बरेली (ब्यूरो)। हमलावरों के लिए बच्चे सॉफ्ट टारगेट साबित हो रहे हैं। बदायूं के बाद अब प्रयागराज में दो बच्चों के हत्या की वारदात सामने आई है। बुआ ने 4 और 6 साल के मासूम बच्चों को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। खास बात यह है कि दोनों ही मामलों में किसी तरह की रंजिश सामने नहीं है। ऐसे में हर किसी को अपने बच्चों को सुरक्षित करने के लिए सर्तक रहने की जरूरत है।

बच्चों को काट डाला
बदायूं के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में मझिया रोड पर बाबा कॉलोनी के रहने वाले विनोद ठेकेदार हैं। ट्यूजडे की शाम को घर में सैलून की दुकान चलाने वाला साजिद निवासी अलापुर सखानू उनके घर पहुंचा था। वहां आरोपित ने ठेकेदार की पत्नी संगीता से पत्नी का प्रसव कराने के लिए पांच हजार रुपए मांगे थे। संगीता पैसे लेने चली गई। इस दौरान मौका पाकर आरोपित साजिद तीसरी मंजिल पर पहुंच गया, जहां 12 वर्षीय आयुष, 8 वर्षीय अहान खेल रहे थे। उसने उनकी गर्दन छुरे से काटी थी। इसके बाद उस्तरा से सीने और पेट पर कई ताबड़तोड़ प्रहार कर मौत के घाट उतार दिया था। आरोपित ने तीसरे बेटे पीयूष पर भी हमला कर दिया था, जिसमें वह बाल-बाल बच गया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपित को घटना के चार घंटे बाद ही ढेर कर दिया था।

बुआ ने किया कत्ल
प्रयागराज मेजा के कोहड़ार घाट हरगढ़ गांव निवासी संजय भारतीय, मुंबई में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। घर में उनकी पत्नी पार्वती, बहन पूजा और बच्चे रहते हैं। ट्यूजडे की रात पार्वती और उसकी ननद पूजा के बीच घरेलू मामले को लेकर झगड़ा हो गया था। इससे गुस्साई पूजा ने पटरे से पहले अपनी भाभी पार्वती पर हमला किया। हमले से बचकर वह बाहर भाग गईं। इसके बाद खाना खा रहे पांच साल के लकी और तीन साल के अभि के सिर पर बुआ ने पटरे से हमला कर दिया। इससे उनके सिर पर गंभीर चोट आई थीं। दोनों बच्चों को घर वाले आनन-फानन स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल ले गए, जहां डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस मामले में पुलिस ने आरोपित बुआ के खिलाफ एफआईआर पंजीकृत कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।

परिजन रहें अलर्ट
1. रंजिश है तो बच्चों के प्रति रहें अलर्ट।
2. दुश्मन और बाहरी व्यक्ति की सीधे न हो बच्चों तक पहुंच।
3. अच्छे-बुरे के प्रति करें बच्चों को अवेयर
4. खून-खराबे की बच्चों को न दें जानकारी, मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है बुरा असर
5. बच्चों के आसपास रहें, उन्हें अकेला छोडऩे से बचें।
-मुकेश चंद्र मिश्र, एसपी नॉर्थ जोन

क्योंकि वे रैजिस्ट नहीं कर पाते
मनोविज्ञानी रविंद्र कुमार ने बताया कि क्रिमिनल्स के लिए बच्चे हमेशा से ही सॉफ्ट टारगेट रहे हैैं, क्योंकि वे ईजी टू हैैंडल होते हैैं और सामने वालों को ज्यादा रैजिस्ट भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में किसी भी दुश्मनी में बच्चों की बलि चढ़ा दी जाती है। हाल में ही एक केस सामने आया है कि दिल्ली में दिन दहाड़े एक बच्ची को एक आदमी लेकर जा रहा था और आसपास के लोगों ने बच्ची की कोई मदद नहीं की। बच्चों को सेक्सुएल अब्यूज करने से लेकर ट्रैफिकिंग तक इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। इसके अलावा ऐसे हिंसक केस पहले से प्लान करके किए जाते हैैं।