बरेली (ब्यूरो)। जीवन के उतार-चढ़ाव कभी खत्म नहीं होते हैैं। यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। हमें हर दम इस प्रक्रिया को पार करने की कोशिश करनी चाहिए। इस संघर्ष भरे जीवन में बस थोड़ी सी हिम्मत की जरूरत है और आप सारी परेशानियों से बाहर होंगे। अगर कहीं एक बार भी चूक गए तो दोबारा से शुरू करना पड़ता है। जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है मीरा चतुर्वेदी की, जिन्होंने लाइफ में तमाम परेशानियों के बावजूद हौसला नहीं खोया।
ऐसे बिगड़े हालात
मीरा ने बताया कि उनकी लाइफ में कभी भी खुशियां ज्यादा टाइम तक टिक नहीं पाती हैं। शादी के कुछ सालों तक इनकी लाइफ काफी अच्छी चल रही थी। पति एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में एडीओ थे। उनके दो बच्चे हुए, लेकिन कहते हैैं न खुशियों के बीच दुख के काले बादल भी छाने लगते हैैं। उनके हसबैंड का स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया। धीरे-धीरे पति की हालत और बिगडऩे लगी। काफी इलाज के बाद भी कुछ असर नहीं हो रहा था। पति की जो भी सैलरी आती थी, उससे उनका इलाज का ही खर्च पूरा नहीं हो पाता था।
किंकर्तव्यविमूढ़ थी स्थिति
वह समय जीवन के सबसे कठिन समय में से एक था। पति की हालत ज्यादा खराब होने लगी। ऐसे में समझ ही नहीं आ रहा था कि खुद को, दो बच्चों को और पति को कैसे संभालू। कोई मदद करने वाला भी सामने नजर नहीं आ रहा था। ऐसा भी नहीं था कि वह पढ़ी लिखी नहीं थीं। उन्होंने डबल एमए और बीएड भी कर रखा है। पढ़ाई छोड़े काफी समय हो गया था। ऐसे में नौकरी करने की हिम्मत भी नहीं बन पा रही थी। ऐसे टाइम पर उन्हें किसी ने सिलाई-बुनाई के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने पहले एक जगह से इस काम को सीखा। बाकायदा इस विधा में डिप्लोमा लिया। उसके बाद धीरे-धीरे अपना काम शुरू किया। धीरे-धीरे उनके पास ऑर्डर्स आने लगे। ऐसे में दिन-रात काम करने के बाद वह घर की पटरी को किसी तरह लाइन पर लायीं।
दूसरों को भी सिखाया
मीरा बताती हैं कि उन्होंने हिम्मत कभी नहीं हारी। कईबार परेशान होने के बाद भी बच्चों को परेशानी का अहसास नहीं होने दिया। अपने काम में ईमानदारी और निष्ठापूर्वक करते हुए आगे बढ़ती रहीं। अब तक लगभग 300 लोग उनसे प्रशिक्षण ले चुके हैैं। उन्होंने कुछ गल्र्स को भी अपने साथ रखा हुआ था, जिनसे उन्हें सपोर्ट मिल जाता था और उन गल्र्स की भी अर्निंग हो जाती थी, लेकिन कहते हैं न कि वक्त सदैव एक सा नहीं रहता है। उनका काम प्रगति कर रहा था। सब अच्छा चलने लगा था। अचानक जीवन में वह फेज आया, जिसने उन्हें अंदर तक हिला कर रख दिया। सालों के इलाज के बाद लास्ट इयर उनके हसबैंड की डेथ हो गई। बस इसके बाद गाड़ी पटरी से उतर गई। मीरा पूरी तरह टूट चुकी थीं। स्थिति यह हो गयी कि वह लंबे समय के लिए डिप्रेशन में चली गयीं। अंतत: उन्होंने एक बार फिर अपने आपको किसी तरह संभाला और अपने मार्ग पर आगे बढऩा शुरू किया। आज वह अपने काम को अपना गुरूर बना कर जीवन की एक नई राह पर अग्रसर हैं और दूसरों को भी प्रॉब्लम्स से उबर कर अपने आपको स्थापित करने की सीख दे रही हैं।