बरेली (ब्यूरो)। स्टेडियम में चल रहे अखिल भारतीय आमंत्रण प्राइजमनी फुटबॉल टूर्नामेंट में मंगलवार को फाइनल मैच खेला गया। इस अवसर पर जालंधर की सीआरपीएफ और दिल्ली की सीएजी के बीच टक्कर का मुकाबला देखने को मिला। वहीं थर्ड पोजीशन के लिए दिल्ली की सीआईएसएफ और वाराणसी की डीएफए में भी टफ फाइट रही। इस दौरान खिलाडिय़ों ने जीत के लिए मैदान पर खूब पसीना बहाया।
फस्र्ट प्राइज सीएजी के नाम
मैंच की समाप्ति पर मुख्य अतिथि सांसद संतोष गंगवार, विशिष्ट अतिथि विधायक बिथरी चैनपुर डॉ। राघवेंद्र शर्मा ने विजेता टीम को दो लाख रुपए की धनराशि, ट्रॉफी और मेडल देकर सम्मानित किया। वहीं सेकेंड पोजीशन होल्ड करने वाली सीआरपीएफ टीम को एक लाख रुपए की धनराशि, ट्रॉफी और मेडल दिया गया। इसके अलावा थर्ड स्थान प्राप्त करने वाली डीएफए वाराणसी की टीम को 50 हजार रुपए की धनराशि, ट्रॉफी एवं मेडल देकर पुरस्कृत किया गया।
सीएजी ने दी टफ फाइट
फाइनल में दोनों ही टीम एक-दूसरे को कांटे की टक्कर देने के लिए मैदान में उतरी। जहां फाइनल मुकाबला सीएजी और सीआरपीएफ के बीच खेला गया। दोनों टीम्स अपना गोल सिक्योर करने के लिए शुरुआत से ही लगी हुई थीं। टफ फाइट के चक्कर में दोनों टीम को वार्निंग और कार्ड देकर रोका गया। सभी प्लेयर एक-दूसरे को काउंटर करने में लगे हुए थे, जिसकी वजह से फस्र्ट हाफ में कोई गोल नहीं हो पाया। वहीं सेकंड हाफ में सीएजी के शाहनवाज ने 77वें मिनट में गेम के दौरान मिले पैनाल्टी किक के जरिए गोल किया, जहां सीएजी का स्कोर 1-0 रहा। इसके बाद सीएजी ने जीत की ट्रॉफी अपने नाम कर ली।
थर्ड पोजीशन पर डीएफए
मैच में थर्ड पोजीशन के लिए डीएफए और सीआईएफए के बीच भी कड़ा मुकाबला देखा गया। फस्र्ट हाफ में दोनों ही टीम गोल के लिए जूझती रहीं, लेकिन एक भी गोल नहीं मिल पाया। वहीं सेकेंड हाफ में एक फ्रेश स्टार्ट के साथ दोबारा डंट कर एक-दूसरे के सामने आईं, जहां डीएफए के निरंजन ने 51वें और अमित ने 80 वें मिनट में गोल किया। इसके बाद डीएफए ने 2-0 जीत हासिल की और तीसरा स्थान प्राप्त किया।
इनके कंट्रोल में रहा मैच
टूर्नामेंट के दूसरे सेमीफाइनल में रेफरीज मनोज तिवारी, देवुजीत सिंह, महेश चंद, हॉजी मुन्नवर, अजय यादव, एसएस मिश्रा, निताई सरदार, मेहरुद्दीन रहे। मैच के एसेसर केके पांडेय रहे। इसके अलावा मैच कमिश्नर की भूमिका भूपेंद्र यादव ने निभाई।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के अंर्तराष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी कमल सेन, खेल प्रभारी आलोक श्रीवास्तव, सयुंक्त विकास मण्डल आयुक्त प्रदीप कुमार, बीडीएफएए अध्यक्ष अमरजीत सिंह बख्सी, आरएन द्धिवेदी, आरएसओ जितेंद्र यादव, जिला फुटबॉल संध के सचिव, मून रोबिनसन, पूर्व डिप्टी मेयर अतुल कपूर, फुटबॉल प्रशिक्षक इरफान जमा खान, मैनेजर एमएस बेग, फुटबॉल प्रशिक्षक कौशल कुमार सिंह, मैनेजर केएन आर्या, मैनेजर मोहम्मद बेजुद्दीन रहमानी, उपक्रीड़ाधिकारी शमीम अहमद, सुमित चौरसिया, पूर्व किकेट कोच ओपी कोहली, प्रशिक्षक संजीव मरिया, ओपी कोहली, हरिशंकर, सोनेंद्र श्रोतिया, राजेश यादव, अभिलाषा यादव, निताई सरदार, अजय यादव, शशिमोहन मिश्रा, मेहरुद्दीन, मीनू पांडेय, आदर्श भारद्धाज, अविनाश कुमार आदि उपस्थित रहे।
हमारी टीम ने मैच जीता है। इस बात की बहुत खुशी है। ओवर ऑल की बात की जाए तो हमारी टीम और भी अच्छा कर सकती थी। यह भी कह सकते हैैं की हमें लगातार मैच खेलने पड़े इस वजह से भी प्लेयर्स थोड़ा सा थक गए थे और टायर्ड फील कर रहे थे, फिर भी हम जीते।
अमित रंजन, सीएजी कोच
हमें बहुत ही बुरा लगा की हम हार गए है। रेफरी ने पूरी तरह से गलत फैसला था। यह फैसला पूरी तरह से विवादास्पक फैसला था। दूसरी टीम का गोल सिर्फ पैनाल्टी की वजह से ही हो पाया नहीं तो मैच पूरा कंट्रोल में था।
प्रेम थापा, मैनेजर, सीआरपीएफ
हमारे सभी प्लेयर्स बहुत ही अच्छा खेले हैैं। कल बैड लक बोला जाए या फिर ऑफ डे की हम सेमीफाइनल हार गए। इसके अलावा हमारे टीम में कई प्लेयर्स ऐसे भी है, जो नेशनल खेल कर आए है और देश का नाम भी रोशन किया है। यह सभी फ्यूचर है यूपी का।
इरफान जमा खान, डीएफए
आज हमारी टीम अच्छा खेली। वहीं कल भी हमारी टीम अच्छा खेली थी। यह हमारा बैड लक बोले की कल फाइनल के लिए हम हार गए। इसी का नतीजा है की हम 2-0 से जीत गए।
एमएस बेग, डीएफए, मैनेजर
फुटबॉल खेल की अखिल भारतीय प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागी टीमों ने बेहतर खेल का प्रदर्शन किया। फाइनल की विजेता सीएजी टीम को बधाई, उपविजेताओं को भी बधाई। वहीं प्रतियोगिता बिना किसी ब्यावधान के सम्पन्न हुई। इसमें निर्णायक, रेफरी ऐसेसर की भूमिका भी सराहनीय रही। इसके अलावा आयोजक मंडल भी बधाई के पात्र हैैं।
भूपेंद्र सिंह, मैच कमिश्नर
टूर्नामेंट का समापन बहुत ही रोमांचक तरह से हो गया। सभी प्लेयर्स ने जी जान से मेहनत करके जीत को अपने नाम किया। मैच के दौरान रेफरीज पर पार्शियल होने के नाम लगते रहते हैैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है। हीट ऑफ द मूवमेंट को कंट्रोल करना हमारा काम होता है।
मनोज तिवारी, रेफरी
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