-प्रिंसिपल से मिलकर हेल्प करने की गुहार लगाई है

-तीनों स्टूडेंट्स एक ही सब्जेक्ट के प्रैक्टिकल में फेल

BAREILLY: बीसीबी के तीन स्टूडेंट्स की वर्ष भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। प्रैक्टिकल सब्जेक्ट में महज दो मा‌र्क्स से फेल होने के चलते उन्हें एक वर्ष फिर पढ़ाई करनी होगी। तीनों स्टूडेंट्स एक ही सब्जेक्ट के प्रैक्टिकल में फेल हो गए हैं, जबकि बाकी सभी थ्योरी और प्रैक्टिकल्स में वे पास हैं। आमतौर पर स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल में फेल नहीं होते। इन स्टूडेंट्स ने प्रिंसिपल से मिलकर हेल्प करने की गुहार लगाई है। स्टूडेंट्स यह मान ही नहीं रहे हैं कि वे प्रैक्टिकल में फेल भी हो सकते हैं। प्रिंसिपल इस मसले से अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं।

बीएससी फ‌र्स्ट ईयर के हैं स्टूडेंट्स

तीनों बीएससी फ‌र्स्ट ईयर जेडबीसी के स्टूडेंट्स हैं। भ् अगस्त को जब उनका रिजल्ट आया तो उनके होश उड़ गए। मार्कशीट में सब कुछ ठीक है, लेकिन बॉटनी के प्रैक्टिकल में उन्हें फेल कर दिया गया है। प्रैक्टिकल में भ्0 में से मा‌र्क्स दिए जाते हैं। इसमें पासिंग मा‌र्क्स क्7 है। संदीप अवस्थी ने टोटल ब्भ्0 में से ख्क्9 मा‌र्क्स स्कोर किए हैं, जबकि बॉटनी के प्रैक्टिकल में उन्हें भ्0 में से क्भ् मा‌र्क्स दिए गए हैं। इसी तरह मोहम्मद फारुख ने टोटल ख्क्फ् मा‌र्क्स स्कोर किए हैं और प्रैक्टिकल में क्भ्। मोहम्मद इमरान को प्रैक्टिक्ल में क्ब् मिले हैं, जबकि टोटल क्98 स्कोर किए हैं। भ् जून को प्रैक्टिकल का एग्जम हुआ था। इन स्टूडेंट्स के समझ के परे है कि प्रैक्टिकल एग्जाम में इतने कम मा‌र्क्स से कैसे फेल कर सकते हैं।

प्रैक्टिकल में फेल तो पूरा साल बर्बाद

आमतौर पर प्रैक्टिकल में कोई भी स्टूडेंट फेल नहीं होता। थ्योरी में बैक आती है तो वह नेक्स्ट क्लास में प्रमोट हो जाता है और बैक पेपर दे देता है। प्रैक्टिकल में अब्सेंट होता है तो दोबारा फॉर्म भरकर एग्जाम दे देता है और नेक्स्ट क्लास में प्रमोट हो जाता है, लेकिन कोई स्टूडेंट प्रैक्टिकल के एक भी सब्जेक्ट में फेल हो जाता है तो उसे एक वर्ष उसी क्लास में रिपीट करना होता है और नेक्स्ट ईयर सभी सब्जेक्ट के एग्जाम्स में अपीयर होना पड़ता है।

प्रिंसिपल से लगाई गुहार

इन तीनों स्टूडेंट्स ने स्टूडेंट लीडर अवनीश चौबे को अपनी प्रॉब्लम बताई तो उन्होंने तीनों की प्रॉब्लम को प्रिंसिपल डॉ। सोमेश यादव के समक्ष रखा। पहले तो प्रिंसिपल ने उन्हें इस मैटर को दिखवाने का भरोसा दिलाया। लेकिन बाद में इससे पल्ला झाड़ते हुए यह भी कह दिया कि इसमें यूनिवर्सिटी ही कुछ कर सकती है। स्टूडेंट्स ने कॉपी दिखाने की मांग की है। इस पर भी प्रिंसिपल ने अपनी असमर्थता जता दी।