शहर में करीब 20 लाख लोगों की आबादी है, जिनके पास करीब 10 लाख व्हिकल्स हंै। आसपास के क्षेत्र को जोड़ लिया जाए तो शहर में करीब 17 लाख वाहन दौड़ते हंै। इनमें शहर के आसपास के वाहनों सहित बाहरी लोडिंग वाहन भी शामिल है। यह ही वजह है कि प्रत्येक दिन एक हजार से ज्यादा लोगों का रोजाना चालान कट रहा है। टै्रफिक पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से ही शहर के वीआईपी चौराहा, चौकी चौराहा पर हर समय जाम की हालत बनी रहती है। यह ही नहीं शहर के प्रमुख चौकी चौराहा से देहात परमिट के ऑटो रिक्शाओं का भी संचालन खूब हो रहा है। शहर के चौराहों से टै्रफिक पुलिसकर्मियों के नदारद होने की वजह से ही ऑटो और ई-रिक्शा चालक मनमानी पर उतारू रहते हैं।

फंसती हैं वीआईपी गाडिय़ां
बता दें कि चौकी चौराहा पर हर समय वीआईपी मूवमेंट रहता है, क्योंकि यहां से दो सौ मीटर के दायरे में ही कमिश्नर, एडीजी, एसएसपी निवास के साथ ही एडीजी का ऑफिस भी मौजूद है। चौराहे से करीब 40 मीटर की दूरी पर कमिश्नर का ऑफिस और सौ मीटर की दूरी पर एसएसपी का ऑफिस है। इसके साथ ही चौकी चौराहा से सौ मीटर की दूरी पर सर्किट हाउस भी मौजूद है। इस वजह से चौकी चौराहा पर हर समय वीआईपी मूवमेंट रहता है। इसके बावजूद चौकी चौराहा पर टै्रफिक का बुरा हाल रहता है। हर समय जाम की स्थिति के साथ ही यहां से देहात परमिट के ऑटो रिक्शाओं का भी संचालन हो रहा है।

चौराहों से भरी जा रहीं सवारियां
शहर में टै्रफिक पुलिसकर्मियों की बड़े स्तर पर कमी है। यह ही वजह है कि शहर भर में जाम की स्थिति बनी रहती है। चौराहों पर सही स्तर पर टै्रफिक पुलिसकर्मियों के न होने की वजह से ही ऑटो और ई-रिक्शा संचालक मनमानी पर ऊतारू रहते हैं। टै्रफिक नियम के अनुसार सवारी वाहनों को चौराहे से कम से कम 60 मीटर की दूरी पर वाहन खड़ा कर सवारी भरनी चाहिए ताकि चौराहे से गुजरने वाला टै्रफिक बाधित न हो। कानून का पाठ पढ़ाने वाली ट्रैफिक पुलिस इस रूल का पालन नहीं करा पाती है। इसको लेकर दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला टै्रफिक पुलिस की सेटिंग और दूसरा फोर्स की कमी।

सीएम के आदेश भी दरकिनार
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ कई बार प्रदेश में लगने वाले जाम की समस्या को लेकर बयान दे चुके हैं कि किसी भी हाल में शहर के चौराहों से सवारी वाहनों का स्टैंड का संचालन न हो और न ही चौराहों से सवारियों को सवारी वाहन में बैठाया जाए। इसके बावजूद शहर भर के चौराहों से अवैध स्टैंड्स का संचालन हो रहा है। यह ही नहीं चौराहों से सवारी वाहन सवारियों को बैठा रहे हैं।

पॉइंट्स पर नहीं ड्यूटी
टै्रफिक पुलिस की ड्यूटी शहर के 35 पॉइंट्स पर लग रही है। वीआईपी मूवमेंट होने पर सिविल पुलिस की मदद से टै्रफिक पुलिस की 80 पॉइंट्स तक ड्यूटी लगती है। टै्रफिक की ड्यूटी शहर के लगभग प्रमुख चौराहों पर रहती है, जबकि वीआईपी मूवमेंट होने की स्थिति में पुलिस शहर के 35 पॉइंट्स पर ही बमुश्किल दिखाई देती है।

