कुछ इस तरह की होगी कॉपीज

कॉपीज के फ्रंट पेज के दो हिस्से होंगे। एक पार्ट में स्टूडेंट्स की सारी डिटेल्स होंगी। जैसे नाम, रोल नंबर, सŽजेक्ट्स आदि। दोनों पार्ट में बार कोड होगा। कॉपीज चेकिंग से पहले स्टूडेंट्स की डिटेल्स वाले हिस्से को फाड़ कर रख लिया जाएगा। ताकि कॉपीज जब मूल्यांकन के लिए पहुंचे तो परीक्षक स्टूडेंट्स की डिटेल्स ना जान पाए। कॉपीज चेकिंग कंप्लीट होने के बाद बार कोड के मिलान से कॉपीज की पहचान की जाएगी।

माक्र्स बढ़ाने के लगते रहे हैं आरोप

आरयू चाहे कितना भी मूल्यांकन को गोपनीय बरकरार रखने के दावे करता हो, लेकिन हकीकत यही है कि गोपनीयता के दावे को बड़े ही आसानी से भेदा जा सकता है। लास्ट ईयर आई नेक्स्ट ने आरयू की पोल खोलती रिपोर्ट प्रमुखता से पŽिलश की थी। जिसमें यह दर्शाया गया था कि किस तरह से मूल्यांकन में खेल होता है। कॉपीज चेक करने वाले परीक्षक को स्टूडेंटस की सारी डिटेल्स मालूम रहती हैं। वह किस कॉलेज का है, उसका रोल नंबर कौन सा है आदि। टीचर्स और आरयू के कर्मचारियों और अधिकारियों की मदद से माक्र्स बढ़ाने का खेल खूब चलता है।

माक्र्स की जगह बनेंगे सर्किल

बार कोड प्रणाली लागू होने के बाद से मार्किंग प्रणाली में भी बदलाव हो गया है। टीचर्स को इसकी भी जानकारी दी गई है। अब टीचर्स कॉपीज के फ्रंट पेज पर डिजिट्स के जरिए टोटल माक्र्स मेंशन नहीं करेंगे। इसकी जगह पर उन्हें सर्किल बनाने होंगे। मतलब माक्र्स भी अब कोड के रूप में देना होगा। दरअसल, यह प्रणाली इसलिए लागू की गई है कि माक्र्स में छेड़छाड़ ना किया जा सके। आरयू में ऐसे केसेज पहले भी आ चुके हैं जब टीचर्स ने माक्र्स के टोटल में छेड़छाड़ की थी। टोटल माक्र्स को काट कर या तो बढ़ाया गया है या तो घटाया गया है।

नहीं मिलेगी बी कॉपी

इस बार के मेन एग्जाम्स से बी कॉपी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब स्टूडेंट्स को ए कॉपी से ही काम चलाना होगा। हालांकि, ए कॉपी में लास्ट ईयर ही बदलाव किया गया। जिसमें उसके पेजेस भी बढ़ाए गए और साइज भी। ऐसे में स्टूडेंट्स का एग्जाम ए कॉपी से ही पूरा हो जाता है। किसी भी हाल में बी कॉपी नहीं दी जाएगी। तब भी बहुत जरूरत पड़ी तो कॉपी पर केवल सीरियल नंबर ही लिखकर दिया जाएगा। बी कॉपी के द्वारा एग्जाम के दौरान धांधली करने के केसेज हो चुके हैं। ऐसे मामले पहले भी आ चुके हैं जिसमें स्टूडेंट्स पुरानी बी कॉपी लेकर एग्जाम के दौरान पहुंचे हैं।

अब तक सिर्फ लॉ में है बार कोड

आरयू ने केवल लॉ की एग्जाम कॉपीज में बार कोड प्रणाली लागू कर रखी है। मार्च से शुरू होने वाले मेन एग्जाम्स में सभी कोर्सेज की एग्जाम कॉपीज बार कोड वाली होंगी। कॉलेजेज में कॉपीज पहुंचाने का काम भी शुरू हो गया है। इसको लेकर टीचर्स को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। कॉपीज का फ्रंट पेज पिछली बार से काफी चेंज होगा। इस पर स्टूडेंट्स और इनविजिलेटर्स द्वारा जानकारियां फिल करनी होती हैं। डिटेल्स कैसे फिल करानी है इसको लेकर टीचर्स को इंफॉर्मेशन दी ग

