बरेली (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में नौ सौ करोड़ रुपए से अधिक पैसा खर्च किया जा चुका है, लेकिन शहर की दशकों पुरानी वाटर लागिंग की समस्या जस के तस है। थोड़ी देर की बारिश में ही शहर के पॉश इलाके तक जलभराव की जद में आ जाते है। मेन सडक़ों में भी जहां तहां बरसात का पानी जमा हो जाता है। इससे लोगों को काफी परेशान का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर बरेलियंस की ओपीनियन जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोशल मीडिया के प्लेटफार्म एक्स पर एक ऑनलाइन सर्व कराया। सर्वे में शामिल सौ प्रतिशत लोगों ने यह माना है कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद भी वाटर लॉगिंग की समस्या पहले की तरह ही बरकरार है।
प्लानिंग बताई कमजोर
सर्व में प्रतिभाग करने वालें बरेलियंस ने वाटर लॉगिंग की समस्या के पीछे स्मार्ट सिटी की प्लानिंग और नगर निगम अफसरों की लापरवाही बताई है। लोगों का मानना है कि वाटर लॉगिंग को लेकर न तो नगर निगम के पास कोई ठोस प्लानिंग होती है और न ही स्मार्ट सिटी के अफसर ही गंभीर है। इसी लापरवाही की वजह से शहर मामूली बरसात में जलभराव की जद में आ जाता है। इसके साथ ही पुराने नालों की अच्छे से सफाई न होने की वजह से भी वह बरसात में पूरे भर जाते हैं। इस कारण छोटे नाले और नालियों के पानी की निकासी रुक जाते है। इस वजह से छोटे नाले और नालियों का गंदा पानी रोड और छोटी-छोटी गलियों पर आ जाता है।
ड्रेनेज सिस्टम खराब बताया
सर्वे में बरेलियंस ने मौजूदा समय के ड्रेनेज सिस्टम को भी खराब बताया है। शहर वासियों का मानना है कि ड्रेनेज सिस्टम मौजूदा स्थिति के अनुकूल नहीं है। इसको दोबारा बनाने की जरूरत है। ताकि लोगों को जलभराव की समस्या से जल्द छुटकारा मिल सके। इसको लेकर अपर नगर आयुक्त सुनील यादव ने बताया कि सीएंडडीएम की टीम शहर भर के नालों को सर्वे कर रही है। सर्वे पूरा होने के बाद इसी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। ताकि पूराने नालों का जल्द से जल्द पुना: निर्माण कराया जा सके। उन्होंने बताया कि टीम अब तक 40 से ज्यादा स्थानों का सर्वे कर चुकी है।
बरेलियंस ने सर्वे में पूछे गए सवालों के उत्तर दिए
शहर में वाटर लागिंग का कारण क्या है।
। नगर निगम की कमजोर प्लानिंग 60 प्रतिशत
। नाला सफाई 20 प्रतिशत
। सीवर लाइन 20 प्रतिशत