बरेली (ब्यूरो)। सात मई को जिले में तीसरे चरण के लिए मतदान होगा। इसके लिए जिले भर में तैयारी पूरी कर ली गई हैं। लोगों को मतदान के प्रति अवेयर करने से लेकर मतदान पर्चियां पहुंच चुकी है। यहां तक कि जिन लोगों को बूथ तक आने जाने में प्रॉब्लम आ रही है उनको वाहन तक इलेक्शन कमीशन की तरफ वाहन तक उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। लेकिन वोट करना आपका अधिकार है और इसे जरूर करिए। शायद आपको इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि आपके एक वोट के लिए ईसी एक हजार रुपए करीब खर्च करता है। इसीलिए याद रखिए सात मई को मतदान जरूर करिए क्योंकि एक वोट आपका काफी अहम है।
33 लाख से अधिक वोटर
बरेली के आंकड़ों पर ही गौर करें तो जिले में 33,54,696-टोटल मतदाता हैं। अब ऐसे में अगर एक वोटर पर ईसी एक हजार रुपए खर्च करता है तो बरेली में ही करीब साढ़े तीन अरब से अधिक रुपए खर्च होंगे। इसके बाद भी अगर एक वोट न डाला जाए तो उसका खर्च भी बेकार हो जाएगा। इसीलिए सात मई को मतदान कर अपने वोट की उपयोगिता समझे ताकि आपका वोट काम आ सके और किया गया खर्च बर्बाद न होने पाए।
एक वोट पर कितने पैसे लगते हैं
आपके-हमारे वोट पर अलग से कुछ खर्च नहीं होता, लेकिन सारी कवायद ही इसी एक वोट के लिए है। ऐसे में कुल खर्च और वोटर्स को देखने पर मोटा-मोटा अनुमान लग जाता है। हमारे यहां इस समय 96.8 करोड़ वोटर हैं। ऐसे में कुल चुनावी खर्च को देखें तो एक वोट की कीमत हजार रुपए से कुछ ही कम होगी। यानी चुनाव अधिकारियों को एक दिन में जो पैसे मिल रहे हैं, ये भी हमारे वोट पर खर्च होने वाले पैसों से कुछ कम मान सकते हैं। वैसे शुरुआती चुनावों में एक वोट पर एक रुपए से भी कम खर्च हो रहा था।
इसीलिए बढ़ रहा खर्च
आंकड़ों पर गौर करें तो आजाद भारत का पहला चुनाव 68 चरणों में हुआ था। जिसमें साढ़े दस करोड़ रुपए खर्च हुए थे। वर्ष 2019 में ये खर्च बढक़र 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया। इस पूरे चुनावी खर्च में एक-एक वोट पर काफी रकम खर्च की गई। जो हर बार बढ़ती ही जा रही है। लोकसभा चुनाव के दो चरण के बाद तीसरा चरण भी सात मई को होगा। इसके बाद चार चरण भी अभी बाकी है। कई फेज में इलेक्शन कराने का मकसद होता है कि व्यवस्था बनी रही। ये इतनी बड़ी रकम खर्च करने के पीछे मकसद होता है पारदर्शिता, और बेहतर व्यवस्था बनी रहे। एक एक फेज के चुनाव पर ईसी काफी बड़ृी रकम खर्च कर रहा है। ये पूरी रकम सिर्फ हमारे एक एक वोट के लिए होती है।
इन पर खर्च होती है रकम
इलेक्शन कमीशन का खर्च, पार्टियों के अपने खर्च, लोगों की सुविधा के लिए खर्च, फोर्स के लिए और उसे लाने ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च के साथ सिक्योरिटी पर खर्च के साथ अन्य खर्च शामिल है। ये किसी भी देश के इलेक्शन में लगती है। इस बार 96.8 करोड़ वोटर हैं, जो लंबी-चौड़ी दूरी पर है। लोकल एरिया में भी रहते हैं। हर जगह पोलिंग कंडक्ट कराने में चुनाव कर्मियों के आने जाने, रहने रूकने और खाने का भी खर्च शामिल है। ईवीएम पर खर्च होने वाले पैसे भी खर्च होते हैं। इसमें भी सबसे अधिक मतदाता परिचय पत्र बनाने में भी रकम खर्च के साथ वोटिंग के लिए यूज होने वाली इंक का भी खर्च होता है।
ऐसे समझे गणित
वैसे तो किसी एक वोट पर अलग से कोई खर्च नहीं होता है लेकिन इलेक्शन की यह पूरी तैयारी ही एक वोट को पाने के लिए की जाती है। ऐसे में कुल खर्च और वोटर्स को देखने पर अनुमानित हमारे यहां 96.8 करोड़ वोटर हैं। ऐसे में कुल चुनावी खर्च को देखें तो एक वोट की कीमत एक हजार रुपए से कुछ कम ही आएगी। यानि चुनाव अधिकारियों को एक दिन में जो रुपए मिलते हैं ये भी हमारे वोट पर खर्च होने वाले पैसों से कुछ कम मान सकते हैं। वैसे शुरूआती चुनाव में एक वोट पर एक हजार रुपए से भी कम खर्च हो रहा था।
ऐसे निकलता है खर्च
मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड ऑर्डर ने अक्टूबर 1979 में एक गाइड लाइन निकाली जिसके अनुसार लोकसभा के इलेक्शन का खर्च पूरी तरह सेंटर पर है। इसी तरह राज्य सभा इलेक्शन का खर्च स्टेट सरकार उठाती है। अगर दोनों चुनाव एक साथ हो रहे हों तो दोनों मिलकर खर्च बांटते हैं। जैसे इस बार 2024 में 13 मई को चार राज्यों में भी पोल्स होंगे। इसमें केन्द्र और राज्य दोनों ही हिस्सेदारी करेंगे।
हर बार दोगुना हुआ खर्च
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान 3870 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में यही खर्च 50 करोड़ हो गया। इस तरह यह पिछले इलेक्शन से खर्च लगभग दुगुना हो गया। इस बार ये खर्च एक लाख करोड़ रुपए के आसपास होने की उम्मीद है। इस बार सात चरणों में होने वाला चुनाव 45 दिन तक चलेगा और चार जून को रिजल्ट आएगा।