कॉपीज के फ्रंट पेज के दो हिस्से होंगे। एक पार्ट में स्टूडेंट्स की सारी डिटेल्स होंगी। जैसे नाम, रोल नंबर, सŽजेक्ट्स आदि। दोनों पार्ट में बार कोड होगा। कॉपीज चेकिंग से पहले स्टूडेंट्स की डिटेल्स वाले हिस्से को फाड़ कर रख लिया जाएगा। ताकि कॉपीज जब मूल्यांकन के लिए पहुंचे तो परीक्षक स्टूडेंट्स की डिटेल्स ना जान पाए। कॉपीज चेकिंग कंप्लीट होने के बाद बार कोड के मिलान से कॉपीज की पहचान की जाएगी।

माक्र्स बढ़ाने के लगते रहे हैं आरोप

आरयू चाहे कितना भी मूल्यांकन को गोपनीय बरकरार रखने के दावे करता हो, लेकिन हकीकत यही है कि गोपनीयता के दावे को बड़े ही आसानी से भेदा जा सकता है। लास्ट ईयर आई नेक्स्ट ने आरयू की पोल खोलती रिपोर्ट प्रमुखता से पŽिलश की थी। जिसमें यह दर्शाया गया था कि किस तरह से मूल्यांकन में खेल होता है। कॉपीज चेक करने वाले परीक्षक को स्टूडेंटस की सारी डिटेल्स मालूम रहती हैं। वह किस कॉलेज का है, उसका रोल नंबर कौन सा है आदि। टीचर्स और आरयू के कर्मचारियों और अधिकारियों की मदद से माक्र्स बढ़ाने का खेल खूब चलता है।

माक्र्स की जगह बनेंगे सर्किल

बार कोड प्रणाली लागू होने के बाद से मार्किंग प्रणाली में भी बदलाव हो गया है। टीचर्स को इसकी भी जानकारी दी गई है। अब टीचर्स कॉपीज के फ्रंट पेज पर डिजिट्स के जरिए टोटल माक्र्स मेंशन नहीं करेंगे। इसकी जगह पर उन्हें सर्किल बनाने होंगे। मतलब माक्र्स भी अब कोड के रूप में देना होगा। दरअसल, यह प्रणाली इसलिए लागू की गई है कि माक्र्स में छेड़छाड़ ना किया जा सके। आरयू में ऐसे केसेज पहले भी आ चुके हैं जब टीचर्स ने माक्र्स के टोटल में छेड़छाड़ की थी। टोटल माक्र्स को काट कर या तो बढ़ाया गया है या तो घटाया गया है।

नहीं मिलेगी बी कॉपी

इस बार के मेन एग्जाम्स से बी कॉपी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब स्टूडेंट्स को ए कॉपी से ही काम चलाना होगा। हालांकि, ए कॉपी में लास्ट ईयर ही बदलाव किया गया। जिसमें उसके पेजेस भी बढ़ाए गए और साइज भी। ऐसे में स्टूडेंट्स का एग्जाम ए कॉपी से ही पूरा हो जाता है। किसी भी हाल में बी कॉपी नहीं दी जाएगी। तब भी बहुत जरूरत पड़ी तो कॉपी पर केवल सीरियल नंबर ही लिखकर दिया जाएगा। बी कॉपी के द्वारा एग्जाम के दौरान धांधली करने के केसेज हो चुके हैं। ऐसे मामले पहले भी आ चुके हैं जिसमें स्टूडेंट्स पुरानी बी कॉपी लेकर एग्जाम के दौरान पहुंचे हैं।

अब तक सिर्फ लॉ में है बार कोड

आरयू ने केवल लॉ की एग्जाम कॉपीज में बार कोड प्रणाली लागू कर रखी है। मार्च से शुरू होने वाले मेन एग्जाम्स में सभी कोर्सेज की एग्जाम कॉपीज बार कोड वाली होंगी। कॉलेजेज में कॉपीज पहुंचाने का काम भी शुरू हो गया है। इसको लेकर टीचर्स को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। कॉपीज का फ्रंट पेज पिछली बार से काफी चेंज होगा। इस पर स्टूडेंट्स और इनविजिलेटर्स द्वारा जानकारियां फिल करनी होती हैं। डिटेल्स कैसे फिल करानी है इसको लेकर टीचर्स को इंफॉर्मेशन दी गई।