बरेली (ब्यूरो)। मौसम का रूख बदलने साथ अब डेंगू भी शुरू हो चुका है। जिले में डेंगू के अब तक 20 के करीब केसेस भी सामने आ चुके हैं। यहां तक कि हेल्थ विभाग की एडी हेल्थ तक को डेंगू हो गया है। लेकिन अगर बात करें तो नगर निगम फागिंग हर वार्ड में शेडयूल बनाकर कराता है। लेकिन इसके बारे में जब बरेलियंस से ही पूछा गया तो पता चला कि कई वार्डो में तो फागिंग लोगों ने इस बार फागिंग एक दो बार ही होते देखी। जबकि नगर निगम शेड्यूल के हिसाब से हर बार फागिंग और लार्वा नष्ट करने के लिए छिडक़ाव लगातार कर रहा है। लेकिन इससे न तो मच्छर ही मर रहे हैं और न ही डेंगू का लार्वा नष्ट हो पा रहा है। इससे साफ है कि फागिंग तो नगर निगम की तरफ से महज फाइलों का ही फसाना है। जबकि हेल्थ विभाग के डीएमओ यानि डिस्ट्रक्ट मलेरिया ऑफिसर की माने तो कहीं पर डेंगू का केसेस आने पर वह अपनी टीम को भी भेजकर फागिंग आदि कराते हैं।

जारी हुआ बजट
जिले में अब तक मलेरिया के 400 से अधिक तो 20 करीब डेंगू के मामले आ चुके हैं। डेंगू मलेरिया की इस चैन को जिले से तोड़ा जा सके। शासन की ओर से इसके लिए लगातार पहल की जा रही है। सबसे पहले पहले पूरे प्रदेश में डीडीटी पाउडर को बदला गया था। अब लार्वा पर छिडक़ाव वाली पैराथ्रम दवा को भी बदलकर साइफेनोथ्रीन पांच प्रतिशत को लाने की तैयारी है। इसके लिए बजट जारी हो गया है। जल्द ही जिला स्तर पर इसे खरीदा जा सकेगा।

पैराथ्रम से
डीएमओ सत्येंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि अभी तक जिले में डेंगू मलेरिया के लार्वा को नष्ट करने के लिए पैराथ्रम का इस्तेमाल होता था। मगर अब मिट्टी का तेज नहीं मिलने की वजह से समस्या हो रही है। छिडक़ाव हो ही नहीं पा रहा है। यह समस्या कोई जिले में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हैं। ऐसे में बीच का रास्ता निकालने के लिए अब साइफेनोथ्रीन पांच प्रतिशत को लाया जा रहा है। इसके लिए शासन की ओर से करीब दो लाख रुपये का बजट भी जारी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह दवा मिट्टी के तेल के साथ ही डीजल में भी घुलनशील है। इसका फायदा होगा कि यह छिडक़ाव के साथ ही फाङ्क्षगग में भी काम आ सकती है। वहीं दूसरी, ओर फाङ्क्षगग के लिए अभी भी मैलाथियान दवा का इस्तेमाल किया जाता था। मगर अब अब विभाग के पास साइफेनोथ्रीन का भी विकल्प तैयार हो गया है। बता दें कि अभी तक जिले में 423 मलेरिया और 20 करीब डेंगू मरीज सामने आ चुके हैं। विभाग की ओर से कार्रवाई तेज कर दी गई है।

जुलाई लास्ट होगा पीक टाइम
अभी तक वर्षा की वजह से लार्वा नहीं पनप पा रहा था। जितना भी लार्वा बनता उतना तेज वर्षा में बह जाता। मगर अब वर्षा रुकने की वजह से लार्वा पनपने की संभावना और अधिक हो चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए। डीएमओ सत्येंद्र कुमार का कहना है कि जलभराव होने के एक सप्ताह के भीतर लार्वा पनप जाता है। इसलिए वह अभी से एंटी लार्वा का छिडक़ाव शुरू करा रहे हैं। मगर लोगों को ध्यान देने की जरूरत है। वहीं, जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ। अजय मोहन अग्रवाल बताते हैं कि संक्रमित मच्छर के काटने सात से 30 दिन के बाद डेंगू मलेरिया के लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। हालांकि मच्छर की प्रजाति पर भी निर्भर करता है कि किसने काटा है। ऐसे में यदि अब लार्वा पैदा होता तो यह माना जाता सकता है कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में डेंगू मलेरिया पीक पर होने की संभावना हैं।

इन एरिया में हुआ डेंगू हमलावर
जिला में अब तक मलेरिया के लिए ही अतिसंवेदनशील माना जाता था। लेकिन बीते तीन साल से डेंगू भी हमलावर हो गया है। बीते साल डेंगू मरीजों की संख्या एक हजार से अधिक हो गई थी। जो अब तक मरीजों की सबसे अधिक संख्या है। जिले के शेरगढ़ में आकलाबाद, आनंदपुर, बकैनिया, बंडिया, चदाह भगवतीपुर, बहेड़ी में गिरधरपुर, इस्लामनगर, जाम, भोजीपुरा, में आलमपुर, गजरौला, बालपुर, अहमदपुर डेंगू प्रभावित एरिया हैं। वहीं शहर में इज्जतनगर, बानखाना, गंगापुर, सुभाषनगर और सिविल लाइंस में डेंगू मरीजों की संख्या अधिक रही।


ये बरतें सावधानी
-अपने आस-पास किसी भी तरह का कोई जलभराव नहीं होने दें।
-एंटी लार्वा का छिडक़ाव करते रहें, ताकि लार्वा न पनपे
-बाहर निकलने पर पूरी बांह के कपड़े पहनकर निकले
-लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें
-वर्तमान में किसी भी तरह के बुखार में कोई लापरवाही न करें
-ओपीडी में बैक्टीरियल डायरिया, वायरल फीवर, मलेरिया के साथ डेंगू के भी मिल रहे है
-डेंगू का मच्छर सुबह और शाम को अधिक काटता है तो सावधानी बरतें इस टाइम