बरेली (ब्यूरो)। पिछले कुछ सालों में एजुकेशन और एजुकेशन सिस्टम में काफी सारे बदलाव हुए हैैं। ऐसे में स्टूडेंट्स की पढ़ाई करने के तरीकों में भी काफी सारे बदलाव हुए हैैं। आज कल पढ़ाई में ई-बुक्स का चलन काफी बढ़ गया है। महंगी-महंगी किताबें होने की वजह से स्टूडेंट्स अब फिजिकल बुक्स नहीं खरीद रहे हैैं, बल्कि उसकी जगह पर अब ई-बुक्स खरीद रहे हैैं और उन से ही पढ़ाई कर रहे हैैं।
बदला पढ़ाई का चलन
जहां हर चीज ऑनलाइन हो रही है। वहीं पढ़ाई में भी ऑनलाइन बेसिस पर हो रही है। स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए ई-बुक्स का इस्तमाल कर रहे हैैं। इसमें क्लास स्कूल गोइंग के साथ-साथ कॉलेज स्टूडेंट और किसी एग्जाम की तैयारियां करने वाला स्टूडेंट्स भी ई-बुक्स का सहारा ले रहे हैैं। कुछ स्टूडेंट्स से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि नॉर्मल किताबें काफी महंगी होती हैैं। जहां एक किताब खरीदने जाओ तो वह 500, 1000, 3000 तक के रेट की मिलती हैैं। वहीं इतने ही पैसों में ऑनलाइन कई सारी बुक्स का पीडीएफ मिल जाता है।
ई-बुक्स पर किया सर्वे
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने ई-बुक्स और नॉर्मल बुक्स में कौन सी बुक्स स्टूडेंट्स के लिए प्रिफरेब्ल है यह जानने की कोशिश की तो पता चला की ई-बुक्स स्टूडेंट्स के लिए काफी मददगार है, साथ ही काफी किफायती भी हैं। इस सर्वे में लगभग 150 लोगों ने पार्टीसिपेट किया। वहीं माना भी की किताबों की जगह अब ई-बुक्स ले रही है साथ ही वे इसे प्रिफर भी करते हैैं।
ई-बुक्स के फायदे
ई-बुक्स के कई सारे फायदे होते हैैं। जिसकी वजह से स्टूडेंट्स हो या अदर पर्सन सभी का इंट्रैस्ट बुक्स पर हैैं। ई-बुक्स इजी टू रीच होती हैैं। इंटरनेट पर बस बुक का नाम लिखा और बुस का पीडीएफ आसानी से सामने आ जाता है। यह प्लांट को सेव करने में भी मदद करती है। ई-बुक्स को डिजिटल फॉर्म में कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी भी डिवाइस से आसानी से पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा ई-बुक्स के लिए रूम में अगल से प्लेस बनाने की जरूरत नहीं है। इसे आसानी से लोग हजारों की संख्या में रख सकते हैैं। क्यों कि यह काफी पोर्टेबल, हल्की और इजी टू प्लेस होती है।
क्या है नुकसान
भले ई-बुक्स के कितने भी फायदे हो पर एक प्वाइंट पर आकर यह रूक जाता है कि ई-बुक्स में पढ़े हुई चीजें लंबे टाइम तक याद नहीं रहता है। जब की किताबों से पढ़ा हुआ लोगों को लंबे समय तक याद रहता है। ई-बुक्स पास करने में मदद कर सकती है, लेकिन हमें चीजों को लंबे समय तक याद रखने के लिए हमें नॉर्मल बुक्स का ही सहारा लेना पड़ता है। सर्वे में 51 प्रतिशत लोगों ने यह माना है की नॉर्मल किताबों से पढ़ा हुआ उन्हें लंबे समय तक याद रहता है।
क्वेश्चन 1:क्या किताबों की जगह ले रही ई-बुक्स?
हां 74.5
नहीं 19.3
कह नहीं सकतें 6.2
क्वेश्चन 2: क्या ई-बुक्स पढऩा किताबों से ज्यादा आसान है?
हां 33.8
नहीं 57.2
कह नहीं सकतें 9
क्वेश्चन 3: क्या ई-बुक्स से पढ़ा याद रह जाता है?
हां 25.5
नहीं 23.4
क्वेश्चन 4: एक साल में कितनी ई-बुक्स खरीदतें हैैं?
2-5 ई-बुक्स 80
2-10 ई-बुक्स 11
10 से ज्यादा 9
क्वेश्चन 5: क्या ई-बुक्स किताबों से सस्ती हैैं?
हां 69
नहीं 17.2
कह नहीं सकते 13.8
ई-बुक्स काफी हेल्पफुल होती है। इनका इस्तमाल करके हम एक टाइम पर मल्टीपेल वेरियेशन के साथ कोई भी कंटेंट तैयार कर सकते हैैं। मैैं अपनी पढ़ाई के लिए ई-बुक्स का इस्तेमाल करती हुं।
नेहा यदुवंशी
मोबाइल में आजकल इतनी फैसेलिटी मिल गई हैैं कि पढ़ाई के हमें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं होती है। घर पर ही वैराइटी ऑफ बुक्स मिल जाती हैैं, जो काफी मददगार होती हैैं।
अंशिका
ई-बुक्स काफी पोर्टेबल और इजी टू कैरी होती हैैं। एक टाइम पर हम अपने पास हजारों की संख्या में ई-बुक्स रख सकते हैैं। जिनका वेट नहीं बस स्टोरेज होता है।
उर्वशी मौर्य
ई-बुक्स काफी हेल्पफुल होती है। एक समय पर हम हजारों तरह की बुक्स और नॉवेल पढ़ सकते हैैं। इसमें पढ़ाई भी हो जाती है और हमें अगल-अलग कंटेंट भी मिल जाता है। ज्यादा पैसे भी नहीं खर्च होते हैैं।
तृप्ति यादव