बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम का इतिहास 150 साल से भी पुराना है। इस दौरान नगर निगम क्षेत्र की आबादी एक लाख के करीब थी। जनसंख्या के साथ के साथ क्षेत्रफल भी बढ़ता रहा। विकास के साथ ही नगर निगम में वार्ड के साथ ही संसाधन भी बढ़ते रहे। लेकिन आजाद से पहले बनाया गया ड्रेनेज सिस्टम की हालत जस की तस रही। इन्ही नालों को बाद में पक्का कर दिया गया। इनमें ज्यादा सुधार न होने पर बरसात के दिनों में यह चेाक हो जाते है। क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से इन नालों से उतना कूड़ा निकल नहीं पाता है। इस वजह से जलभराव होता है। जलभराव इस कद्र हो जाता है कि नाले और नालियों के साथ ही रोड़ भी लबालब भर जाते है। गलियों और मुख्य मार्गों पर भरा पानी लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण ड्रेनेज सिस्टम मजबूत न होना है।

1863 में हुई थी स्थापना
बरेली म्युनिसिपलिटी की स्थापना 1863 में हुई थी। इसके बाद 1989 में नगर निगम का गठन हुआ। इसके पहले नगर प्रमुख राजकुमार अग्रवाल बने थे। इस दौरान पूरे शहर भर में अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कच्चे नाले ही थे। इस दौर की शुरुआत में शहर की आबादी करीब 40 हजार के आसपास थी। इस दौरान नगर निगम ने 1964 में नाले पक्के नालों का निर्माण कराया गया था। कई जगहों पर जलभराव की समस्या से निपटने के लिए पंपिंग स्टेशन भी बनवाए गए थे। इसके साथ ही शहर का पानी तलाब और नदियों में भी चला जाता था। लेकिन शहर में जैसे जैसे आबादी बढ़ी लोगों ने छोटी नदी और तलाब को पाटकर उस पर निर्माण करा दिया। इस वजह से भी जलभराव की समस्या बढ़ गई।

2035 तक का प्लान
जल निगम ने शहर को दो जोन में बांट दिया है। दोनों ही जोन में सीवर लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है। 54 करोड़ की पहली योजना में 12.64 किमी लंबी सीवर ट्रंक लाइन बिछाई जा चुकी है। 34 करोड़ की योजना में 22 किमी ब्रांच लाइन का काम हो चुका है। इसमें 132 कनेक्शन जोड़े जा रहे हैं। सेंट्रल प्रोजेक्ट के तहत 330 करोड़ की डीपीआर बनाकर शासन को भेजा चुका है। इसके तहत 120 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाई जाएगी। 45 एमएलडी का एसटीपी लगाया जाएगा। यह कार्ययोजना 2035 तक की बनाई गई है। इस कार्ययोजना के पूरा होने की बाद ही बरेली वासियों को जलभराव की दिक्कत से निजात मित सकेगी।

जलभराव को लेकर बदनाम
बरसात के मौसम में ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से जलभराव होता है। इस दौरान होने वाला पानी लोगों के घरों के भीतर तक घुस जाता है। इस दौरान कई दिनों तक पानी की निकासी न होने पर लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पुराने शहर के कई हिस्से और सुभाषनगर के कई इलाके जलभराव को लेकर बदनाम है। जहां पर लोग जमीन खरीदना तक पसंद नहीं करते है।

यहां सबसे अधिक जलभराव
गणेशनगर, शांतिविहार, मढ़ीनाथ, हजियापुर, एजाज नगर गौटिया, जगतपुर, जोगीनवादा के अलावा मंदिर वनखंडीनाथ के आसपास भी पानी भर जाता है। सुभाषनगर पुलिया, रामपुर गार्डन, सिविल लाइंस, आवास विकास,राजेन्द्रनगर, पटेलनगर समेत शहर के अन्य एरिया शामिल है।

जलभराव की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम लगातार प्रयास किया गया है। इससे निपटने के लिए शासन को भी पत्र लिखा गया है। जल्द ही शहर कई हिस्सों में नालों का काम शुरु किया जाएगा।
डा। उमेश गौमत, महापौर, नगर निगम