- 15 सालों में स्टूडेंट्स की संख्या हो गई चार गुना
- खाली पदों पर नहीं निकाली जाती हैं भर्तियां
- हर वर्ष कॉन्ट्रैक्ट पर एडहॉक के टीचर्स भर्ती कर लिए जाते हैं
BAREILLY: स्टूडेंट्स की संख्या के लिहाज से सबसे बड़े कॉलेज में शुमार बरेली कॉलेज की एकेडमिक एक्सिलेंस को बढ़ाने की बातें और कवायद बहुत होती है, लेकिन जब बात टीचर्स की क्वांटिटी को बढ़ाने की आती है तो विभाग बगलें झांकने लगता है। कोर्सेज बढ़ते जा रहे हैं और स्टूडेंट्स भी, लेकिन टीचर्स की संख्या बढ़ने की बजाय घटती जा रही है। पिछले क्भ् वर्षो से टीचर्स के नए पद सैंक्शन नही किए गए हैं। जो हैं उनमें से भी काफी टीचर्स कम हो गए हैं। इस वर्ष तक कई टीचर्स रिटायर्ड हो जाएंगे, लेकिन शासन ना तो नए पद सृजित कर रहा है और ना ही खाली पदों पर परमानेंट टीचर्स की नियुक्ति कर रहा है।
म्0 टीचर्स पहले से ही कम
बीसीबी में स्वीकृत टीचर्स के पदों के सापेक्ष म्0 परमानेंट टीचर्स की पहले से ही कमी है। कॉलेज के विभिन्न कोर्सेज में क्9ब् परमानेंट टीचर्स के पद स्वीकृत हैं, लेकिन क्फ्ब् टीचर्स ही रह गए हैं। एजूकेशन की क्वालिटी को बढ़ाने की बातें हर वर्ष होती हैं, लेकिन टीचर्स की क्वांटिटी बढ़ने के बजाय घटती जा रही है। बीसीबी टीचर्स एसोसिएशन के सेक्रेट्री डॉ। वीपी सिंह ने बताया कि एकेडमिक क्वालिटी को तभी मेंटेन किया जा सकता है, जब टीचर्स और स्टूडेंट्स का रेशियो मेंटेन रहेगा।
क्क् और टीचर्स हो जाएंगे रिटायर
स्वीकृत पदों से म्0 टीचर्स की कमी पहले से ही है। वहीं इस वर्ष तक क्क् टीचर्स और रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में बाकी टीचर्स पर स्टूडेंट्स का बर्डन काफी बढ़ जाएगा। फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स, बॉटनी, जुलॉजी, हिंदी, आर्ट्स, इंग्लिश, सोशियोलॉजी, एजूकेशन समेत कई प्रमुख डिपार्टमेंट हैं जहां परमानेंट टीचर्स की कमी है। स्टैटीस्टिक्स डिपाटमेंट में महज एक ही परमानेंट टीचर है। हर वर्ष कॉन्ट्रैक्ट पर एडहॉक के टीचर्स भर्ती कर लिए जाते हैं। बगैर टीचर्स के क्वालिटी एजूकेशन प्रोवाइड कराने की बात साफ बेमानी लगती है।
क्भ् वर्षो में स्टूडेंट्स हुए चार गुना
कॉलेज में पिछले क्भ् वर्षो से टीचर्स की नियुक्ति नहीं हुई और ना ही टीचर्स के नए पद स्वीकृत किए गए हैं। 90 के दशक में कॉलेज में टीचर्स के क्9ब् पद स्वीकृत थे। तब रेगुलर स्टूडेंट्स की संख्या महज 7,000 थी.आज स्टूडेंट्स की संख्या में करीब ब् गुना इजाफा हो गया है। कैंपस में ख्भ्,000 हजार से ज्यादा रेगुलर स्टूडेंट्स इनरोल्ड हैं, लेकिन ना तो टीचर्स के नए पद सृजित किए गए हैं और ना ही खाली पदों पर टीचर्स की नियुक्ति की गई है।
शासन की तरफ से बरती जा रही है कोताही
टीचर्स की कमी को लेकर जहां एक तरफ कॉलेज मैनेजमेंट अपना रोना रोता है, वहीं दूसरी तरफ शासन इस प्रॉब्लम को हल करने के बजाय कोताही बरतता आ रह है। किसी की भी पार्टी की गवर्नमेंट हो, किसी ने भी टीचर्स की नियुक्ति के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किए। आयोग ने कई वर्षों तक टीचर्स के लिए भर्तियां नहीं निकाली। कभी रिटायर टीचर्स से पढ़ाने की योजना लागू की जाती है तो कभी नॉन रेगुलराइज्ड टीचर्स को रेगुलर करने की बात कही जाती है।