बरेली (ब्यूरो)। पानी की हर बूंद अनमोल है, लेकिन इसे बचाने की फिक्र कम ही लोग करते हैं। इसे बचाने के लिए उस स्तर पर प्रयास नहीं हो पाता है। इस का ही नतीजा है कि शहर में जगह-जगह पाइप लाइन, पानी की टोंटी और ओवरहेड टैंक की लीकेज बनी रहती है। इस लीकेज के कारण पीने का हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
अलर्ट होने की जरूरत
खासकर पेयजल की बर्बादी शहर के उन एरियाज में अधिक होती है, जहां पानी की लाइन टूटती अधिक है। पानी की पाइप लाइन टूटने के बाद ठीक कराने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है तब तक हजारों लीटर पीने का पानी रोड पर भर जाता है और नालियों में बह जाता है, लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो भूगर्भ जल स्तर जिस तरह हर वर्ष 40 सेमी औसतन गिर रहा है। उससे तो साफ है कि आज पानी बहाया तो कल आंसू बहाना पड़ सकता है। इसके लिए हमें अभी से अलर्ट होना चाहिए और पेयजल की बर्बादी को रोकने के लिए आगे आना चाहिए।
लीकेज के हर माह 2-4 केस
अफसरों की माने तो जब पाइप लाइन पुरानी बिछी हुई थी तब तो हर सप्ताह में कहीं न कहीं से पानी की लीकेज की समस्या के लिए कॉल आती थी। टूटी पाइप लाइन होने के कारण लोगों के घरों में भी गंदा पानी पहुंच जाता है। जिसे बरेलियंस पीने के लिए मजबूर होते हैं। यहां तक कि कई ऐरिया तो ऐसी हैं जहां पर पीला पानी भी घरों में सप्लाई हो जाता है। इससे भी कई एरिया में समस्या बनी हुई है। हालांकि कई एरिया में अब तो पाइप लाइन नई बिछाई गई है जिससे पाइप लाइन के लीकेज होने की समस्या कम हुई है। इससे जहां लोगों को कुछ राहत मिली।
बॉर्डर एरिया में समस्या
शहर के एक मोहल्ला या फिर एक वार्ड से दूसरे वार्ड का जहां पर वॉर्डर होता हैं वहां पर पाइप लाइन तो बिछी होती है लेकिन पानी नहीं पहुंच पाता है। नगर निगम के ही 80 वार्डो में बात की जाए तो 20 वार्ड ऐसे हैँ जहां पर आंशिक रूप से पाइप लाइन ही नहीं बिछी हुई है। इससे लोगों को समस्या होती है।
एक्टिव हो हेल्प डेस्क
बरेलियंस का कहना है कि कई एरिया ऐसे हैं जहां पर पानी की लीकेज की समस्या होती है या फिर पेयजल गंदा आता है तो वहां से कंप्लेट करने के लिए जब भी कोई आता है तो परेशानी होती है। उसे इधर-उधर भटकाया जाता है। इसके लिए हेल्प डेस्क को एक्टिव किया जाए। हेल्प डेस्क अलर्ट होगी तो लोगों को नगर निगम तक दौड़ लगानी की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए सोशल मीडिया का नगर निगम को भी एक्टिव होना चाहिए ताकि एरिया के हिसाब से समस्या को भी निराकरण किया जा सके।
यहां पर पानी की बर्बादी
-ओवर हेड टैँक के फुल होने के बाद ओवर फ्लो
-सार्वजनिक एरिया में लगी प्याऊ की टोंटी टूटी
-रोडवेज बस स्टेशन
-रेलवे जंक्शन
-टॉयलेट में पानी की टंकी खुली छोड़ देना
-कार वाशिंग सेंटरों पर पानी की अधिक बर्बादी
-पेयजल होने के बाद भी आरओ यूज करना
सिटी के जिन एरियाज में भी पानी के लीकेज की शिकायत आती है। वहां पर 24 घंटा के अंदर समस्या को दूर करा दिया जाता है। इसके लिए टीम एक्टिव मोड में रहकर काम करती है। अब पहले की अपेक्षा काफी व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई है।
-अजीत कुमार, जेई जलकल विभाग