- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में मामला आया सामने
BAREILLY:
न्यू वॉशिंग लाइन में ट्रेन के अंदर मासूम के साथ हुई रेप की वारदात बरेली रेलवे जंक्शन के सुरक्षा अधिकारी सबक नहीं ले पा रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक सुरक्षा तार-तार नजर आयी। वाशिंग लाइन में आरपीएफ या जीआरपी दोनों में किसी के जवान की ड्यूटी नहीं थी। यही नहीं ट्रेनों की खिड़कियां और दरवाजे खुले हुए थे। जबकि, यहां ड्यूटी सुरक्षा कारणों से बेहद अनिवार्य है कि कोई सुनसान में खड़ी ट्रेन में कोई विस्फोटक न रख जाए। या फिर कोई और वारदात न हो जाए।
वाशिंग लाइन पहुंच रहे थे यात्री
ट्यूजडे शाम 4 बजे को हम सबसे पहले हम वॉशिंग लाइन पहुंचे। जहां पर रेवाड़ी-दिल्ली-सीतापुर पैसैंजर लगी थी। यह वहीं ट्रेन है जिसमें दो दिन पहले सीवान निवासी 11 वर्षीय मासूम के साथ रेप हुआ था। वॉशिंग लाइन में ट्रेन खड़ी होने के बाद भी ट्रेन का गेट खुला हुआ था। इमरजेंसी खिड़कियां खुली हुई थी। प्लेटफार्म पर ट्रेन पकड़ने की बजाय लोग सीट पाने के लिए वॉशिंग लाइन जाकर ट्रेन में सवार हो रहे थे। लेकिन यहां पर रेलवे का कोई स्टाफ नहीं था। यार्ड और वॉशिंग लाइन में कोई सिक्योरिटी नहीं दिखी।
9 ट्रेनों लगती हैं वॉशिंग लाइन
बरेली से 9 ट्रेनें गंतव्य स्थान को जाती हैं। इनमें आला हजरत, इंटरसिटी, त्रिवेणी और बरेली-वाराणसी पैसेंजर्स समेत अन्य ट्रेनें हैं, जो कि यार्ड और वॉशिंग लाइन में लगती हैं। नियम के मुताबिक, वॉशिंग लाइन या यार्ड में जाने से पहले प्लेटफॉर्म पर ही संबंधित ट्रेन के गेट और खिड़कियां बंद हो जाने चाहिए। ताकि, कोई भी संदिग्ध ट्रेन में सवार न हो सके, लेकिन रेलवे की ओर से बरती जा रही लापरवाही के कारण ट्रेन में स्मैकिए, रेपिस्ट, चोर और लूटेरे जैसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोग ट्रेन में सवार हो जाते है।
एक कर्मचारी के भरोसे पैड लॉकिंग
हालात यह है कि पैड लॉकिंग के लिए मात्र एक कर्मचारी है। यानि तीन शिफ्ट के लिए तीन कर्मचारी है। जो कि ट्रेन प्लेटफार्म पर आने के बाद पैड लॉकिंग का काम करते है, जिसके चलते 24 कोच की ट्रेन की पैड लॉकिंग में एक घंटे का समय लग जाता है। ऐसे में तब तक दूसरी ट्रेन के प्लेटफार्म पर लगने का समय हो जाता है। लिहाजा, पैड लॉकिंग के बिना ही ट्रेन को वॉशिंग लाइन और यार्ड में भेज दिया जाता है।
स्क्वॉड की तैनाती नहीं
ट्रेन में रेप का मामला सामने आने बाद भी आरपीएफ नहीं चेत रहा है। इसकी जिम्मेदारी है कि वॉशिंग लाइन और यार्ड में स्क्वॉड की ड्यूटी लगाए। लेकिन आरपीएफ के जवान तभी ड्यूटी पर होते हैं जब लगेज को उतारना या चढ़ाना होता है। उसके बाद वह गायब ही रहते है। जिसके कारण अराजक तत्वों को बढ़ावा मिल रहा है।
कर्मचारियों की कमी के चलते पैड लॉकिंग का काम नहीं हो पाता है। कई बार तो क्लिनिंग स्टाफ की मदद लेनी पड़ती है।
आरएस सिंह, सीडीओ, बरेली जंक्शन