मासूम जिंदगियों से खिलवाड़
स्कूली वाहन सुरक्षा मानकों के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। आपके लाडलों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचाने वाले ये वाहन किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकते हैं। कई बार हो चुके हादसों के बावजूद सबक नहीं लिया जा रहा। पेरेंट्स भी ऐसे चालकों से कुछ नहीं पूछते। सभी स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन बेखबर बने हुए हैं। एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही तो ऐसी है कि ऑटो, वैन में बच्चे ढोए जा रहे हैं। कोई सुध लेने वाला नहीं है। जबकि ऑटो को स्कूली वाहन की तरह यूज किया ही नहीं जा सकता। इन सब लापरवाहियों की वजह से अक्सर इनका एक्सीडेंट होता है और कई घर के 'चिराग' बुझ जाते हैं। बावजूद इसके न तो स्कूल्स मैनेजमेंट की आंखें खुल रही है और न ही एडमिनिस्टे्रशन सख्त कदम उठा रहा है।
5 बच्चे हुए थे घायल
वेडनसडे को मिनी बाईपास स्थित जिंगल बेल स्कूल के ऑटो की टक्कर अन्य ऑटो से होने पर 5 बच्चे घायल हो गए थे। प्रथम दृष्ट्या ऑटो में सुरक्षा के इंतजामों की कमी का मामला सामने आया। हालांकि सभी बच्चे सुरक्षित हैं। मगर ये घटना अभिभावकों के लिए अलार्मिंग हो सकती है। हर रोज 1,000 स्कूली ऑटो और 325 बस और स्कूली वैन सैकड़ों मासूमों को ढो रही है। साफ है कि सुरक्षा मानकों से हो रहा खिलवाड़ निकट भविष्य में फिर किसी बड़ी घटना का कारण बन सकता है।
15 दिन का दिया था समय
इन घटनाओं के पीछे सिर्फ एडमिनिस्ट्रेशन का दोष नहीं है। हिस्ट्री गवाह है कि जब एडमिनिस्ट्रेशन ने सख्ती करने की कोशिश की तो एसोसिएशन ने हड़ताल कर दी है। दोनों पक्ष अपने तर्कों पर अड़े रहते हैं और खामियाजा मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है। हालिया घटना में 6 सितंबर को एडमिनिस्ट्रेशन की सख्ती के बाद स्कूली ऑटो व वैन एसोसिएशन ने स्ट्राइक कर दी थी। स्ट्राइक के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने नरम रवैया अख्तियार करते हुए कुछ बाध्यताओं के साथ एसोसिएशन को नियम अप्लाइ करने के लिए 15 दिन का समय दिया था। मगर अब दो मंथ से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन नियम फॉलो होते नजर नहीं आ रहे हैं।
चल रहे हैं 1200 स्कूली वाहन
आरटीओ की फाइलों में महज 300 स्कूली वाहन स्टूडेंट्स को घर से स्कूल पहुंचा रहे हैं। जबकि महानगर ऑटो रिक्शा ओनर्स वेलफेयर के प्रेसीडेंट अकीलउद्दीन के अनुसार सिटी की सड़कों पर तकरीबन 1200 स्कूली वाहन बच्चों को ढो रहे हैं। दरअसल स्कूली वाहनों को आरटीओ पास इश्यू करता है। जाहिर सी बात है कि जिन स्कूली वाहनों को पास नहीं जारी नहीं हुए है। वह अवैध रूप से बच्चों को ढो रहे हैं। आरटीओ के नियमों के मुताबिक सिर्फ उन्हीं वाहनों को पास जारी किया जाता है, जिनमें 6 से अधिक सवारी बैठाने की व्यवस्था होती है। ऑटो में पांच ही सवारी बैठाए जाने का नियम है।
जिंदगी की कीमत 100 रुपए!
