बरेली (ब्यूरो)। बरसात के सीजन में संचारी रोग तेजी से पांव पसारते हैं और इनसे निपटने के लिए हर साल संचारी रोग नियंत्रण अभियान भी चलाया जाता है। इसमें 13 सरकारी विभागों को अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से बजट भी उपलब्ध कराया जाता है। अभियान में शामिल विभाग अपना बजट तो खर्च कर लेते हैं, पर डेंगू, मलेरिया के मच्छर कम नहीं होते हैं। यह मच्छर हर साल अपने डंक से मरीजों की संख्या बढ़ाते रहते हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट का डाटा इसकी पुष्टि भी करता है। इसके बाद भी जिम्मेदार विभागों के कर्मचारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जवाबदेही तय नहीं होने से इन विभागों के अधिकारी, कर्मचारी किसी भी कार्रवाई से बचे रहते हैं।


साल दर साल बढ़ा आंकड़ा
जिले में डेंगू का प्रकोप पहले बहुत अधिक नहीं था। वर्ष 2020 में डेंगू के जिले में सिर्फ 8 संक्रमित मरीज पाए गए थे। वर्ष 2021 में अचानक डेंगू के मच्छर इतने सक्रिय हो गए कि 595 लोग इनके डंक से हॉस्पिटलाइज हो गए। वर्ष 2022 में डेंगू के केसेेस 474 तक पहुंचे। वर्ष 2023 में फिर से डेंगू के मच्छरों ने कहर बरपाया और केसेस की संख्या 1065 तक पहुंच गई। हालांकि इससे अलर्ट होकर जिला अस्पताल का मलेरिया डिपार्टमेंट अपने सहयोगी 13 डिपार्टमेंट के साथ डेंगू को कंट्रोल करने में जुटा। इससे डेंगू के मच्छर भी कंट्रोल हुए और पेशेंट्स की संख्या भी।

ये होते हैं संचारी रोग
-मलेरिया
-टायफाइड
-चेचक
-इन्फ्लूएंजा
-डेंगू
-डायरिया
-हैजा
-हेपेटाइटिस ए
-हेपेटाइटिस बी
-हेपेटाइटिस सी

स्टाफ की कमी बढ़ी वजह
डेंगू और मलेरिया के खिलाफ जंग में सबसे बड़ी भूमिका जिला अस्पताल के मलेरिया डिपार्टमेंट की है। इसी विभाग के कर्मचारी डेंगू का लार्वा खोजने का काम करते हैं और प्रभावित एरिया से लोगों के सैंपल कलेक्ट करते हैं। डेंगू के आउट ऑफ कंट्रोल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह रहती है कि प्रभावित एरिया से प्रॉपर सैंपलिंग नहीं हो पाती है। इसके पीछे जो सबसे बड़ी वजह मलेरिया डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी है। यहां हेल्थ वर्कर के 181 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 15 ही वर्तमान में मौजूद हैं। इसी तरह लैब टेक्नीशियन के 16 पद स्वीकृत है, जिनमें से तीन ही वर्तमान में तैनात हैं। स्टाफ की शॉर्टेज की ऐसी ही स्थिति संचारी रोग नियंत्रण अभियान में शामिल दूसरे विभागों में भी है। खास बात यह है कि एक एलटी डेली औसतन 40-50 जांच की स्लाइड की ही जांच कर सकता है। जबकि मलेरिया प्रभावित एरिया में डेली 200-300 लोगों की जांच करने की जरूरत है।

पांच वर्षो में डेंगू पेशेंट्स की संख्या
वर्ष पेशेंट्स
2020 में 8-मरीज
2021 में 595-मरीज
2022 में 474-मरीज
2023 में 1065-मरीज
2024 23-मरीज

इन एरिया में डेंगू ज्यादा हमलावर
जिले में जहां डेंगू ज्यादा प्रभावी रहता है, उनमें शेरगढ़ का आकलाबाद, आनंदपुर, बकैनिया, बंडिया, चदाह भगवतीपुर, बहेड़ी में गिरधरपुर, इस्लामनगर, जाम, भोजीपुरा में आलमपुर, गजरौला, बालपुर, अहमदपुर डेंगू प्रभावित एरिया हैं। वहीं शहर में इज्जतनगर, बानखाना, गंगापुर, सुभाषनगर और सिविल लाइंस में डेंगू मरीजों की संख्या अधिक रही है।


डेंगू और संचारी रोग अभियान के साथ दस्तक अभियान की भी शुरुआत की गई है। जिले में दस्तक अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी वर्कर घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर पता लगाती हैं कि कोई मलेरिया या डेंगू से पीडि़त तो नहीं है। घर में या आसपास कहीं लार्वा पनप रहा है तो उसकी भी जांच की जाती है। इसकी डेली ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जा रही है। इसी तरह संचारी रोग नियंत्रण के लिए भी टीमें काम कर रही हैं।
सतेन्द्र सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी, बरेली