बरेली (ब्यूरो)। अब वह दौर गया, जब कहा जाता था बेटा ही घर का नाम रोशन करेगा। आज के टाइम पर लड़कियां हर कदम पर लडक़ों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही हैं। घर हो या बाहर वे अपनी स्किल का बखूबी प्रयोग कर रही हैं। अपने सिटी में भी कई बेटियों ने अपने दम पर ही नेशनल से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक पर अपनी आइडेंटिटी स्थापित की है। आज का दिन कुछ ऐसी ही महिलाओं के नाम न्योछावर है। प्रस्तुत है दैनिक जागरण अई नेक्स्ट की रिपोर्ट।
सेपकटाकरा ने दिलाई पहचान
14 साल की खुशबू के पिता मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में तैनात थे। खुशबू अक्सर वहां पर प्लेयर्स को खेलते देखती थीं। स्टेडियम में उन्होंने कुछ लडक़ों को मलेशिया का खेल सेपक टाकरा खेलते हुए देखा। उन्हें खेलता देखते-देखते कब उनके मन में प्लेयर बनने की इच्छा बलवती हो गई, पता ही न चला। धीेरे-धीरे उन्होंने इसे जीवन का हिस्सा बना लिया। अंतत: वह एशियाई खेलों में खुशबू उस टीम का हिस्सा थीं, जिसने महिलाओं के सेपक टकरा में भारत के लिए पहला पदक जीता था। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत उनके लिए आसान नहीं थी। कारण यह कि उनकी फैमिली की फाइनेंशियल कंडीशन भी वीक थी। ऊपर से रिश्तेदार और पड़ोसी भी उनके अगेंस्ट थे। उन्हें खुशबू का शॉट्र्स पहनना बहुत अखरता था, लेकिन उन्होंने इस सब की परवाह नहीं की और आगे बढ़ती चली गईं। स्कूल लेवल पर कई टूनामेंट खेलें। 2007 में सेपक टाकरा को लाइफ में शामिल कर लिया। 2008 में जूनियर नेशनल में पहली बार मेडल जीता। 2015 में पहली बार इंटरनेशनल खेला था, जिसमें सिल्वर और ब्राउंज मेडल था। इसके बाद लगातार आगे ही बढ़ती रहीं।
जरदोजी की दुनिया में कमाया नाम
राजगढिय़ा एक्सपोर्ट की कोफाउंडर शिखा राजगढिय़ा भी आज इंटरनेशनल लेवल पर बिजनेस वूमेन के रूप में अपनी अलग ही आइरूेंटिटी बना चुकी हैं। वह बताती हैं कि वे लोग मूलत: बिहार के रहने वाले हैं। कई साल पहले बरेली आए तो जरी का काम उन्हें इतना अच्छा लगा कि इसे अपना कॅरियर बनाने की ठान ली। धीेर-धीेरे स्टार्ट किया। उसके बाद धीरे-धीरे इस फील्ड में आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने बताया कि चार साल पहले सिर्फ तीन यूनिट थीं, जिन्हें उन्होंने एक कर दिया। आज उसमें 180 लोग काम कर रहे हैैं। शिखा के अनुसार उन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। इसमें यूपी रत्न और बरेली के कई अवॉर्ड भी शामिल हैैं। उन्होंने बताया कि कोविड के टाइम पर उन्होंने इसे डिजिटली लॉन्च किया। कोविड के टाइम पर जहां हर कुछ बंद हो रहा था, उन्होंने लगातार मेहनत कर इसे और बूस्ट किया। टीम के साथ मिल कर 18-18 घंटे काम किया। उन्होंने बतााया कि भारत टेक एग्जीबीशन में उनकी कंपनी को बेस्ट कंपनी का सम्मान भी मिला। इसके अलावा दुबई में भी सम्मानित किया गया। वह कहती हैं कि वल्र्ड के तमाम ईवेंट्स में उनकी कंपनी की ड्रेस पहुंच रही हैं। कोलम्बिया, इजराइल और टर्की में भी उनकी कंपनी पहचान बना चुकी है।
सेवा के लिए राष्ट्रपति से मिला अवार्ड
कहते है कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। बरेली कॉलेज में एमए की छात्रा रहीं एनएसएस स्वयंसेविका संजना सिंह ने अपने सवा कार्यों से सिटी का नाम रोशन किया है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उन्हें एनएसएस अवॉर्ड 2021-2022 की श्रेणी में सम्मानित किया गया। संजना ने बताया कि उन्हें नेचर को बचाने के लिए काम करना और असहाय लोगों की हेल्प करना बहुत अच्छा लगता है। उन्हें यह सम्मान पर्यावरण, स्वच्छता, कल्याणकारी योजनाओं और अन्य कामों के प्रचार समेत समाजिक सरोकारों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर दिया गया। सीएम ने भी उन्हें इसके लिए बधाई दी। उन्होंने बतााया कि जब वह सम्मानित होकर आईं तो उनके घर के बाहर लोगों का तांता लगा हुआ था। परिवार के साथ बहुत से लोगों ने उन्हें बधाई दी।