आरटीओ ने आपके घर के चिराग की कीमत महज 100 रुपए आंकी है। ये हम नहीं बल्कि आरटीओ की रूल्स बुक कहती है। अगर अवैध रूप से स्कूली बच्चों को लेकर चलते हुए स्कूली वाहन को पकड़ा जाता है तो उन पर महज 100 रुपए का
जुर्माना लगाया जाता है। ये रकम इतनी मामूली है कि ऑटो वाले सुरक्षा के इंतजाम उपलब्ध कराने से बेहतर जुर्माना देना पंसद कर रहे हैं।
बैठक का नतीजा सिफर
पेरेंट्स फोरम, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और ट्रैफिक पुलिस के बीच दो बार बैठक हो चुकी है। लेकिन नतीजा सिफर रहा है। 8 दिसम्बर 2010 और वर्ष 2011 में संपन्न हुई बैठक में रोड सेफ्टी क्लब का गठन भी हुआ था। इस क्लब में स्कूल के दो टीचर को बकायदा ट्रैफिक नियमों की ट्रेनिंग लेनी थी। नियम फॉलो करने के लिए पेरेंट्स को अवेयर करना था। इसके अतिरिक्त डेली डायरी में एक्टीविटी भी मैनटेन करनी थी। लेकिन नियम कानून बैठक तक ही सिमट रह गए।
एक नजर स्कूली वाहनों के एक्सीडेंट पर
-22 नवंबर को जिंगल बेल स्कूल के पांच स्टूडेंट स्कूली वाहन के एक्सीडेंट में चोटिल हुए थे।
-13 सितम्बर जीपीएम पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट मुकर्रम और उसकी बहन हीरा को स्कूल टैम्पो के नौसिखिया चालक ने टक्कर मार दी थी. एक्सीडेंट में भाई और बहन दोनों चोटिल हो गये थे।
-23 अगस्त हाफिजगंज के पास टैम्पो के पलट जाने की वजह से 7 वर्षीय हसीन बानो और उनके भाई समीर की मौके पर मौत हो गयी थी।
-11 अगस्त बांके बिहारी मंदिर के पास स्कूली बच्चों से भरे ऑटो और बस के एक्सीडेंट में सेक्रेट हार्ट पब्लिक स्कूल के 5 वीं का स्टूडेंट गुलशन बस के नीचे आ जाने की वजह से मौत का शिकार हुआ था।
कुछ दिन पहले एडमिनिस्ट्रेशन और स्कूली वाहन एसोसिएशन के बीच हुआ समझौता
-स्कूली वैन पीले रंग की होनी चाहिए।
-किसी और कलर का वैन चलाने पर सख्त पाबंदी।
-ऑटो के दोनों साइड जाली लगी होनी चाहिए।
-स्कूली वाहनों में सीट से अधिक बच्चे न बैठाए जाए।
-स्कूली बच्चों को लेकर चलने वाले वाहनों पर स्कूल वाहन लिखा होना जरूरी होता है।
-वाहनों के पीछे स्कूल का नंबर लिखा होना चाहिए। जिस पर शिकायत दर्ज करवाई जा सके।
आरटीओ के नॉम्र्स
-6 सीट से ज्यादा के वाहनों को ही स्कूली वाहन के रूप में पास दिया जाता है।
-ऑटो को स्कूली वाहन के रूप पास नहीं इश्यू किया जाता है।
-स्कूली वाहन 15 साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।
-वाहन में इमरजेंसी गेट होना चाहिए।
-अर्बन स्कूली वाहन सीएनजी होना चाहिए।
दोनों साइड लगी होनी चाहिए जालियां
स्कूली बच्चों की सिक्योरिटी के लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने संयुक्त रूप से कुछ नियम बनाए थे। ये नियम स्कूल ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के साथ हुई बैठक का नतीजा था। बैठक में तय हुआ था कि स्कूली ऑटो का रंग पीला होना चाहिए। दोनों साइड जालियां लगी होनी चाहिए। साथ ही बच्चों की संख्या पर भी बाध्यता लगाते हुए ऑटो में 4 बच्चे, विक्रम टैम्पो में 6 बच्चे और वैन में 15 बच्चे कैरी करने के डायरेक्शन दिए थे। इसके अतिरिक्त वाहन की फिटनेस चेकिंग भी समय-समय पर होनी चाहिए।
स्कूली वाहन की संख्या
नियम की अनदेखी कर रहे स्कूली वाहन पर कार्रवाई की जाएगी। स्कूली वाहन एसोसिएशन को जो टाइम दिया गया था वह खत्म हो गया है। नियम की अनदेखी कर रहे वाहन चालक के खिलाफ जुर्माना और पास रिजेक्ट किया जाएगा।
- शिवपूजन त्रिपाठी, आरटीओ
हम लोगों ने दो बार बैठक की थी। लेकिन न तो प्रशासन का सपोर्ट मिल रहा है और न ही प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट का। जिस वजह से स्कूली वाहन चालक फायदा उठा रहे हैं।
- मोहम्मद खालिद जिलानी, कन्वीनर, पैरेंट्स फोरम
जो भी स्कूली वाहन बच्चों को लेने के लिए घर जाते हैं, बच्चों के पैरेंट्स को चाहिए की वाहन चालकों पर प्रेशर बनाएं। बार-बार कहने के बाद भी वाहन चालक नियम की अनदेखी कर रहे हैं तो पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को उस वाहन से स्कूल न भेजे।
- राजेश जौली, प्रेसिडेंट, इंडिपेंडेट स्कूल एसोसिएशन
फेस्टिव सीजन की वजह से हम लोग कार्रवाई नहीं कर सके हैं। मुहर्रम बीतने के बाद स्कूली वाहन पर कार्रवाई की जाएगी। नियम की अनदेखी कर रहे स्कूली वाहन को सीज किया जाएगा।
- डीपी श्रीवास्तव, एसपी, ट्रैफिक
हम लोग प्रयास के रहे हैं कि बच्चों के सुरक्षा के लिए सभी लोग स्कूली वाहन के दोनों साइड जाली लगवा ले। इसके लिए अलग-अलग टीम बनाकर ऑटो वालों का समझा भी रहे हैं।
- अकीलउद्दीन, जिलाअध्यक्ष महानगर ऑटो रिक्शा ओनर्स वेलफेयर सोसाइटी