बरेली (ब्यूरो)। एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में पीजीआई चंडीगढ़ के तत्वावधान में वर्कशाप व सीएमई आयोजित हुई। मेडिकल एजूकेशन डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के इनॉग्रेशन सत्र में एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति ने चिकित्सकों से मरीजों को देखते समय व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

जानकारी दी

उन्होंने कहा कि हर मरीज की स्थिति और परिस्थिति में अंतर होता है। ऐसे में अपनी भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए दवाइयां लिखनी चाहिए। हर दवा के साइड इफेक्ट होते हैं। ऐसे में कम से कम दवाई लिखें और उसे साइड इफेक्ट से बचाएं। इस पेशे में सफलता के लिए लगातार रिसर्च करते रहें और इसे प्रैक्टिस में अपनाते रहें। मां-बाप की सिखाई नैतिकता को जिंदगी भर इस पेशे में भी अपनाएं। यही मेडिकल इथिक्स है। इनॉग्रेशन सत्र का आरंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन से हुआ। एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एमएस बुटोला ने सभी का स्वागत किया और कॉलेज की उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने यहां की जा रही रोबोटिक सर्जरी, कोक्लियर ट्रांसप्लांट, रीनल ट्रांसप्लाट का भी जिक्र किया और यहां अपनाई जा रही स्टैंडर्ड मेडिकल प्रैक्टिस की जानकारी दी। वर्कशाप में सभी का आभार कार्यक्रम के आर्गनाइजिंग चेयरपर्सन व फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। जसविंदर सिंह ने जताया। उन्होंने इस सीएमई व वर्कशाप को पीजी स्टूडेंट्स के साथ ही सभी फैकेल्टी के लिए भी महत्वपूर्ण और लाभप्रद बताया। वर्कशाप में पीजीआई चंडीगढ़ के प्रोफेसर बिकास मेथी, डॉ। अजय प्रकाश, दिल्ली के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर डॉ। इंद्रजीत सिंह हूरा ने मेडिकल एथिक्स, क्लिनिकल प्रैक्टिस और क्लिनिकल रिसर्च मेथडोलॉजी से संबंधित आठ विषयों पर व्याख्यान दिए।

ये रहे मौजूद

आईसीएमआर के साइंटिस्ट डा.जेरिन जोस चेरियन ने वर्कशाप में आनलाइन शामिल होकर अपना व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। संध्या चौहान ने किया। इस मौके पर कोआर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। जी क्रांति कुमार, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। आरपी सिंह, डीन पीजी डॉ। रोहित शर्मा, डीन यूजी डॉ। नीलिमा मेहरोत्रा, डॉ। एसके सागर, डॉ। वंदना सरदाना, डॉ। मिलन जायसवाल, डॉ। मीनाक्षी जिंदल, डॉ। मनोज गुप्ता, फैकेल्टी मेंबर्स और पीजी स्टूडेंट मौजूद रहे।