बरेली (ब्यूरो)। हिट एंड रन मतलब हादसे के दौरान टक्कर मार कर भागे तो 10 साल की जेल और सात लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। इसके विरोध में देश भर में ट्रक, डंपर, ऑटो रिक्शा, रोडवेज बस चालकों ने चक्का जाम कर दिया है। बरेली में पेट्रोल पंपों पर इसका सीधा असर दिखाई दिया। कई पेट्रोल पंप ड्राई होने की स्थिति में पहुंच गए। शहर के साथ ही जिले में अलग-अलग क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर जाम लगाकर यातायात प्रभावित करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस के सक्रिय होने से संचालन सुचारू किया जा सका। परिवहन निगम के आरएम दीपक चौधरी ने अफसरों के साथ डिपो और बस अड्डों पर पहुंच कर बसों का संचालन कराया। इससे यात्रियों का सफर आसान हो गया।
पैदल चलने को मजबूर
वाहन चालकों की हड़ताल का सीधा असर सवारियों पर भी पड़ा। वाहन न मिलने से सवारियां पैदल चलने को मजबूर दिखाई दीं। इससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। अफसरों की मानें तो परिवहन निगम की ओर से रीजन की 135 बसों की संचालन ही किया जा सका।
31 को आया स्टॉक
जिले के पेट्रोल पंपों पर अंतिम बार स्टॉक 31 दिसंबर को भेजा गया था। उसके बाद पंपों पर गाडिय़ां नहीं आईं। इस वजह से और भी दिक्कत हो खड़ी हो गई। जिले में इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और ङ्क्षहदुस्तान पेट्रोलियम के करीब 250 पंप हैं। हर पंप पर प्रतिदिन औसतन तीन हजार लीटर पेट्रोल और चार हजार लीटर डीजल की खपत होती है। इस हिसाब से यहां पर प्रतिदिन करीब 7.5 लाख लीटर पेट्रोल और 10 लाख लीटर डीजल की खपत होती है। सभी पेट्रोल पंप संचालक तीन दिनों का अग्रिम स्टॉक लेकर चलते हैं, जिससे न तो उन्हें और न ही लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिले में आखिरी सप्लाई 31 दिसंबर को आया था। इसके बाद ट्रक यूनियन वालों ने हड़ताल कर दी। तब से अब तक स्टॉक नहीं भेजा गया। 31 दिसंबर के स्टॉक पर ही लोगों को पेट्रोल दिया जा रहा है। स्थिति यह थी कि राजेंद्र नगर, डीडीपुरम, संजय नगर, बदायूं रोड, सिविल लांइस जैसे क्षेत्रों में भी पेट्रोल नहीं बचा।
इस तरह आता है पेट्रोल
पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता बताते हैं कि पेट्रोल लेने के लिए सुबह ही डिपो के लिए इंडेंट लगाया जाता है। इंडेंट के साथ ही एडवांस पेमेंट भी किया जाता है। कंपनियों की कोशिश यह ही होती है कि उस ही दिन गाडिय़ों को भेज दिया जाए, ऐसा होता भी है, लेकिन इस बार 31 जनवरी के बाद से कोई भी ट्रक चालक पेट्रोल लेकर ही नहीं आया, जबकि इंडेंट लगा हुआ है। दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने रुपए कम होने की बात सामने आते ही इंडेंट नहीं लगाया था। इस वजह से भी शॉर्टेज हो रही है।
घंटो बैठे रहे पैसेंजर्स
ट्रेन से पहुंचने के बाद कई पैसेंजर्स तो मंडे रात को ही रोडवेज बस स्टेशन पर अपने गंतव्य को जाने के लिए बसों के इंतजार में स्टैंड पर पहुंच गए। लेकिन बस ड्राइवर भी हड़ताल पर थे। इस कारण पैसेंजर्स ने सुबह तक तो इंतजार किया, लेकिन सुबह को पता चला कि हड़ताल खत्म नहीं हुई। कई पैसेंजर्स तो फैमिली संग देर तक रोडवेज बस स्टेशन पर अलाव सेंकते नजर आए तो कोई ऑटो व ई रिक्शा के सहारे गंतव्य को जाने के लिए जुगाड़ लगाता रहा।
खूब उठाया फायदा
हिट एंड रन कानून को लेकर हड़ताल का फायदा पेट्रोल पंप संचालकों ने भी खूब उठाया। सुबह से ही सामान्य पेट्रोल के बजाय स्पीड वाला पेट्रोल वाहनों में डाला जा रहा था। किसी ग्राहक ने अगर सामान्य पेट्रोल डालने के लिए कर्मचारियों से बोल दिया तो उल्टा जवाब ही सुनने को मिला कि अभी यह ही पेट्रोल है, लेना है तो लो वरना दूसरे पेट्रोल पंप पर चले जाओ।
फल और सब्जियों के लिए प्रतिदिन 30 से 40 गाडिय़ां माल उतारती हैं। दो दिन में केवल एक गाड़ी ने माल उतारा है। वहीं किराना और खाद्य सामग्री की सप्लाई और आपूर्ति में हर रोज 70 से 95 वाहन की मदद ली जाती है। दो दिन से माल की बुङ्क्षकग बंद है, जिससे करीब प्रतिदिन 35 से 40 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
शोभित सक्सेना, जिलाध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
अनुबंध की करीब 110 बसें दो दिन से खड़ी हैं। इसके साथ ही बरेली से विभिन्न रूट्स पर चलने वाली करीब 220 बसों का संचालन भी रोक दिया गया है, जिस कारण प्रति दिन डेढ़ अनुमानित करीब करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
राकेश कालरा, बस संचालक एसोसिएशन
बसों का संचालन करें शुरू
प्रस्तावित हिट एंड रन कानून की कुछ शर्तें चालकों के भविष्य के लिए कष्टकारक हो सकती हैं। इनको पूर्णरूपेण नकारा नहीं जा सकता, लेकिन जब तक कानून पूरी तरह लोगों के सामने नहीं आता तब तक संचालन बंद करने जैसा कठोर निर्णय मात्र आशंकाओं के आधार पर लेना गलत है। ऐसे में बस संचालन को सुचारू रखने में रोडवेज के चालक अपनी भूमिका निभाएं।
रविंद्र सिंह, क्षेत्रीय महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद
शहर में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के कारण माल की कम आवक होने का अनुचित लाभ उठाकर कुछ व्यापारी मूल्यवृद्धि कर रहे हैं। वे उपभोक्ताओं से वस्तुओं की ज्यादा कीमत वसूल कर रहे हैं। इसका हम सख्त विरोध करते हैं तथा जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि उपभोक्ताओं से ज्यादा कीमत वसूलने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।
मुहम्मद खालिद जीलानी, (उपभोक्ता मामलों के वकील एंव सोशल एक्टिविस्ट)