बरेली (ब्यूरो)। गणेश चर्तुर्थी का पर्व सात सितम्बर को मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है। गणेश चर्तुर्थी पर इस बार मार्केट में इको फ्रेंडली प्रतिमा की काफी डिमांड है, और लोगों ने इसके लिए पहले से ऑर्डर देकर तैयार भी कराई हैं। बरेलयिंस की माने तो वह इको फ्रेंडली प्रतिमा को विसर्जन के लिए नदी या फिर रामगंगा पर नहीं बल्कि घर के गार्डन में ही विसर्जन करेंगे। सप्ताह भर चलने वाला गणेश चर्तुथी के पर्व पर विशेष पूजा, भजन कीर्तन और गणेश जी की आरती की जाती है। अंत में इस पर्व का समापन गणेश प्रतिमा विसर्जन के साथ होता है
एक्सपर्ट दे रहे स्पेशल लुक
गणेश प्रतिमा को तैयार करने वाले कारीगरों की माने तो गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा तैयार करने में 8 से 10 दिन लग जाते है। सबसे पहले मूर्ति को आकार दिया जाता है। इसके बाद हाथों को अलग तैयार करके उनको आकार दिए गए ढाचे के साथ जोड़ दिया जाता है। मूर्ति की पूरी डिजाइन फ्रेम द्वारा की जाती है। प्रतिमा तैयार होने के बाद हल्की रहे इसके लिए प्रतिमा के अंदर नारियल का जूट और बांस की लकड़ी का प्रयोग भी किया जाता है। इसके बाद उसमें पानी वाले कलर जिसे कारीगरों की भाषा में कच्चा कलर भी कहते है। मूर्ति में कलर करने के बाद सुनहरा डिस्टेंपर का इस्तेमाल कर उसे फाइनल टच दिया जाता है। एक प्रतिमा को तैयार करने में चार से पांच कारीगरों की आवश्यकता होती है।
ऐसे करें विसर्जन
- गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक बाल्टी या टब लें
- बाल्टी में इतना पानी डाले कि गणपति विसर्जित हो जाएं
- पानी में अमोनियम बाइकार्बोनेट डालें और इसे घुलने दें
- गणपति को बाल्टी में डालें और दो-दो घंटे में पानी को चलाते रहें
- 48 घंटे बाद बाल्टी में दूध की तरह सफेदा घोल बन जाएगा-इस पानी को खाली प्लॉट या फिर गमले में डाल दें।
अगर प्रतिमा के अंदर बीज हैं तो ऐसे करें विसर्जन
- गणपति के साइज को ध्यान में रखते हुए एक गमला लें
- इसमें साफ पानी भरें और गणपति को विसर्जित करें
- गणपति जैसे ही डिजॉल्व होंगे वैसे ही पानी में बीच दिखने लगेगा
- इस बीज को गमले में रहने दें और थोड़ी एक्सट्रा मिट्टी डाल दें समय समय पर पानी दें
- कुछ दिनों बाद एक खूबसूरत पौधा तैयार हो जाएगा।
इनकी भी सुनिए
घरों में भी करेगें विसर्जन
इस बार गणेश चर्तुर्थी पर इको फ्रेंडली प्रतिमा घर पर स्थापित करेंगे। प्रतिमा विर्सजन के लिए रामगंगा न जाकर घर में ही मूर्ति विर्सजन करेंगे। इसके लिए वह घर में एक टब का इस्तेमाल कर उसमें पानी भरकर मूर्ति को विर्सजित करेंगे। उसी मिट्टी से अपने घर में एक पौधे रोप देंगे।
मनीषा, निवासी पुराना शहर
इस बार मैं अपने घर में इको फेंडली गजानन को स्थापित करूंगीं। पिछली बार मैंने रामगंगा पर जाकर मूर्ति विसर्जन किया, लेकिन इस बार मैं अपने घर में ही विसर्जित करूंगीं। जिससे मैं उस मिट्टी का सही उपयोग कर सकती हूं।
ज्योति सिंह, निवासी राजेन्द्र नगर
इस बार गणेश प्रतिमा मिट्टी से तैयार की जा रही है। प्रतिमा को हल्का रखने के लिए इसमें नारियल के जूट वांस की लकड़ी व पौधों के बीज का उपयोग किया गया है। जिससे यह नदियां भी साफ रहें और प्रतिमा के अंदर जो बीज हैं उससे पौधे बढ़े।
गोविन्द मूर्ति कलाकार