बरेली (ब्यूरो)। डायबिटीज और हार्ट का बहुत ही गहरा रिलेशन होता है। अगर किसी को डायबिटीज हो गई तो उसे हार्ट प्रॉब्लम होनी तो शुरू ही हो जाती है। ऐसे में सर्दियों में दोनों का ख्याल रखना जरूरी होता है। कुछ एक भी डिस्बैलेंस हो तो इसका खामियाजा बॉडी को झेलना पड़ता है। डायबिटीज एक क्रॉनिक डिजीज है, जो एक बार हो जाए तो जीवन भर के लिए हो जाती है। टाइप-2 डायबिटिक्स को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है।
ठंड में तीन गुना मामले
ठंड में लोगों को ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत होती है, क्योंकि ठंड में ब्लड क्लॉट होने की संभावना बढ़ जाती है। इस वजह से हार्ट अटैक हो जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार गर्मियों के मुकाबले ठंड में हार्ट अटैक के केसेस तीन गुना बढ़ जाते हैैं।
डायबिटीज में क्या होता है
डायबिटीज या शुगर आजकल लोगों में होना आम बात हो गई है। वहीं इसकी कोई एज लिमिट नहीं है। हर उम्र्र के लोगों में डायबिटीज की समस्या देखी जा रही है। पैैंक्रियाज में इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाता है, जो ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल करता है। वहीं जब ब्लड के अंदर ग्लूकोज का लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता है तब डायबिटीज की समस्या हो जाती है, क्योंकि ब्लड में शुगर लेवल लगातार बढऩे लगता है।
50 प्रतिशत मरीजों को हार्ट प्रॉब्लम
एक्सपर्ट ने बताया कि 50 से 60 प्रतिशत लोगों को हार्ट की प्रॉब्लम होती ही है। वहीं हाई शुगर वाले डायबिटीज पेशेंट को हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा रहता है। इसकी वजह यह होती है क्योंकि एक तो डायबिटिक पेशेंट की नर्व वैसे भी पतली हो जाती हैैं, वहीं ठंड की वजह से इस पर और भी खास प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से ब्लड फ्लो कम होने लगता है, जो हार्ट अटैक की एक बड़ी वजह बन जाता है। इसके अलावा कोरोनरी आर्टरी, मस्तिष्क आर्टरी आदि में भी फ्लो कम हो जाता है।
स्टे्रस लेवल करें मेंटेन
लोगों का रुटीन इतना खराब हो गया है कि वे समझ ही नहीं पाते हैैं कि वे बिन बुलाए ही कई सारी बीमारियों को दावत दे रहे हैैं। स्टे्रस की वजह से ही ब्लड फ्लो अप-डाउन होता रहता है। इसके अलावा लोगों का स्लीप पैटर्न फिक्स नहीं है। यह हर रोज बदलता रहता है।
इसका रखें ध्यान
कई बार लोगों को यह गलतफहमी हो जाती है कि सिर्फ मीठा खाने से ही डायबिटीज होती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। डायबिटीज की कई वजह होती है, जिसमें एक है मोटापा। आजकल लोग बहुत ही आलसी हो गए हैं। कभी भी कुछ भी खा लेते हैैं। खानपान का खास ख्याल नहीं रखते हैैं। इसकी वजह से कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैैं।
क्या हैैं सिम्टम्स
-इंसुलिन रेजिस्टेंस
-ब्लड शुगर लेवल हाई
-लंबे समय तक सूजन
-हाई बीपी रहना
दो तरह की होती है डायबिटीज
टाइप 1- यह एक गंभीर स्थिति है। इसमें अग्न्याशय बहुत कम इंसुलिन बनाता है या नहीं बनाता है। इस टाइप की प्रॉब्लम आमतौर पर किशोरावस्था में दिखाई देती है।
टाइप 2- लंबे समय से चल रही एक स्थिति, जो शरीर की उन प्रक्रियाओं पर असर डालती है, जो खून में शक्कर (ग्लूकोज) से संबंधित हैं।
इस टाइप की डिजीज में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या फिर वह इंसुलिन का प्रतिरोध करता है।
कैसे करें क्योर
धूप में करें मॉर्निग वॉक
एक्सरसाइज है जरूरी
खानपान का रखें ख्याल
जंक फूड करें अवॉइड
गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलें
बॉडी बनाने के लिए सप्लीमेंट करें अवॉइड
रुटीन चेकअप है जरूरी
सर्दियों में डायबिटीज पेशेंट को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को फुल पैक होकर ही बाहर निकलना चाहिए। खुद ही अपना डॉक्टर नहीं बन जाना चाहिए, थोड़ी भी प्रॉब्लम होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
-डॉ। पवन गोयल, कार्डियोलॉजिस्ट