152 टै्रफिक पुलिसकर्मी
करीब 15 लाख की आबादी और शहर में आने वाले वाहनों को संभालने के लिए मात्र 152 टै्रफिक पुलिसकर्मी ही तैनात है। इसमें एसपी टै्रफिक और सीओ टै्रफिक को छोड़ दें तो एक टीआई, 29 टीएसआई, 51 हेड कांस्टेबल, 17 कांस्टेबल और 54 महिला सिपाही शामिल हैं, जबकि यह संख्या नियत पुलिसकर्मियों से आधी है।

भर्ती होने की प्रक्रिया
ऐसा नहीं है कि प्रदेश में ट्रैफिक पुलिस के लिए अलग से भर्ती होती हो। सिविल पुलिसकर्मियों में से ही टै्रफिक पुलिसकर्मियों को भर्ती किया जाता हैं। टै्रफिक पुलिस में भर्ती होने वाले पुलिसकर्मियों को कुछ दिन ही प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद वो टै्रफिक पुलिस का हिस्सा बन जाते हैं। सिविल पुलिस और टै्रफिक पुलिसकर्मियों का तबादला होता रहता है, जिस वजह से टै्रफिक में पुलिसकर्मियों का आना-जाना लगा रहता है। यह ही वजह है कि कभी भी टै्रफिक पुलिसकर्मियों की जरूरत अब तक पूरी नहीं हुई।

नहीं मिलतीं सुविधाएं
बता दें कि शहर के चौराहों और तिराहों पर दिन-रात मेहनत और पसीना बहाने वाले टै्रफिक पुलिसकर्मियों को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। यह ही वजह है कि टै्रफिक पुलिस में जाने से पुलिसकर्मी बचते है। सर्दी के मौसम में पुलिसकर्मियों को चौराहों और तिराहों पर तापने के लिए अलाव की व्यवस्था भी नहीं होती। ऐसी ही हालत गर्मी में भी रहती है। चौराहों पर ड््यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को खडें होने के लिए छांव तक नसीब नहीं होती है।

ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में लगातार वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस के प्रयासों को सफलता मिल रही है। अब लोग टै्रफिक रूल्स को लेकर अवेयर हो रहे हैं। दो पहिया वाहन चालक अब अधिक मात्रा में हेलमेट का प्रयोग कर रहे हैं।
शिव राज, एसपी टै्रफिक

लोगों को हेलमेट लगाना चाहिए। हेलमेट न होने की वजह से हादसे में सिर में चोट लगने की वजह से मौत होने की संभावना बढ़ जाती है। दो पहिया वाहन चालकों को समझना चाहिए कि हेलमेट है तो जिंदगी है।
माजिद अली


प्रशासन हर संभव प्रयास करता है कि हादसे न हों। इसके लिए तरह-तरह के रूल्स भी बनाए गए हैं, लेकिन लोग इन रूल्स का सही तरीके से पालन नहीं करते हैं। इस वजह से हादसे होते है।
लक्ष्य सागर, नगरवासी


स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस प्रशासन को और भी ज्यादा तैयारियां करने की जरूरत है। मौजूदा समय में पुलिसकर्मी खड़े रह जाते हैं और रूल्स तोडऩे वाले स्पीड का फायदा उठाकर फरार हो जाते हैं।
आदित्य कुमार, नगरवासी

पुलिस को और भी ज्यादा सख्ती करने की जरूरत है। एक से दो बार रूल्स तोडऩे वालों से जुर्माना वसूलने के साथ ही उन्हे कुछ दिन की सजा भी मिलनी चाहिए। इस श्रेणी में खासकर चार पहिया वाहन वालों को रखने की जरूरत है।
मिंटू पहलवान, नगरवासी