लग चुके हैं गंभीर आरोप

मंडे को सेशन कोर्ट में जिन 'जिम्मेदारÓ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी थी उनके ऊपर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। 25 जुलाई 2011 को एसआई अशोक कुमार त्यागी, लॉकअप मोहर्रिर एसआई लाल सिंह, हेड कांस्टेबल राजवीर सिंह डिस्ट्रिक्ट जेल से कोर्ट में पेशी के लिए 93 बंदियों को लेकर आए थे। सभी बंदियों को सेशन कोर्ट में बनी हवालात में रखा गया। कोर्ट में पेशी के बाद सभी को डिस्ट्रिक्ट जेल ले जाया गया। जहां गिनती में एक बंदी छोटे लाल लापता था। इसकी सूचना जेल एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा डीआईजी को दी गई। मामला गंभीर होने के कारण तत्कालीन डीआईजी प्रकाश डी ने तुरंत संज्ञान लिया था। इसके बाद डीआईजी ने अशोक कुमार त्यागी, लाल सिंह और राजवीर सिंह को सस्पेंंड कर दिया था। आरआई लाइंस की कंप्लेन पर कोतवाली में तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज किया गया था।

विभागीय जांच में भी आरोपी

इन तीनों के खिलाफ तत्कालीन एसपी टै्रफिक कल्पना सक्सेना के द्वारा विभागीय जांच भी की गई। इस जांच में भी इन पर लगे आरोप सही पाए गए और रिपोर्ट डीआईजी को भेज दी गई थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई ही नहीं करना है तो विभागीय जांच करवाने से फायदा ही क्या?

तीन में से दो थे तैनात

जिन तीन पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच की गाज गिरी थी उनमें से दो को अब भी सेशन कोर्ट में ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि किन परिस्थितियों में दोषी पुलिसकर्मियों को उसी काम पर लगाया गया जिसमें उन पर दोष सिद्ध हो चुका है। बरेली पुलिस के आलाअधिकारी इस मामले पर कुछ भी स्पष्ट कहने से साफ बच रहे हैं, लेकिन डीआईजी राजकुमार ने कहा कि इस संबंध में जांच करवाई जाएगी।

 

कुछ अनसुलझे सवाल

-विभागीय जांच में भी दोषी पाए जाने के बावजूद लॉकअप मोहर्रिर एसआई लाल सिंह, हेड कांस्टेबल राजवीर सिंह को सेशन कोर्ट की ड्यूटी पर कैसे लगाया गया?

-पहले की घटना से सबक लेते हुए दोनों पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

-इनको सेशन कोर्ट की ड्यूटी से क्यों नहीं हटाया गया?

-आखिर इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस पर कोई दबाव तो नहीं?

'याराना' में बवाल भी

जेल से पेशी के लिए कोर्ट परिसर में लाए जाने वाले बंदियों और पुलिसकर्मियों के बीच याराना किस कदर हावी है यह एक बार फिर ट्यूजडेको सामने आया। कोर्ट कैंपस में एक महिला पुलिसकर्मी अपने ही सहकर्मी से भिड़ गई। हुआ यूं कि  आम दिनों में जेल से आने वाले बंदियों से उनके परिजन कचहरी में मिल लेते और खाने-पीने की वस्तुएं दे देते थे। मगर मंडे को हुई घटना के बाद पुलिस ने परिजनों को बंदियों से मिलने नहीं दिया। दोपहर को उस वक्त हंगामा शुरू हो गया जब एक महिला बंदी की मुलाकात उसके परिजनों से करवाई गई। इस बात का विरोध जब एक पुरुष पुलिसकर्मी ने की तब महिला पुलिसकर्मी उससे भिड़ गई। दोनों पुलिसकर्मियों के बीच गाली गलौच तक शुरू हो गई। अन्य पुलिसकर्मियों ने किसी तरह मामला सुलझाया। घटना की जानकारी डीआईजी को भी दे दी गई है।

जेल पहुंचे बंदी

मंडे को कोर्ट कैंपस में सुसाइड की कोशिश करने वाले पांचों बंदियों की हालत में सुधार होने के बाद ट्यूजडे को उन्हें जेल भेज दिया गया। गौरतलब है कि फेक करंसी के आरोप में बरेली जेल में बंद अब्दुल हकीम, मोहम्मद अली, सत्यवीर, शीशपाल और अशरफ अली ने मंडे को न्यायाधीश सेकेंड मुशरर्फ अली की कोर्ट में पेश किया गया था। पेशी से पहले ही इन पांचों ने एक साथ प्रतिबंधित दवा एलप्रैक्स और एटीवेन खाकर जान देने की कोशिश की थी। सुसाइड अटैंप्ड से पहले इन्होंने सुसाइडल लेटर भी पेश किया था। न्यायिक प्रक्रिया में देरी से थे खफा पुलिस के मुताबिक ये पांचों बंदी न्यायिक प्रक्रिया में हो रही देरी से नाराज थे। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए पांचों बंदियों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। हालत में कोई सुधार न होने के कारण पांचों बंदियों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से राममूर्ति हॉस्पिटल में में रेफर किया गया। यहां ट्यूजडे को उनकी हालत में सुधार होने पर उन्हें डिस्ट्रिक्ट जेल भेज दिया गया. 

दर्ज कराई एफआईआर

प्रतिबंधित दवाओं एलप्रैक्स और एटीवेन को खाकर सुसाइड करने वाले बंदियों के खिलाफ एसआई लाल सिंह ने आईपीसी की धारा 309 के तहत मामला दर्ज करा दिया है।

पुलिस का बयान

एफआईआर के मुताबिक एसआई लाल सिंह, राजवीर सिंह, विजय कुमार ने डिस्ट्रिक्ट जेल से 79 बंदियों को ले जाने के बाद सेशन कोर्ट के बंदी गृह में दाखिल कर दिया। सुनवाई के लिए बुलाए जाने पर लाल सिंह, हेड कांस्टेबल शिव कुमार, कृष्ण स्वरुप, कांस्टेबल महेंद्र प्रताप, पहलवान सिंह ने पांचों बंदियों को एडीजे थर्ड की कोर्ट में पेश किया। जहां उनके मौजूद नहीं होने पर उनसे अंगूठे का निशान लिये जाने थे, लेकिन उन्होंने उनका विरोध किया। इससे बंदियों को एडीजे सेकेंड की कोर्ट में पेश किया गया। उनकी कोर्ट में ही पांचों बंदियों ने कुछ खा लिया।

 

किसने उपलब्ध करवाई दवाएं

अभी तक ये सवाल हल नहीं हो पाया है कि आखिर कार इन पांचों को किस व्यक्ति ने कोर्ट परिसर में प्रतिबंधित दवाएं उपलब्ध करवाईं। वो भी तब जब सेशन कोर्ट में भारी पुलिस की मौजूद रहती है.  मंडे को घटी घटना में संलिप्त पुलिस वालों लाल सिंह, हेड कांस्टेबिल शिव कुमार, कृष्ण स्वरुप, कांस्टेबिल महेंद्र प्रताप, पहलवान सिंह, सुदीप प्रताप और सुरेश चंद्र की जांच का आदेश डीआईजी ने जारी कर दिया। जिसकी जांच सीओ सिटी फस्र्ट राजकुमार ने ट्यूजडे को स्टार्ट कर दी।

इस बारे में हमें अभी कोई जानकारी नहीं है कि एसआई लाल सिंह पहले लाकअप मोहर्रिर के पद पर थे कि नहीं। इस संबंध में जांच करवाई जाएगी।

-राजकुमार, डीआईजी

Report by: Amber Chaturvedi