन बाद में यही मोबाइल कुछ दिन बाद बच्चे को न दिया जाए तो उसके हलक से खाना तक नीचे नहीं उतरने देता है। बच्चा रोना शुरू कर देता है, खाना फेंक देता है, लेकिन मोबाइल के बिना खाना नहीं खाता है। यहां तक कि मोबाइल सामने रखकर रील और कार्टून देखे बिना वह एक पल नहीं रहना चाहता है। बच्चा मोबाइल का अगर अधिक समय बिताता है तो वह उसका लती हो जाता है। इसी तरह की समस्याओं से परेशान होकर लोग अपने बच्चों को अब डॉक्टर्स के पास तक लेकर पहुंच रहे हैं। यहां पर उनकी काउंसलिंग और दवाएं देकर उनकी समस्या को समाधान किया जा रहा है। पढि़ए पूरी रिपोर्ट


केस-1.खाना छोड़ रोने लगता है बच्चा
बदायूं रोड निवासी दो वर्षीय कृष्णा ठीक से बोल भी नहीं पता है। वह हमेशा मोबाइल को पास रखकर देखना चाहता है। अगर मोबाइल ले लिया जाए तो वह खाना पीना तक छोड़ देता है। अगर डमी मोबाइल दे दिया जाए या फिर टीवी देखने के लिए कहा जाए तो रोने लगता है। परेशान होकर डॉक्टर को दिखाया तो अब कुछ सुधार है, लेकिन पूरी तरह से अभी भी ठीक नहीं है।

केस: 2खाना तक फेंक देते है
पीलीभीत बाईपास रोड निवासी तेजस अभी चार वर्ष का है। मां के हाथ से खाना खाता है, लेकिन मोबाइल की लत इतनी अधिक है कि मां के हाथ से खाना तभी खाता है जब उसके सामने मोबाइल पर देखने के लिए कुछ न कुछ उसकी पसंद का चला दिया जाए। वह खुद भी मोबाइल पर अपनी पंसद का वीडियो देखने के लिए ऑन करता है। अगर उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया जाए तो वह खाना तक उठाकर फेंक देता है। इसके लिए डॉक्टर्स से सलाह ली है।

केस :3 स्कूल के लिए मोबाइल की जिद
आंनद विहार कॉलोनी निवासी खूशबू पांच वर्षीय है। स्कूल के लिए जाने को भी मोबाइल ले जाने की जिद करती है। मोबाइल नहीं देने पर स्कूल तक नहीं जाना चाहती है। परेशान होकर पेरेंट डॉक्टर्स के पास लेकर गए, लेकिन वहां पर उसकी काउंसलिंग की गई। कुछ दवाएं आदि दी गई। अब उसकी इलाज और काउंसलिंग चल रही है। मोबाइल देखना कुछ कम तो किया है लेकिन पूरी तरह अभी भी नहीं छूट सका है।

जारी है गाइड लाइन
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक एंड वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन दो साल के कम उम्र में बच्चों को किसी प्रकार की स्क्रीन के संपर्क में न आने की हिदायत देता है। इसके बाद दो सा पांच साल तक के बच्चों को एक घंटा से अधिक मोबाइल नहीं देना चाहिए। इससे अधिक समय यदि बच्चा मोबाइल पर बिताता है तो वह उसका लती हो जाता है।

इस तरह की आती है समस्या
-मासूमों में देर से बोलने की समस्या
-सही प्रकार से बोलने के लिए उच्चारण न कर पाना
-सामाजिक और भावात्मक विकास न होना
-खानपान में परेशानी होना आदि की समस्याएं
-मोटापा, सोने में परेशानी, फियर ऑफ मिसिंग आउट
-ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, गुस्सा, चिड़चिड़ापन
-लैक ऑफ कंसट्रेंशन जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं

वर्किंग कपल अपने कार्य के चलते दो साल से छोटे बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल फोन न दें। उसे खिलौने दें, परिवार के अन्य सदस्यों को देखभाल के लिए कहें। बच्चों के सामने खुद मोबाइल के इस्तेमाल से बचें। बच्चों से खाने, सोने और खेलने का अनुशासन बनाएं। उसे अपने आसपास की वस्तुओं, प्राणियों और शब्दों से संबध स्थापित करने का समय दें।
डॉ। आशीष, मनोवैज्ञानिक, जिला अस्पताल