बरेली (ब्यूरो)। बाजार में बिना मिलावट कुछ भी मिलना बेहद मुश्किल हो गया है। खाने पीनेे की चीजों के साथ ही फलों और सब्जियों में भी कलर की मिलावट की जा रही हैै। फल और सब्जियों को उगाने में तो पेस्टिसाइड का प्रयोग हो रही रहा है, साथ ही उनको मार्केट में महंगे दामों में बेचने के लिए भी केमिकल का प्रयोग हो रहा है। कई दिनों तक ताजा रखा जा रहा है। केमिकल लगने के बाद प्राकृति स्वाद नहीं रहता है।
ये फल-सब्जी खरीदने से बचे
सब्जियों को जल्द उगाने, अच्छा हरा भरा, मोटा और वजनदार दिखाने के साथ ही कई दिनों तक तरोताजा बनाए रखने के लिए अलग-अलग के केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। जानकारों की माने तो जिन फल और सब्जियों में कुछ दाग धब्बे आ जाते हैं तो वह जल्द ही गलने लगती हैं। ऐसे फल और सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए उनपर केमिकल का छिडक़ाव किया जाता है। ऐसे फल और सब्जियों को खरीदने से बचना चाहिए।
खुरचकर जांचे
फल और सब्जियों की चमक बरकरार रखने के लिए उनपर केमिकल वाले मोम की लेयरिंग की जाती है। इस तरह की लेयर खासकर अनार, सेब, संतरा, पपीता जैसे फलों पर की जाती है। खरीदारी करते समय इन्हें हल्का सा खुरचकर हकीकत का पता लगाया जा सकता है। अगर फल पर मोम की लेयरिंग है, तो साफ पता चल जाएगा। वहीं सब्जियों पर नाखून को हल्का सा धंसाएं, अगर सब्जियां ताजी होंगी तो नाखून आसानी से अंदर धंस जाएगा। बासी या केमिकल युक्त सब्जी में नाखून अंदर नहीं जाएगा। ऐसी सब्जी नाखून के दबाव के साथ दबने लगेगी।
महक से सब्जियों की पहचान
सब्जियों की सबसे अच्छी पहचान करने का तरीका है कि उन्हें महक से पहचाना जाए। अगर फलों और सब्जियों की महक प्राकृतिक और तेज है, तो काफी हद तक ताजी है। जबकि केमिकल लगी सब्जी और फल में महक अलग और बेहद कम आती है।
रंग लगी सब्जी पहचाने
सब्जियों को शुद्ध और ताजा दिखाने के लिए उन पर पैराफिन हाइड्रोकार्बन केमिकल युक्त मिलावटी रंग चढ़ा दिया जाता है। सब्जियों या फलों के रंग की पहचान के लिए सूती कपड़े से उन्हें हल्का सा गीला करके सब्जियों और फलों पर रगड़े। सब्जी और फलों में किसी भी तरह का केमिकल्स होगा तो कपड़े पर लग जाएगा।
फल और सब्जियों में केमिकल लगाने की बात पूरी तरह से गलत है। बरेली में इस तरह का कोई केस सामने नहीं आया है। हमारी टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। अगर ऐसा है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
अपूर्व श्रीवास्तव, सहायक आयुक्त खंड द्वितीय