कुछ अलग करने की थी इच्छा
अरुण ने आईआईटी कानपुर से बीटेक किया और दो साल तक एक मल्टिनेशनल कंपनी में मोटी सैलरी पर काम भी किया। वहीं अमित आईआईटी मुंबई से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक कर चुके हैं। इंजीनियरिंग के बेस्ट इंस्टीट्यूट से एजुकेशन हासिल करने के बाद दोनों ने आम स्टूडेंट्स की तरह मोटी सैलरी वाली जॉब के पीछे नहीं भागे। उनमें स्टार्टिंग से ही करियर में कुछ अलग करने की चाह थी। अमित का मल्टिनेशनल कंपनी में सेलेक्शन भी हो गया। लेकिन उन्होंने जॉब असेप्ट नहीं किया। दोनों ने दिल्ली में रहकर तैयारी को अंजाम दिया। अरुण ने तो दो वर्ष के बाद अपनी जॉब से रिजाइन देकर तैयारी की।
कभी डिसकरेज नहीं हुए
एक ही बार में सफलता न मिलने पर वे कभी भी डिसकरेज नहीं हुए। बल्कि दोगुने उत्साह से दोबारा तैयारी की। अमित ने थर्ड अटेम्प्ट में एग्जाम क्लियर किया है। पहला अटेम्प्ट उन्होंने बिना किसी तैयारी के दिया। वहीं सेकेंड अटेम्प्ट में वे इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाए। अरूण ने यह एग्जाम सेकेंड अटेम्प्ट में क्लियर किया है। फस्र्ट अटेम्प्ट में वे इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाए। सेकेंड अटेम्प्ट में उन्होंने फ्रेश इनर्जी के साथ पुख्ता तैयारी की और 304 रैंक हासिल की।
फैमिली मेंबर्स ने हमेशा किया सपोर्ट
दोनों कैंडीडेट्स के पेरेंट्स ने करियर के हर अप्स एंड डाउंस में हमेशा साथ दिया। भले ही उन्होंने फस्र्ट अटेम्प्ट में क्लियर नहीं किया हो, उन्होंने अफसोस करने के बजाय उनका हौंसला बढ़ाया ही। अमित के फादर रिटायर्ड बैंक ऑफिसर अवतार नाथ अरोड़ा हमेशा उसके हर फैसले के सपोर्ट में रहे। चाहे वह अच्छी जॉब को असेप्ट न करने का डिसिजन ही क्यों न हो। वहीं अरूण के फादर बैंक ऑफिसर बीआर सागर भी हर मोड़ पर उनको एनकरेज करते रहे। जॉब से रिजाइन करने का डिसिजन हो या फिर फस्र्ट अटेम्प्ट में क्लियर न कर पाना। हर सिचुएशन में उन्होंने अरूण का धैर्य बंधाए रखा।