बरेली (ब्यूरो)। तेज धूप और बढ़ता टेंप्रेचर लोगों के लिए सिरदर्द बन रहा है। कई दिनों से चल रही हीट वेव को लेकर अब ऑरेंज अलर्ट भी प्रशासन ने जारी कर दिया है। दोपहर में भी हीट वेव के कारण रोड पर कफ्र्यू जैसी स्थिति होती है। जरूरी काम से लोगों को निकलना पड़ रहा है तो वे बीमार हो जा रहे हैं। गर्मी के दिनों में पसीने के जरिए शरीर का पानी अैार इलेक्ट्रोलाइट्स तेजी से कम हो जाते हैं। इससे डीहाइड्रेशन हो सकता है। डीहाइड्रेशन ब्लड वॉल्यूम घटता है और दिमाग तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने लगती है। इससे सिरदर्द की समस्या हो जाती है।
एक्जॉशन का खतरा
अधिक तापमान में रहने से बॉडी का तापमान बढ़ सकता है। इससे हीट स्ट्रोक या एक्जॉशन का खतरा बढ़ जाता है। इससे भी सिर दर्द की समस्या हो जाती है। सिर दर्द से राहत पाने के लिए पर्याप्त पानी पीएं। दिन भर में कम से कम 8-10 ग्लास पानी पीना चाहिए। इससे डीहाइड्रेशन से बचाव होगा और सिरदर्द की संभावना कम होगी।
दोपहर में न निकलें
दोपहर के समय जब सूरज की तपिश तेज हो तो बाहर जाने से बचें। अगर जाना भी पड़े तो सनस्क्रीन लगाएं। सिर पर कैप या हैट पहनें और धूप के चश्मे का यूज करें। गर्मी में सिरदर्द होने पर ठंडा पानी पिएं। ठंडे पानी से नहाने से भी राहत मिल सकती है। घर में आरामदायक वातावरण बनाए रखें।
एक्सपर्ट की मानें तो मनुष्य का शरीर अधिकतम 42.2 डिग्री टेंप्रेचर तक का तापमान ही समान्य तरीके से हैंडल कर सकता है। अधिक गर्मी या फिर ठंड दोनों ही में बेहोशी जैसी स्थिति होने का उर रहता है। गर्मी में अधिक स्वेटिंग आपको डीहाइड्रेशन का शिकार बनाती है। साथ ही इस दौरान आपकी बॉडी को इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस के अलावा ब्रेन तक कम ब्लड फ्लो का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते आप बेहोश हो सकते हैं। अत्याधिक ठंड में ब्लड वेजल्स भी बॉडी में गर्मी बनाए रखने के लिए सिकुड़ जाती हैं। इससे संभावित रूप से महत्वपूर्ण अंगों तक ब्लड कम हो जाता है और आपको बेहोशी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
इसलिए होती है समस्या
एक्सपर्ट की मानें तो गर्मी जब बढऩे लगती है तो शरीर अपने इंटरनल टेंपरेचर को स्थिर रखने की कोशिश करता है। स्वेटिंग यानि पसीना आना इसमें सबसे अहम भूमिका निभाता है। स्वेटिंग की प्रक्रिया के दौरान बॉडी के फ्लूइड का सबसे अधिक नुकसान होता है। ऐसे में आप डीहाइड्रेशन महसूस करने लगते हैं। परिणाम के तौर पर ऐसी स्थिति में कई बार आप बेहोश हो जाते हैं।
ऐसे करें बचाव
-अधिक से अधिक लिक्विड डाइट जैसे छाछ, लस्सी, कच्चे आम का पना, शिकंजी और नारियल पानी लेते रहें।
-अधिक तेल, मसाला सहित बाहर का खाना से बचना चाहिए।
-ढीले और कॉटन के कपड़े पहनें, तेज धूप में निकलने से बचें
-अगर बहुत जरूरी हो और बाहर निकलना हो तो सनस्क्रीन लगाएं, बॉडी को कवर करके निकलें।
-पानी या शिंकजी अपने साथ रखें, जिसे यूज करते रहें।
-धूप में छाता का इस्तेमाल करें, धूप से आकर तुरंत कुछ ठंडा पेय या पानी न लें।
-फ्रिज के ठंडे पानी की जगह मटके का पानी पीएं।
-हीटवेव से कोई समस्या हो रही है तो लापरवाही न करें, इसके लिए डॉक्टर्स से सलाह लें।
-गर्मी के मौसम में अल्कोहल, कैफीन, शुगरी ड्रिंक्स पीने से बचना चाहिए। इससे डीहाइडे्रशन होता है।
-एक साथ अधिक खाना खाने से बचें। इससे गर्मी के मौसम में पाचन तंत्र कमजोर और धीमा हो जाता है।
-गर्मियों में हाई प्रोटीन फूड खाने से भी बचना चाहिए।
-स्ट्रीट फूड और फास्ट फूड जैसी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।
-गर्मियों में फ्रैश खाना ही खाएं। बासी खाना खाने से फूड पॉइजनिंग होने का खतरा बढ़ जाता है।
-खाने में हरी सब्जियों और मौसमी फलों को शामिल करें। इससे शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है।
ये होती है समस्या
हीटवेव की चपेट में आने से कई तरह की समस्या हो जाती है। इसमें सबसे अहम डायरिया, चक्कर आना, सिरदर्द, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, बहुत अधिक पसीना आना आदि प्रमुख हैं। स्थिति गंभीर होने पर तेज बुखार, पसीना निकलना बंद हो जाना, दिल की धडक़न तेज हो जाना, कंफ्यूजन, असंतुलन और दौरे के स्थिति, स्किन पर चकत्ते आदि हो जाते है।
इनको अधिक खतरा
डॉक्टर्स का कहना है कि हीटवेव का खतरा वैसे तो सभी को होता है, लेकिन जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनके लिए अधिक खतरा होता है। इसमें बच्चे, बुजुर्गो को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाएं, मजदूर और फील्ड वर्क करने वालों को भी हीटवेव से अलर्ट रहने की जरूरत है।
हीटवेव ड्राई चल रही है, धूप में खुले वाहन में सफर करने से बचें, अगर बाहर निकलें तो गीला पकड़ा सिर पर बांधे रखें इसे बार बार गीला करते रहें। पानी की बोतल अखबार या फिर पेपर में लपेट कर रखें ताकि पानी ठंडा रहे। सूती कॉटन के कपड़े पहने, सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें। खूब पानी पीते रहे, दिन में चार से पांच लीटर पानी पीना चाहिए। कोशिश करें शिकंजी और इलेक्ट्रॉल लेते रहे। स्ट्रीट फूड खाने से बचे।
डॉ। राजीव गोयल,फिजिशियन, अध्यक्ष आईएमए