7 साल में बदल गया एज ग्रुप
बरेली सिटी में 40 परसेंट शादियां 25 से 35 के ऐज ग्रुप में हो रही हैं। खास बात है कि 7 साल पहले शादी का ये ऐज ग्रुप 20 से 30 के बीच हुआ करता था। बरेली मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस के रिकॉड्र्स इस फैक्ट पर मुहर भी लगा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि यूथ में सही उम्र में शादी को लेकर इंट्रेस्ट में कमी आई है। वे लाइफ में पहले स्टेब्लिश होना चाहते हैं फिर सैटलमेंट की बात सोचते हैं।
6 से 7 परसेंट बच्चे विकलांग
स्टेट में एक सर्वे के अनुसार, वर्तमान में पैदा हो रहे बच्चों में 6 से 7 परसेंट विकलांगता के शिकार हो रहे हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि गर्भस्थ और नवजात शिशुओं पर बदलती लाइफ स्टाइल के गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ऑफिस में ज्यादा देर तक काम करना, भागदौड़, स्ट्रेस और एल्कोहल के बढ़ते यूज ने काफी दिक्कतें पैदा कर दी हैं। गर्भस्थ शिशु के दिमाग पर इसका बुरा असर पड़ता है।
हर महीने 10-20 मामले
डॉक्टर्स का कहना है कि ज्यादा ऐज में प्रेगनेंट होने पर गर्भ ओवरी के बजाय फ्लोपियन ट्यूब में पलने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अधिकतर मामलों में बच्चे की जान तक नहीं बच पाती है। इसलिए 30 साल से ज्यादा की ऐज में शादी रचाने वाली लेडीज को प्रेगनेंसी के मामले में खासा अलर्ट होने की जरूरत है। पैथोलॉजी एसोसिएशन से मिली जानकारी के मुताबिक, हर मंथ ऐसे 10 से 20 मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें गर्भ फ्लोपियन ट्यूब में डेवलप होने लगता है।
Abortion हो सकता है जानलेवा
डॉक्टर्स के मुताबिक, बार-बार एबॉर्शन से बच्चेदानी में इंफेक्शन हो जाता है। इसका असर फ्लोपियन ट्यूब पर पड़ता है। वह चिपक जाती है या फिर टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। लिहाजा सीरम ट्यूब में ही अटक जाता है और भ्रूण वहीं आकार लेने लगता है। अधिकतर मामलों में भू्रण के बढऩे पर फ्लोपियन ट्यूब फट जाती है, जिससे पेट में ब्लड भर जाता है। ऐसे में गर्भवती महिला की जान पर बन आती है।
तो फिट होते हैं बच्चे
डॉक्टर्स का कहना है कि मां बनने की मुफीद उम्र 22 से 30 साल होती है। इस दौरान मां बनने पर बेबी मेंटली और फिजिकली फिट रहते हैं। करियर बनाने की धुन में महिलाएं शादी की उम्र को इग्नोर कर देती हैं, जिसके दूरगामी परिणाम उन्हीं को भुगतने पड़ते हैं। सर्वे में भी ये तथ्य सामने आए हैं कि लेट ऐज में पैदा होने वाले बच्चों के मुकाबले नॉर्मल ऐज वाले बच्चे थोड़ा जुदा होते हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि इस उम्र में यूथ के हार्मोंस में तेजी से बदलाव होता है।
95% डिलीवरी सिजेरियन
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सीनियर गायनकोलॉजिस्ट डॉ। स्नेहलता के एकॉर्डिंग 22 से 25 साल की ऐज में होने वाली प्रेगनेंसी सेफ जोन में मानी जाती है। इस ऐज ग्रुप में लगभग 95 परसेंट प्रेगनेंसी नॉर्मल होती हैं जबकि उसके बाद बॉडी की हड्डियां हार्ड होने लगती हैं। वहीं आफ्टर 30 ऐज ग्रुप में 95 परसेंट डिलीवरी सिजेरियन होती हैं। पेशेंट का ब्लड प्रेशर और हार्मोन भी इर्रेगुलर हो जाता है, जिससे फाइनली कॉम्प्लीकेशन बढ़ जाता है।प्रॉब्लम हो तो क्या करें
गर्भावस्था के फौरन बाद यूरिन टेस्ट करवाएं। अगर गर्भ ओवरी के बजाय कहीं दूसरी जगह हुआ है तो इसका इलाज अब सिर्फ एक इंजेक्शन से पॉसिबल हो गया है। ये इंजेक्शन प्रेगनेंट महिला की कमर में लगाया जाता है, जो गलत जगह पर डेवलप हो चुके भ्रूण को नष्ट कर देता है।
इन बातों का ध्यान रखें
* ओवरी में सूजन को नजरअंदाज न करें।
* एबॉर्शन की नौबत न आए, इसके लिए गर्भ निरोधक अपनाएं।
* मेंसुरेशन साइकिल से दो दिन पहले अगर पैर में दर्द महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
* जरूरी हो तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से ही एबॉर्शन करवाएं।
लेट उम्र में प्रेगनेंसी से कई कॉम्प्लीकेशन सामने आती हैं। ज्यादातर मामलों में ये मां के लिए खतरनाक साबित होता है। इसलिए मिनिमम 20 साल और मैक्सिमम 30 साल की उम्र तक शादी कर लेनी चाहिए। इससे आने वाले बच्चे की तंदरुस्ती बनी रहती है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन भी कम हो जाती हैं।
-डॉ। स्नेहलता,
सीनियर गायनकोलॉजिस्ट,
महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल
करियर की धुन में आज यूथ हर तथ्य को नकार रहा है। जबकि सही उम्र में शादी करने से आने वाली संतान के मेंटल, फिजिकल और सोशल डेवलपमेंट के लिए पर्याप्त समय मिलता है। अब यूथ का शादी से चाव कम हो रहा है।
-डॉ। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट